एवियन इन्फ्लूएंजा की रोकथाम को लेकर प्रशासन सतर्क, टास्क फोर्स गठित
Deoria News - देवरिया, हिन्दुस्तान टीम। जिले में एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) के नियंत्रण और

देवरिया, हिन्दुस्तान टीम। जिले में एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) के नियंत्रण और रोकथाम के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई है। गुरुवार को गांधी सभागार, विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पाण्डेय की अध्यक्षता में आयोजित विशेष बैठक में इस अत्यंत संक्रामक पशुजन्य रोग से निपटने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया। मुख्य विकास अधिकारी ने पशुपालन, वन और सिंचाई विभाग को निरंतर भौतिक व सीरो सर्विलांस करने, स्वास्थ्य विभाग को आपदा स्थिति में वायरल दवाओं का स्टॉक तैयार रखने, राजस्व विभाग को किलिंग क्षेत्र का नक्शा और पक्षियों को जलाने/दफनाने के लिए भूमि चिन्हित करने, लोक निर्माण विभाग को जेसीबी, फॉगिंग और स्प्रे मशीनों की व्यवस्था करने, गृह विभाग को कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने, और पंचायती राज व स्थानीय निकायों को सर्विलांस में सहयोग करने के निर्देश दिए।जनपद
में अभी तक बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है। आमजन से अपील की गई है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सतर्कता बरतें। बैठक में बताया गया कि बर्ड फ्लू, जो आर्थोमिक्सों विषाणु से फैलता है, सभी प्रकार के पक्षियों को प्रभावित करता है। यह बीमारी पक्षियों के स्राव, लार, बीट और अंडों के माध्यम से फैलती है। इसके प्रमुख लक्षणों में अचानक उच्च मृत्यु दर, आंखों में सूजन, कलगी का नीला पड़ना, बीट का हरा-पीला रंग, पैरों में रक्त के थक्के और अंडा उत्पादन में अचानक कमी शामिल हैं। यह रोग पक्षियों से मनुष्यों और अन्य पशुओं में भी फैल सकता है, जिसके चलते इसे अत्यंत घातक माना जाता है। जानकारी दी गई कि जनपद में वर्तमान में 185 लेयर और लगभग 350 ब्रायलर कुक्कुट प्रक्षेत्र चिन्हित हैं, जहां करीब 13 लाख मुर्गियां पाली जा रही हैं। इसके नियंत्रण के लिए जिला स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम, किलिंग टीम और टीकाकरण टीम का गठन किया गया है। साथ ही, राजकीय पशु चिकित्सालय, देवरिया सदर में बर्ड फ्लू कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जिसके नोडल अधिकारी डॉ. उपेंद्र कुमार सिंह (मोबाइल: 9415833790) हैं। पशुपालन विभाग द्वारा सभी कुक्कुट फार्मों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। पशुपालकों को टीकाकरण, सेनेटाइजेशन और जैव सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जा रहा है। प्रत्येक माह सीरम सैंपल, नेजल और क्लोयकल स्वैब नमूने भोपाल और बरेली की प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 450 नमूने जांच के लिए प्रेषित किए गए हैं। पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट, फेस मास्क और स्प्रे मशीनें भी उपलब्ध कराई गई हैं। बैठक में जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला सूचना अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, प्रभागीय निदेशक (वन), अधिशासी अभियंता (सिंचाई व लोक निर्माण विभाग) सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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