बोले हजारीबाग :यहां बिजली-पानी कुछ सही नहीं, गंदगी भी भरपूर
हजारीबाग के बाबूगांव मोहल्ला सघन आबादी वाला क्षेत्र है। लेकिन यहां नाली, जलापूर्ति की बड़ी समस्या है। वहीं, बिजली की लचर व्यवस्था के कारण यहां के लोग

हजारीबाग। हजारीबाग शहर के बाबूगांव में नाली और बिजली की हालत काफी खराब है। बाबूगांव चौक से डीवीसी तक नालियों का निर्माण न तो ढलान के अनुसार किया गया है और न ही इनका कोई समुचित निकास है। कुछ दूरी के बाद ये नालियां अचानक खत्म हो जाती हैं, जिससे इनमें पानी सालों भर जमा रहता है। स्थानीय लोग इन्हें सुविधा नहीं, बल्कि बड़ी समस्या मानते हैं। इन नालियों से न गंदे पानी की निकासी होती है। इससे हमेशा नाली बजबजाती रहती है। वहीं इलाके में नियमित जलापूर्ति भी नहीं होती है। नगर निगम बाबूगांव में पानी की सप्लाई नहीं करता, फिर भी सालाना पानी का बिल की वसूली करता है। इसकी शिकायत करने पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस संबंध में बाबूगांव के लोगों ने होल्डिंग टैक्स के बिल दिखाते हुए कहा कि अगर समय पर टैक्स न दें तो नगर निगम की ओर से जुर्माना वसूला जाता है। विरोध करने पर कर्मचारी कहते हैं हम तो टैक्स वसूलने आए हैं, शिकायत ऑफिस में कीजिए। इन समस्याओं का समाधान बड़े साहब ही करेंगे। लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए नगर निगम ऑफिसों के चक्कर लगाते रहते हैं, जिससे उनका रोजगार प्रभावित होता है। थक-हारकर लोग यह मान लेते हैं कि सरकार को केवल टैक्स और वोट से मतलब है, जनता की फिक्र किसी को नहीं।
वहीं बाबूगांव में बिजली की व्यवस्था भी लचर है। थोड़ी सी हवा या बारिश होते ही घंटों बिजली काट दी जाती है। गलियों में तारों का गुच्छा खंभों से घरों तक लटकता रहता है, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है। तार अक्सर गर्म होकर आपस में सट जाते हैं। इससे कई बार-बार फेज उड़ जाता है। लोग लकड़ी की मदद से दूसरे फेज से टोका लगाते हैं, और उससे भी फेज उड़ जाता है। इससे पूरा बाबूगांव अंधेरे में डूब जाता है। बीते वर्षों में दर्जनों नए मकान, लॉज, मॉल, जिम और कोचिंग संस्थान खुले हैं, लेकिन ट्रांसफॉर्मर की क्षमता नहीं बढ़ाई गई। आज भी 15 साल पुराना 100 केवी का ट्रांसफॉर्मर लगा है, जबकि इलाके में 200 केवी का ट्रांसफॉर्मर की जरूरत है। अगर इसे लगाया जाए तो बार-बार बिजली जाने की समस्या से राहत मिल सकती है। बिजली के खंभे जर्जर और झुके हुए हैं। समय रहते इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इस संबंध में लोग आग्रह कर रहे हैं, लेकिन विभाग तब ही हरकत में आता है जब दुर्घटना हो जाए। गली में खंभे नहीं हैं, इसलिए लोग दूर से तार खींचकर घरों तक बिजली लाते हैं, जिससे तारों का जाल बन जाता है। अगर विभाग अपने खंभे और तार लगाए, तो यह समस्या स्वत: समाप्त हो सकती है। मीटर रीडर केवल बिल देने आता है, बाकी देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं है।
