Celebration of Emperor Ashoka s Birth Anniversary with Emphasis on Education in Kamalpur शिक्षित होकर समाज को मुख्यधारा से जुड़ने का मिलगा अवसर, Chandauli Hindi News - Hindustan
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शिक्षित होकर समाज को मुख्यधारा से जुड़ने का मिलगा अवसर

Chandauli News - कमालपुर के अहिकौरा गांव में सम्राट अशोक की जयंती मनाई गई। मुख्य अतिथि पूनम मौर्या ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हमें बच्चों को पढ़ाना चाहिए। उन्होंने ज्योतिबा फुले और बाबा साहब के योगदान पर भी...

Newswrap हिन्दुस्तान, चंदौलीSun, 6 April 2025 01:41 AM
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शिक्षित होकर समाज को मुख्यधारा से जुड़ने का मिलगा अवसर

कमालपुर, हिंदुस्तान संवाद। क्षेत्र के अहिकौरा गांव में सम्राट अशोक क्लब और सम्राट सेना के संयुक्त तत्वावधान में विश्व विजेता सम्राट अशोक महान कि जयंती मनाई गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ पंच शील दीप जलाकर अतिथियों की ओर से किया गया। इस मौके पर काफी संख्या में लोग मौजूद रहे। मुख्य अतिथि वाराणसी कि जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या ने कहा कि हम सभी को एकत्रित होकर अपने बच्चों को पढ़ाने कि आवश्यकता है। शिक्षित होकर समाज के लोगों को मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि ज्योतिबाराव फुले ने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को पढ़ाकर देश कि पहली महिला शिक्षिका बनाया था। जिनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। बाबा साहब भीम राव ने तीन मंत्र दिया है, शिक्षित बने संगठित बने और संघर्ष करें। जिसके रास्ते पर चलकर ही आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने माताओ बहनो से विशेष अपील करते हुए कहा कि आधी रोटी खाये और बच्चों को जरूर पढ़ाये शिक्षा ही अंधकार को खत्म कर सकता है।

भाकपा माले नेता श्रवण कुशवाहा ने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक का 304 ई.पू बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था। सम्राट बिन्दुसार के पुत्र और मौर्य वंश के तीसरे राजा के रूप में जाने गए थे। चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह ही उनका पोता भी काफी शक्तिशाली था। पाटलिपुत्र नामक स्थान पर जन्म लेने के बाद उन्होंने अपने राज्य को पुरे अखंड भारतवर्ष में फैलाया और पुरे भारत पर राज किया। बड़ा होने के बाद अशोक की सैन्य कौशल देखने को मिलने लगी थी। उनके युद्ध कौशल को और अधिक निखार देने के लिए शाही प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी थी। इस प्रकार से अशोक को काफी कम आयु में तीरंदाजी के साथ अन्य जरुरी युद्ध कौशलो में काफी अच्छी महारत मिल चुकी थी। अपने काल में जो अशोक चिन्ह निर्मित किया था उसका स्थान आज भी भारत के राष्ट्रीय चिन्ह में है। बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध के बाद सर्वाधिक स्थान राजा अशोक और उनके धर्म कार्यों को ही दिया जाता है। इस मौके पर मुकेश मौर्या, अमित मौर्या, एडवोकेट सत्येंद्र बिंद, केपी राम, इंदु मेहता, अलाउद्दीन,अमित मौर्या, ललित नरायण, सुनीता बौद्ध, संतोष मौर्या, गणेश प्रसाद, गुलजार मौर्या, भुवनेश्वर, चन्द्रिका, सुरेश सहित उपस्थित रहे। अध्यक्षता गौरी शंकर व संचालन पप्पू राजा ने किया।

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