बोले फिरोजाबाद: रिश्ता तेरा मेरा है सबसे न्यारा तू मेरी मैया, मैं हूं तेरा लाला...
Firozabad News - फिरोजाबाद में मदर्स डे पर महिलाओं ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि मदर्स डे केवल एक दिन मनाने का नहीं, बल्कि हर दिन मां की सेवा और उनकी भावनाओं को समझने का है। आजकल बच्चे अपनी मां से दूर होते...
हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद में मदर्स डे को लेकर सुहागनगरी की महिलाओं से बातचीत की गई। महिलाओं ने आजकल के परिवेश को लेकर अपने विचारों को रखा। महिलाओं ने कहा कि मदर्स डे को लोगों द्वारा एक दिन मनाया जाता है जबकि हर दिन अपनी मां को उसी भाव से पूजा जाए, उसी भाव से मां की सेवा की जाए और हर दिन मां के पास बैठकर उसके मन की बातों को समझने, परेशानियों के बारे में पूछने की जरूरत है। महिलाओं ने कहा कि आजकल लोग अपनी मां को समझना तो दूर उससे दूरी बना लेते हैं। बच्चे अपनी मां का कहना नहीं मानते।
मां बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता जैसी लाइनों को गाते हैं लेकिन जब बेटे द्वारा मां को दुख देना शुरू कर दिया जाता है तो वह टूट जाती है। जिस बेटे के बल पर मां सोचती है कि उसका बुढापा यही कटवाएगा वही बेटा अपनी शादी के बाद मां से दूरी बनाना शुरू कर देता है। महिलाओं ने कहा कि हम अपनी सास को मां मानती हैं और हमारी जन्म देने वाली मां भी होती है यानी हम जीवन में दो मां को साथ लेकर चल सकती हैं। ये हमारे लिए सौभाग्य का समय होता है जब शादी के बाद हम उस परिवार में जाती हैं जहां मां फिर से मिल जाती है। अब वृद्धावस्था में आश्रम छोड़ आते बच्चे महिलाओं ने कहा कि जब जीवनकाल शुरू होता है बचपन में हर गलती को मां छिपा लेती है। घर के अँदर कोई कीमती सामान बच्चे द्वारा टूटता है तो मां कहती है कि गलती से मेरे से टूट गया था। बच्चे को मिलने वाली फटकार तक वह अपने ऊपर लेकर चलती है। लेकिन आजकल के दौर में बच्चे अपनी मां को बूढा होने पर वृद्धाश्रम में छोड़कर चले जाते हैं। मां को बुढापे में अपनी लाचार हालत पर छोड़ देते हैं। मां के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। मां की छांव में रहना हर किसी को नसीब नहीं महिलाओं ने कहा कि मां शब्द को जब पुकारते हैं तो इसमें जो अपनत्व और आत्मीयता का भाव होता है वह किसी नाम में नहीं होता। मां के आंचल की छांव में रहने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिल पाता। देशभर में तमाम ऐसे बच्चे हैं जो मां के प्यार को नहीं पा सके। ऐसे में हमें खुद को सौभाग्यशाली मानना चाहिए कि हमारे जीवन में मां है और हम इसे हर रोज पुकारते हैं। बस पुकारने का तरीका भी नाम के अनुरूप ममता भरा ही होना चाहिए। अगर हमारे रूखे बोल हैं तो उस मां के कोमल दिल को हर रोज हम ठेस पहुंचा रहे हैं। इनकी बात बच्चों को अपनी मां का महत्व समझना चाहिए। मां से जीवन होता है और हर मां चाहती है कि जिस औलाद पर उसने सारा जीवन न्यौछावर कर दिया उनकी परवरिश में अपने सपनों को चकनाचूर कर दिया कम से कम उस मां को ताउम्र हम अपनी पलकों पर बिठाकर रखें। -शाहीन फिल्मों को देखकर आजकल मां परेशान हो जाती है और आसपास की हकीकत को देखकर उसकी आंखों में आंशू आ जाते हैं। जिस बेटे को मां द्वारा पाला जाता है वही उसको बुढापे में अलग कर देता है। एकाकी जीवन उस मां को कष्टदायी हो जाता है। -दीपेश मां को लेकर तमाम फिल्में बनीं। आसपास के जीवन में मां को संघर्ष करते हुए देखा जाता है। तब लगता है कि एक मां अपने बच्चों के आगे लाचार हो जाती है। जिस मां की सारी पूंजी होती है उसी को बांट लिया जाता है यहां तक तो ठीक है लेकिन मां के हिस्से का प्यार कहां चला जाता है ये संतान को सोचना चाहिए। -पूजा मां को जब आप पुकारते हैं तो यह शब्द नहीं बल्कि ऐसा इमोशन है जिसे पुकारने वाला और सुनने वाला ही समझ सकता है। यानी जीवन में मां के प्यार का कोई मोल नहीं होता और अगर कोई चुकाने की बात कहता है तो ये उसकी भूल होती है। -दीपिका पांडेय मां तू मेरी शक्ति है यह शब्द एक मां के लिए सबसे निराले होते हैं। मां ही है जो बच्चे को हर पल शक्ति का अहसास कराती है। जब सभी साथ छोड़ देते हैं तो मां ही है जो उसके साथ खड़ी होती है। तब न दोस्त काम आता है और न रिश्तेदार, बस मां ही साथी होती है। -पायल मां के बिना अगर दुनिया की कल्पना की जाए तो अहसास हो जाएगा कि यह दुनिया अधूरी है। इसलिए कभी मां को अपने से दूर नहीं करना चाहिए। एक ही घर में रहकर मां और बेटा अगर अलग रहते हैं तो इससे बड़ा दुख उसके लिए कोई और नहीं हो सकता। -बीना मां को अपने बच्चों से बुढापे में कुछ नहीं चाहिए होता है। वह बस इतना चाहती है कि उसके बच्चे उसके पास रहें। अपने बच्चों को तरक्की करते हुए वह देखती रहे लेकिन अब दुनिया बदल गई है। मां को बुढापे में बच्चे अपना प्यार नहीं दे पाते ऐसे में हर दिन मां परेशान रहती है। -ममता मां की ममता को कभी शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। अगर एक मां के तीन बेटे होते हैं तो वह मां अपने तीनों बच्चों को बराबर प्यार करती है। मां कभी अपने बच्चों में प्यार को नहीं बांटती। हां इतना जरूर है कि बच्चे बड़े होने के बाद मां के प्रति प्यार कम कर देते हैं। -पूजा गुप्ता
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