वहीं बाबूगांव में सड़क पर कई सूखे पेड़ हैं। हवा चलते ही भारी टहनियां तारों या सड़क पर गिरती हैं। कई बार ट्यूशन जाने वाले विद्यार्थी बाल-बाल बचे हैं। इससे तार टूटते हैं और खतरा और बढ़ जाता है। वन विभाग को शिकायत करने के बावजूद पेड़ नहीं काटे गए। अगर समय पर इन्हें हटाया जाए तो संभावित आपदा से बचा जा सकता है। बाबूगांव, हजारीबाग नगर निगम के पूर्वी क्षेत्र की बदहाल व्यवस्था का जीवंत उदाहरण है। यह समस्या किसी एक विभाग की नहीं, बल्कि नागरिक सुविधाएं प्रदान करने वाले कई विभागों की सामूहिक लापरवाही और उदासीनता का परिणाम है। बाबूगांव की मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक की हालत इतनी खराब है कि हर दम गिरने पड़ने से हादसे होते रहते हैं। बारिश में सड़कों पर बना कीचड़ और गड्ढे वाहनों चालकों को परेशानी होती है। कई बार दोपहिया वाहन चालक फिसलने से घायल हुए हैं। मटवारी के पास पुलिया के किनारे गार्डवाल नहीं है, इससे लोग फिसलकर नाले में गिर चुके हैं। खासकर रात के समय यह हिस्सा बेहद खतरनाक हो जाता है। ग्रामीणों ने वहां बैरिकेडिंग और रेलिंग लगाने की मांग की है।
प्रस्तुति : गौतम
जनप्रतिनिधियों को दिया गया है आवेदन
यहां के लोग सांसद, विधायक, नगर आयुक्त, उपायुक्त से अनेक बार मिल कर आवेदन दे चुके हैं। पर कभी किसी तरह का कोई समाधान नहीं निकला है। सभी ने काम होने का वचन दिया पर कभी काम को नहीं किया। हमलोग के मन में इन लोगों के प्रति कोई भरोसा नहीं रहा। बाबूगांव के लोगों ने कहा कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि समस्या का समाधान का वादा करते है, लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद उन्हें किए गए वादे याद नहीं रहता है। जबकि प्रशासन को यहां की समस्या से कोई लेना देना नहीं है। नगर निगम सिर्फ टैक्स वसूलता है, लेकिन यहां की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है।
सप्ताह में एक बार उठता है कचरा
बाबूगांव मोहल्ले के लोग ने कहा कि कचरा उठाव सप्ताह में एक बार भी ठीक से नहीं होता। छोटी-छोटी गलियों में कूड़ेदान नहीं है, जिससे लोग मजबूरी में गली के किनारे ही कचरा डाल देते हैं। इस पर आवारा पशु मंडराते रहते हैं, जिससे संक्रमण और बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। साफ-सफाई की जिम्मेदारी जिन कर्मियों की है, वे इलाके में महीनों से दिखाई नहीं देते हैं। जब कभी दिखते हैं भी तो सिर्फ औपचारिकता पूरी करने आते हैं। बाबूगांव की बदहाली विकास योजनाओं की पोल खोलती है, जहां बुनियादी जरूरतें भी अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। इससे यहां के लाेग बदहाली के आंसू बहा रहे हैं।
बिजली नहीं होने से छात्र हैं परेशान
हजारीबाग नगर निगम क्षेत्र के बाबूगांव क्षेत्र में कई लाॅज है। इन लॉजों में कोडरमा, चतरा, गिरिडीह के कई छात्र रहते हैं। यहां कम केबीए का ट्रांसफॉर्मर लगे होने के कारण हमेशा बिजली गुल हो जाती है। इससे इन छात्रों को को पढ़ाई करने में परेशानी होती है। उन्हें इमरजेंसी लाइट या अन्य विकल्प के सहारे पढ़ाई करना पड़ता हैं। वहीं इन छात्रों को गंदगी और नालियों से निकलने वाली बदबू से परेशानी होती है। वहीं बिजली नहीं रहने से स्थानीय लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां रहने वाले छोटे बच्चों को पढ़ाई में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
नाली नहीं, सड़कों पर बहता है गंदा पानी
