रतजगा के बाद भी नहीं मिल रहा मेहनत का फल
Gangapar News - सहसों। खेतों में फसल उगाने के लिए किसानों को काफी मेहनत का सामना करना पड़ता
खेतों में फसल उगाने के लिए किसानों को काफी मेहनत का सामना करना पड़ता है। बारिश, गर्मी, जाड़ा में वह जी तोड़कर मेहनत करते हैं। गर्मी में जब लोग घरों के अंदर पंखा चलाकर सोते हैं तो खेतों में वह अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए छप्पर डालकर उसके नीचे पड़े रहते हैं। क्षेत्र के लखरावां गांव निवासी बृजभान पटेल, चंद्रभान पटेल, सुभाष, कमलेश व धर्मेंद्र पटेल आदि किसान अपने खेतों में भीषण गर्मी के मौसम में लौकी, नेनुआ, खीरा, कोहड़ा, बोड़ा आदि तैयार कर रखा है। बृजभान व धर्मेंद्र पटेल ने बताया कि मौजूदा समय में एक लौकी की कीमत 10 रुपये, नेनुआ, कोहड़ा व बोड़ा 10 रुपये किलो, खीरा 15 रुपये खेत से तैयार होने के बाद बिक रहा है।
जब कि इसको पैदा करने में काफी खर्च और मेहनत आती है। उसके बाद भी मेहनत व खर्च के अनुसार इसका फायदा नहीं निकल पाता। गर्मी के मौसम में पाइप के साथ नलकूप से खेतों की सिचाई 120 रुपये प्रति घंटा पड़ रहा है। ट्रैक्टर से जुताई, खाद, बीज व समय-समय पर दवा का छिड़काव आदि सभी चीजे महंगी हो गई हैं। पूरे परिवार सहित मिलकर सामूहिक रूप से मेहनत के बावजूद इसका जो उचित लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता। चोरों व जानवरों से सब्जी की सुरक्षा के लिए दिन और रात दोनों समय खेतों में गुजरना पड़ता है। परिवार के लोग भी बारी-बारी से देखभाल में लगे रहते हैं। इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है। उसके बावजूद पूरा समय खेतों में कट रहा है।
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