बोले फिरोजाबाद: हसमत नगर की फूटी रही किस्मत, पूरी न हुई हसरत
Firozabad News - फिरोजाबाद के हसमत नगर क्षेत्र में नगर निगम के विकास वायदों के बावजूद हालात बदतर हैं। लोगों को गंदे पानी और कीचड़ से जूझना पड़ रहा है। गलियों की स्थिति खराब है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को मुश्किलें...

फिरोजाबाद। विकास के बड़े-बड़े वायदों के बीच भी निगम के कई क्षेत्र परेशानियों से जूझ रहे हैं। कई क्षेत्रों के हाल आज भी गांव से बदतर हैं। अब तो गांव में भी सीसी बनने लगी है, लेकिन नगर निगम के इन हिस्सों में इंटरलॉकिंग भी नहीं। जनता परेशान हैं। बच्चे एवं बुजुर्ग गिर रहे हैं, लेकिन निगम इन क्षेत्रों में गलियां तक नहीं बनवा पा रहा है। शहर भर में बनी बनाई गलियों को फिर से बनवाकर बड़ी धनराशि इधर से उधर हो रही है, लेकिन कच्ची गलियों को बनवाने के लिए कोई तैयार नहीं है। ऐसा ही एक मोहल्ला है हसमत नगर।
सैलई की पुलिया से बंबा बाईपास की तरफ चलें तो रामगढ़ थाना चौराहा से बाएं हाथ पर मुड़ने पर कुछ दूर चलते ही दायें हाथ पर दिखाई देता है हसमत नगर। बाहर सड़क से ही अंदर के हालात बयां हो जाते हैं। मुख्य सड़क बन गई है, लेकिन इससे हसमत नगर के हालात और भी बदतर हो गए हैं। हसमत नगर से जो थोड़ा बहुत पानी बाहर नालियों तक पहुंच जाता था, वह भी नहीं पहुंच रहा है। नालियों के किनारे हर वक्त पानी भरा रहने से यहां पर दुकान करने वाले छोटे मोटे दुकानदार भी परेशान हैं। गली में रहने वालों को मुख्य सड़क पर आने के लिए कभी बाउंड्री पर चढ़ना पड़ता है तो बाउंड्री खत्म होने पर कभी ईंटों पर बैलेंस बनाते हुए निकलना। हिन्दुस्तान ने बोले फिरोजाबाद के तहत जब इस क्षेत्र के वाशिंदों से संवाद किया तो हर चेहरे पर था जनप्रतिनिधियों के प्रति गुस्सा। कई साल होने के बाद भी क्षेत्र की गलियों का हाल दिखाते हुए बताते हैं कि इतने वक्त में तो गांव की गलियों की तस्वीर बदल जाती है, लेकिन यहां पर नगर निगम में रहने वालों के घरों से निकलने वाले गंदे पानी के लिए ढंग की नाली भी नहीं। घरों के बाहर कहीं पर गड्डे में जलभराव है तो कहीं पर कीचड़। लोगों का कहना है कि पार्षद के समक्ष कई बार समस्या उठा चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं होती। गुस्सा उन अन्य जनप्रतिनिधियों पर भी है जो यहां से वोट तो ले गए लेकिन इसके बाद में क्षेत्र की समस्याओं की तरफ देखना भी उन्होंने जरूरी नहीं समझा। नगर निगम स्वच्छता अभियान की बात करता है। स्वच्छ सर्वेक्षण करते वक्त निगम के हर वार्ड को शामिल करना चाहिए, सिर्फ कुछ सड़कों को देख कर स्वच्छता सर्वेक्षण के तमगे मिलते रहेंगे, तब तक इन जैसे वार्डों की हालत नहीं सुधरेगी, भेदभाव के विकास नहीं हो सकता। -शादुल भाई गली के ठीक सामने सड़क है, लेकिन रिश्तेदार आएं तो उन्हें गलियों में से घुमाकर लाना पड़ता है। रिश्तेदार अगर सामने से सड़क देख लें तो इस मार्ग से आने की हिम्मत नहीं जुटा सकते। चार पहिया वाहन छोड़िए, दो पहिया वाहन भी इस मार्ग से नहीं आ सकते हैं। -चांद हुसैन सरकार बीमारियां रोकने के लिए लोगों को जागरूक कर रही है कि घरों के आसपास पानी एकत्रित न होने दें। यहां पर तो नगर निगम की वजह से ही जलभराव हो रहा है। इस तरफ न तो निगम का ध्यान है, न ही स्वास्थ्य विभाग का। क्या यहां सरकारी योजनाओं के हिस्सेदार नहीं। -मो.जाकिर क्षेत्र में विकास कार्य की तरफ नगर निगम का कोई भी ध्यान नहीं है। कच्ची गलियों से परेशानी का सामना करना पड़ता है। बाइक लेकर जाएं तो घूमकर जाना पड़ता है। गंदा पानी गलियों एवं प्लॉट में भरा होने से क्षेत्र में बीमारियां फैलने का भी खतरा बढ़ता जा रहा है। -समीदा बरसात में गली में पानी भर जाता है। घर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। अगर कहीं जरूरी कार्य से जाना पड़े तो गंदे पानी में से होकर निकलना पड़ता है। कई घरों के बाहर नाली न होने से घरों से निकलने वाला गंदा पानी भी गली में भर जाता है। -बानो गली के नाम पर घर के बाहर कीचड़ भरी पड़ी है। सफाई नियमित रूप से नहीं होती है। सुपरवाइजर को फोन करते हैं, लेकिन सुपरवाइजर भी सुनवाई नहीं करते हैं। समझ में ही नहीं आता है कि हम नगर निगम क्षेत्र में हैं या किसी अन्य क्षेत्र में। -रशीदा पूरे क्षेत्र की गलियां कच्ची पड़ी हुई हैं। लोगों का सड़क पर चलना मुश्किल हो रहा है। मुख्य सड़क से गली में आने के लिए रास्ता नहीं है। सड़क पर पानी भरा हुआ है तो महिला पुरुष ईंटों पर रास्ता तलाशते हैं। कई तो लाठी के सहारे यहां से गुजरते हैं। -शादिक गली में पैदल लोग भी नहीं निकल सकते हैं। हमारे शौहर भी एक दिन गिर गए थे। गली में निकलने का रास्ता नहीं है। बच्चों को गली से निकलने में भी दिक्कत हुई है। आखिर कब तक क्षेत्र की जनता इन समस्याओं को झेलेगी। -आमना बेगम सड़क पर सिर्फ पानी नहीं भर हुआ है, बल्कि कीचड़ की स्थित हो गई है। दलदल जैसे हालात हो गए हैं, इसके बाद भी अधिकारियों को महसूस नहीं हो रहा है कि इस क्षेत्र में विकास की जरूरत है। जहां पर वास्तविक जरूरत है, वहां सड़कों पर काम नहीं हो रहा। -शाजना
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