Mother s Struggles Shape ADM Arpit Gupta s Success Story in Amethi मां, जिसने आटा चक्की चलाकर गढ़ा अफसर बेटा, Gauriganj Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsGauriganj NewsMother s Struggles Shape ADM Arpit Gupta s Success Story in Amethi

मां, जिसने आटा चक्की चलाकर गढ़ा अफसर बेटा

Gauriganj News - अमेठी के एडीएम अर्पित गुप्ता की मां बसंती देवी ने पति की असामयिक मृत्यु के बाद अपने संघर्ष से बेटे का भविष्य बनाया। कई कठिनाइयों का सामना करते हुए, उन्होंने अपने परिवार का पालन-पोषण किया। 2015 में...

Newswrap हिन्दुस्तान, गौरीगंजSat, 10 May 2025 04:51 PM
share Share
Follow Us on
मां, जिसने आटा चक्की चलाकर गढ़ा अफसर बेटा

अमेठी। ए मां तेरी सूरत से बढ़कर भगवान की सूरत क्या होगी? यह कथन साकार किया है जिले के एडीएम अर्पित गुप्ता की मां बसंती देवी ने। पति की असामयिक मृत्यु के बाद टूटी हुई बसंती देवी ने अपने संघर्ष और इच्छा शक्ति से बेटे का भविष्य गढ़कर उसे अफसर बना दिया। एडीएम अर्पित गुप्ता की मां बसंती देवी के संघर्षों की कहानी बिल्कुल फिल्मी है। 1988 में पति की मौत के बाद उनके कंधों पर छह बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। इकलौता बेटा वह भी एकदम मासूम। परिवार में कमाई का कोई जरिया नहीं था। पति के जाते ही घर की बिजली काट दी गई।

विभाग ने घर के बकाया 36 रुपये के बिल में से आधे रुपये मांगे थे, उस समय वह भी परिवार के पास नहीं थे। मुसीबतें शुरू हुई तो आती ही चली गई। अपने लोगों ने भी मुंह मोड़ना शुरू कर दिया और सारे बिस्तर बाहर फेंक दिए गए। सात लोग 8 बाई 10 के एक छोटे से कमरे में अंधेरे में शिफ्ट हो गए। लेकिन इसी घटाटोप अंधकार से बसंती देवी ने जिंदगी में उजाले की किरण खोजी। खुद से ही खुद के आंसू पूछे और पति के व्यवसाय को संभालने का विचार बना लिया। वह रोजाना 45 किलोमीटर की दूरी तय कर आटा चक्की और बर्फ फैक्ट्री में काम करने जाती थी। कई बार हुई हादसे का शिकार, मौत को भी मात दी एडीएम अर्पित गुप्ता बताते हैं कि चक्की चलाते वक्त एक बार मां की साड़ी मशीन के पट्टे में फस गई। किसी तरह से उनकी जान बची। एक बार बस के नीचे आते-आते बची। वहीं एक बार ऑटो ही पलट गया। हर बार वह मौत को मात देकर अपने बच्चों की परवरिश में जुट जाती थी। 2015 में पीसीएस बना बेटा तो सफल हुई तपस्या मां के संघर्ष ने उनके बेटे अर्पित गुप्ता की राह से सारे कांटे हटा दिए। इस संघर्ष से उपजी प्रेरणा ने उन्हें बड़े लक्ष्य के लिए प्रेरित किया। हालांकि जीवन में तमाम दुश्वारियां आई लेकिन जब अर्पित ने कठिनाइयों के बीच हार मानने की बात की, तो मां ने कहा- पापा का वादा था कि बच्चों की आंखों में आंसू नहीं आएंगे। 2015 में अर्पित ने पीसीएस परीक्षा पास की और आज वह अमेठी जिले के एडीएम के पद पर तैनात हैं। मेरे लिए हर दिन है मदर्स डे एडीएम अर्पित गुप्ता कहते हैं कि मेरे पूरे जीवन को मां ने ही गढ़ा है। मेरे लिए साल का हर दिन मदर्स डे की तरह है। मैं उनके ऋण एक तिनका भी नहीं चुका पाऊंगा। उनके संघर्षों का कोई मोल अदा कर पाऊं यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।