एक युग का अंत! यूं ही कोई विराट कोहली नहीं बन जाता; संन्यास में भी खींच दी बड़ी लकीर, थैंक्यू किंग
रोहित शर्मा के बाद अब विराट कोहली का टेस्ट से संन्यास। क्रिकेट के एक युग का अंत। विराट कोहली ने तो अपने संन्यास से एक बहुत बड़ी लकीर खींच दी है। बेमिसाल फिटनेस और एनर्जी के बाद भी उन्होंने रिटायर होने का फैसला किया, वह भी तब जब बीसीसीआई ने उनसे पुनर्विचार की गुजारिश की थी।

पहले रोहित शर्मा। अब विराट कोहली। 5 दिन में क्रिकेट के दो दिग्गजों का टेस्ट से संन्यास। ये भारतीय क्रिकेट के एक युग का अंत है। अब मैदान पर सफेद जर्सी में रो-को नहीं दिखेंगे। दोनों ने और खासकर विराट कोहली ने अपने संन्यास से भारतीय क्रिकेट में एक बड़ी लकीर खींच दी है। ऐसे वक्त में संन्यास लिया जब लगभग हर किसी के जुबां से यही निकल रहा है- इतनी भी क्या जल्दी थी।
'संन्यास क्यों नहीं ले रहे' जैसा सवाल ही नहीं उठने दिया
विराट कोहली 36 साल के हैं लेकिन उनकी फिटनेस, उनका एनर्जी लेवल, उनका जोश, उनकी फुर्ती, उनका जज्बा...सबकुछ ऐसा कि युवा से युवा क्रिकेटर भी शरमा जाए। टेस्ट की ही बात करें तो अभी उनमें काफी क्रिकेट बाकी थी। फिर भी विराट कोहली ने ऐसा किया जो भारत में बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। शीर्ष पर रहते हुए संन्यास, न कि टीम पर बोझ बनकर करियर लंबा खींचने की कोशिश। 'अब संन्यास ले ही लो' की आवाज को उठने से पहले उन्होंने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया। करियर में कभी वह वक्त आने ही नहीं दिया कि लोग कहें 'संन्यास क्यों नहीं ले रहे'। लोग ये पूछेंगे, 'अभी संन्यास क्यों ले लिया।'
T-20I में भी शिखर पर रहते लिया था संन्यास
विराट कोहली चाहते तो अभी और एक-दो साल टेस्ट क्रिकेट खेल सकते थे। बीसीसीआई तो उन्हें टेस्ट से संन्यास न लेने के लिए मना ही रही थी। लेकिन किंग कोहली ने दिल की सुनी। युवाओं के लिए रास्ता साफ किया। अंतरराष्ट्रीय टी-20 से भी उन्होंने तब संन्यास लिया जब अपनी शानदार बल्लेबाजी से टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।
टेस्ट में भारत का सर्वश्रेष्ठ कप्तान
कप्तानी को लेकर भी उनका यही रुख था। तब कप्तानी छोड़ दिया जब वह कप्तान के तौर पर बेस्ट थे। बतौर कप्तान उन्होंने 68 टेस्ट खेले जिनमें टीम इंडिया को 40 में जीत मिली। 17 में हार और 11 ड्रॉ रहे। उन्होंने विदेशी जमीन पर भारत की जीत को तुक्का नहीं, आदत के तौर पर स्थापित किया।
शॉर्ट फॉर्मेट में तो लाजवाब हैं ही, टेस्ट में भी रहे बेजोड़
एकदिवसीय मैचों में विराट कोहली का कोई सानी नहीं है लेकिन टेस्ट में भी वह अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में रहे। इस फॉर्मेट में वह भारत के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं। आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। 123 मैच, 210 पारी। 46.85 के शानदार औसत से 9230 रन। 30 शतक, 31 अर्धशतक। 7 दोहरे शतक। टेस्ट क्रिकेट में उनसे ज्यादा किसी भी भारतीय के दोहरे शतक नहीं हैं। सचिन तेंदुलकर और वीरेंदर सहवाग ने 6-6 दोहरे शतक जड़े थे।
खेलते गए, रिकॉर्ड बनते गए, कभी व्यक्तिगत उपलब्धि पर नहीं दिया जोर
विराट कोहली के टेस्ट से संन्यास लेने से उनके प्रशंसकों का दिल जरूर टूटा होगा। हर कोई उन्हें अभी खेलते देखना चाहता था। उनके बल्ले से और कीर्तिमान निकलते देखना चाहता था। शतक देखना चाहता था। 10 हजारी और 11 हजारी बनते देखना चाहता था। लेकिन किंग कोहली व्यक्तिगत रिकॉर्ड के लालच में टीम पर बोझ बनना नहीं चुना। पिछली 10 टेस्ट पारियों में वह खास छाप नहीं छोड़ पाए थे, संभवतः इसलिए उन्होंने लाल रंग वाली क्रिकेट को अलविदा कह दिया। 17, 6, 5, 3, 7, 11, 5, 100 नाबाद, 4 और 1 रन। ये टेस्ट क्रिकेट में उनकी पिछली 10 पारियां हैं।
थैंक्यू किंग!
अब विराट कोहली सफेद जर्सी में नहीं दिखेंगे। अब उनका जोशीला अंदाज नहीं दिखेगा। अब टेस्ट में उनका संकटमोचक अवतार नहीं दिखेगा। क्या जबरदस्त करियर है! थैंक्यू विराट कोहली! इंडियन क्रिकेट के किंग, शुक्रिया!