बोले फर्रुखाबाद:रुका मानदेय मिल जाए तो कुछ सुधर जाए
Farrukhabad-kannauj News - मदरसों के शिक्षकों को मानदेय न मिलने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा पद्धति में सुधार होने के बावजूद, शिक्षक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। पिछले आठ वर्षों से केंद्र और राज्य सरकार से कोई...
मदरसा शिक्षकों के सामने सबसे बड़ी समस्या मानदेय की है। शिक्षक अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। आधुनिकीकरण योजना भी रुकी होने से काम करने वाले शिक्षक बेहद मायूस हैं। न तो केंद्रांश ही मिल रहा है और न ही राज्यांश मिल रहा है। वर्ष 2022 से राज्यांश और पिछले आठ वर्ष से केंद्रांश भी लंबित है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे मदरसा शिक्षकोंं की कोई सुनने वाला नहीं है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान अरबी, फारसी, मदारिस एसोसिएशन के मंडलीय अध्यक्ष मुवीन सिद्दीकी कहने लगे कि पहले सब कुछ सही था मगर पिछले कुछ वर्षों में मदरसा शिक्षकों के साथ जो भेदभाव हो रहा है। मदरसा शिक्षकों का मानदेय ही रुका हुआ है। यह उचित नहीं है। मदरसा शिक्षकों की जो समस्याएं हैं उसका प्राथमिकता से हल होना चाहिए।
मदरसा शिक्षक रश्मि मिश्रा कहती हैं कि मदरसा की शिक्षा पद्धति में भले ही काफी बदलाव हुआ है मगर उनके जीवन में बदलाव नहीं आ सका है। सरकार को चाहिए कि अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे मदरसा शिक्षकों की समस्याओं का भी हल हो जिससे कि वह भी समाज की मुख्य धारा में जी सकें। इजहार कहते हैं कि आधुनिकीकरण योजना में जनपद के 39 मदरसों में शिक्षक रखे गए थे। इसमें अल्पसंख्यक के साथ ही बहुसंख्यक समाज के भी शिक्षक हैं। आठ वर्ष से उनका मानदेय तक नहीं भुगतान हो रहा है। कामरान कहने लगे कि मानदेय न मिलने से खाली समय में कोई बच्चों को टयूशन पढ़ा रहा है तो कोई छोटा मोटा रोजगार कर परिवार का भरण पोषण कर रहा है। आखिर कब तक मानेदय का इंतजार किया जाता। हम लोग इस उम्मीद के साथ मदरसो में काम कर रहे हैं कि कभी तो ऊपर वाले की नजरें इनायत होंगी। अफसर जमाल कहते हैं कि मदरसों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने चाहिए जिससे कि मानदेय को लेकर किसी प्रकार की समस्या न रहे। सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। शिवनंदन सिंह कहते हैं कि मान्यता प्राप्त मदरसों में संसाधनों की कमी खटकती है। अब मदरसों में दीनी तालीम के साथ विज्ञान, हिंदी, सामाजिक विषय, अंग्रेजी, गणित आदि विषयों की पढ़ाई होती है। अहिबरन कहते हैं कि आधुनिकीकरण योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त अंश से शिक्षकों को मानदेय मिलता था लेकिन वर्ष 2017 से मानदेय ही रुक गया। हालांकि वर्ष2021 -22 में कुछ समय का मानदेय मिला था।
इसके बाद राज्य सरकार ने कुछ समय तक के लिए अंश का भुगतान किया अब वह भी बंद है। मदरसा शिक्षक कहते हैं कि अनुदान के माध्यम से शिक्षकों का भला हो सकता है। कोशिश यह हो कि अनुदान समय पर मिले। उत्तराखंड जैसे दूसरे राज्यों की तर्ज पर यहां पर आधुनिकीकरण योजना को लागू करने की जरूरत है। जो बकाया मानदेय लंबित है उसका भुगतान किया जाए। जो शिक्षक आर्थिक तंगी के चलते बीमार हैं उन्हें भी आर्थिक सहायता दी जाए या फिर बीमा योजना का लाभ उन्हें दिया जाए।
सुझाव-
1. आठ वर्ष से लंबित केंद्रांश मिले और जो राज्यांश लंबित है, उसका भी भुगतान किया जाए।
2. आर्थिक तंगी से जूझ रहे मदरसा शिक्षकों को बीमा योजना का लाभ मिले।
3. आधुनिकीकरण योजना फिर से शुरू होनी चाहिए।
4. राज्य से अनुदानित मदरसा शिक्षकों के चयन और प्रोन्नति वेतनमान के लिए कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाए।
शिकायतें-
1. मान्यताप्राप्त मदरसे के बच्चों को कोई सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं।
2. मदरसा संचालकों से प्रशासन कभी संवाद नहीं करता।
3. आधुनिक शिक्षा के तहत मदरसा शिक्षकों का मानदेय वर्षों से अटका है।
4. मदरसे के बच्चों को न तो ड्रेस मिलती है और न पुस्तकें। शिक्षक आर्थिक तंगी से कई वर्षों से जूझ रहे।
बोले मदरसा शिक्षक-
मदरसों में जब से आधुनिकीकरण योजना शुरू हुई तब से सरकार प्रतिमाह मानदेय सुनिश्चित नहीं कर पायी है।
-शिवनंदन सिंह
मानदेय न मिलने से समस्याएं आ रही हैं। बकाया मानदेय का भुगतान जो लंबे अर्से से लंबित है उसका भुगतान हो। -इजहार
अनुदानित मदरसा शिक्षकों के चयन और प्रोन्नत वेतनमान पर भी ध्यान दिया जाए जिससे कि राहत मिले। -अहिबरन
सिंह
केंद्रांश की बड़ी समस्या है। जब से केंद्र सरकार की ओर से मदरसा आधुनिकीकरण योजना शुरू हुई तब से दिक्कत है। -मुवीन सिद्दीकी
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