बाबूगांव में नाली नहीं होने से स्थानीय लोग सड़कों पर घरों का गंदा पानी बहाने को मजबूर हैं। इस कारण स्थानीय निवासियों के बीच हमेशा खूनी झड़प होते रहता है। घरों का पानी बहाने से सड़क पर गड्ढे भी बन जाते हैं। वहीं सड़कों पर गंदा पानी बहने से राहगीरों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नाली का पानी बहने से कई बार लोगों में आपस में विवाद हो चुका है। मालूम हो कि वर्ष 2015 में इसी झड़प में रंजन नामक एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है पर आज तक समाधान नहीं निकला।
बार-बार ट्रांसफॉर्मर खराब होने से होती है परेशानी
सड़क पर पानी बहाने के विवाद में मर्डर तक हो चुका है। इसके बावजूद आज तक समस्या का कोई समाधान नहीं निकला। यह लापरवाही प्रशासन की गंभीर विफलता को दर्शाता है। -हीरा लाल
सड़क के दोनों ओर नाली ही नहीं है, तो पानी कहां निकले? जहां नाली है, वह थोड़ी दूर बाद बंद हो जाती है। नाली को लंबा बनाया जाए और पानी के बहाव के लिए व्यवस्था हो। -रामदेव कुमार
सांसद, विधायक, उपायुक्त समेत कई अधिकारियों को शिकायत की गई है। आवेदन भी सौंपा गया, पर अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। इसके बावजूद जिम्मेवार चुप हैं। -प्रिंस कुमार
बरसात में हजारीबाग नगर निगम क्षेत्र का बाबूगांव नरक बन जाता है। गलियों में गंदगी, बदबू, कीचड़, भिनभिनाती मक्खियों के बीच चलना भी मुश्किल होता है। -सुनील कुमार
पानी की आपूर्ति नहीं होने के बावजूद नियमित बिल वसूला जाता है। मना करने पर कर्मचारी कहते हैं कि शिकायत दफ्तर में कीजिए। देर करने पर पेनाल्टी भी लगा दी जाती है। -किशोर यादव
बढ़ती आबादी को देखते हुए 200 केबी का ट्रांसफॉर्मर चाहिए, लेकिन अभी भी पुराना 100 केबी का ही लगाया जाता है। लोड अधिक होने से बार-बार ट्रांसफॉर्मर खराब हो जाता है। -बबलू राम
सड़क पर बहता पानी उसे जल्दी खराब कर देता है। जगह-जगह गड्ढे बन जाते हैं, जिससे रोजाना दुर्घटनाएं होती हैं। पैदल चलना, बाइक चलाना सब खतरे से खाली नहीं। -महावीर कुमार
कूड़ेदान समय पर साफ नहीं किया जाता। आकार भी छोटा है, इससे गंदगी फैलती है। मजबूरन लोग उसमें आग लगाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं है। -अशोक प्रसाद
बिजली का खंभा नीचे से सड़ चुका है, कभी भी गिर सकता है। बिजली विभाग को कई बार इसकी जानकारी दी गई है, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह गंभीर दुर्घटना को न्योता दे रहा है। -राजू राणा
बिजली के खंभों पर तारों का बंडल झूलता रहता है। एक फेज में लोड बढ़ने पर तारों में चिंगारी निकलती है और आग लग जाती है। यह जानलेवा स्थिति है, लेकिन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठाता। -संजीत गुप्ता
नगर निगम सुविधाएं नहीं दे सकता, तो इसे निगम क्षेत्र से बाहर घोषित कर दे। नगर निगम से कोई उम्मीद नहीं रखेंगे। झूठे आश्वासन से छुटकारा मिलेगा। -अरविंद कुमार गुप्ता
बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद काम नहीं होता, जिससे सांसद, विधायक और प्रशासन पर से विश्वास उठ गया है। लोग अब इन नेताओं को गंभीरता से नहीं लेते। -धर्मेन्द्र लाल
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