जीवन की सीख देती है रामायण: निर्मेश
Gauriganj News - हसनपुर तिवारी ब्रह्मदेव मंदिर में नौ दिवसीय श्री रामकथा के आठवें दिन कथावाचक निर्मेश शुक्ला ने श्रीराम के वनवास की कथा सुनाई। राम के वनगमन की कथा सुनकर श्रोताओं की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने भरत...

शुकुल बाजार। संवाददाता क्षेत्र के हसनपुर तिवारी ब्रह्मदेव मंदिर में नौ दिवसीय श्री रामकथा के आठवें दिन कथावाचक निर्मेश शुक्ला ने श्रीराम वनवास की कथा का प्रसंग सुनाया। जैसे ही राम वनगमन की कथा शुरु हुई तो श्रोताओं की आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं, कथावाचक ने भरत संवाद व लंका दहन का भी वर्णन सुनाया।
कथावाचक निर्मेश शुक्ला ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि अयोध्या के कोप भवन में कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वचन मांगे। जिस पर राजा दशरथ ने कहा कि रघुकुल रीति सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई…। यह सुनते ही कैकेयी ने राजा दशरथ से अपने दो वचनों में से पहला वचन अपने पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी मांग ली तथा दूसरा भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। कैकेयी के यह कटु वचन सुनते ही महाराजा दशरथ के होश उड़ गए। वहीं जब भगवान श्रीराम को इस बात का पता चला तो वह पिता के वचन को निभाने के लिए वन जाने को खुशी-खुशी तैयार हो गए। भगवान श्रीराम के वन जाने की बात सुनते ही माता सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ वन जाने को तैयार हो गए। इस अवसर पर पूर्व प्रधान नरेन्द्र शुक्ला, रवी तिवारी, रामजस, राम प्रसाद, शिव प्रसाद, दिलीप, कुलदीप सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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