सूर्यदेव के तेज से लोग बेहाल, झुलसा रही धूप की तपिश
Farrukhabad-kannauj News - फर्रुखाबाद में सूरज की तेज गर्मी से लोग बेहाल हैं। अधिकतम तापमान 41 डिग्री के आसपास पहुंच गया है। गर्मी से राहत पाने के लिए लोग गन्ने और बेल के जूस का सेवन कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को...
फर्रुखाबाद, संवाददाता। सूर्यदेव अपना तेज दिखाने लगे है। सूर्यदेव के तेज से लोग बेहाल होने लगे है। धूप की तपिश ऐसी पड़ रही है कि लोगों के बदन जलने लगे है। इंसान ही नहीं पशु पक्षी भी गर्मी में व्याकुल होते दिखाई दे रहे है। बुधवार को अधिकतम तापमान 41 डिग्री के आसपास रहा।
धूप की तपिश दिनों दिन बढ़ रही है इसलिए अब गर्मी का एहसास होने लगा है। सुबह दस बजते ही मानो आसमान से आग बरसना शुरू हो जाती है। सूर्यदेव के ताप से धरती आग की भट्टी की तरह तपने लग रही है। भीषण गर्मी और धूप की तपिश के कारण सड़कों और बाजारों में दोपहर से पहले ही सन्नाटा पसर रहा है। सूर्यदेव के ताप के आगे लोग घरों में कैद होने को मजबूर होते दिख रहे है। बाजारों से लेकर मोहल्लों और शहर से लेकर देहात तक में भीषण गर्मी और धूप की तपिश का असर देखन3 को मिल रहा है। मौसम को देखते हुए बहुत अधिक जरूरतमंद लोग ही सड़कों पर आते जाते दिखाई दिए। बाजारों में दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते रहे। डाक्टर अजय सूद का कहना है भीषण गर्मी और धूप की तपिश से बच्चों को खास तौर से बचाना बहुत जरूरी है। बच्चों को घरों से बाहर न निकले दे उनका खास ख्याल रखा जाए। गर्मी में अधिक से अधिक पानी पीते रहे।
गन्ना और बेल जूस से राहत
फर्रुखाबाद।
भीषण गर्मी में पेय पदार्थो की बिक्री में इजाफा हो गया है। इस समय गन्ने और बेल का जूस भीषण गर्मी से राहत दे रहा है। बाजारों में सबसे ज्यादा गन्ने, बेल और शिकंजी के ठेले सजे है। सबसे अधिक गन्ने और बेल का जूस का सेवन किया जा रहा है। बताया जा रहा है गन्ने और बेल का जूस गर्मी में लाभकारी होता है। इसलिए लोग गन्ने और बेल का जूस अधिक पसंद कर रहे है।
भोजन कम शरबत सत्तू का इस्तेमाल बढ़ा
फर्रुखाबाद।
भीषण गर्मी में भोजन अच्छा नही लग रहा है। लोगों की भीषण गर्मी के कारण भूख थक गई है। गर्मी में लोग मसालेदार भोजन करने से बच रहे है। ऐसे में शरबत और सत्तू आदि का इस्तेमाल बढ़ गया है। इस समय लोग चना जौं, चावल के सत्तू का भरपूर इस्तेमाल कर रहे है। चावल के सत्तू का शरबत बनाकर पिया जा रहा है तो चना जौं के सत्तू घोलकर हरी मिर्च आदि से खाए जा रहे हैं।
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