Vaccination Demand for Livestock Against FMD and SVD Amid Rising Heat in Ghazipur पशुओं को मुंहपका-खुरपका से बचाव के लिए लगेगा टीका, Ghazipur Hindi News - Hindustan
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पशुओं को मुंहपका-खुरपका से बचाव के लिए लगेगा टीका

Ghazipur News - गाजीपुर में गर्मी के कारण खुरपका-मुंहपका रोग का खतरा बढ़ गया है। पशु विभाग ने वैक्सीन की मांग की है और जल्द ही टीकाकरण किया जाएगा। पशुपालक चिंतित हैं क्योंकि बीमार पशुओं के संपर्क से वायरस फैल सकता...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाजीपुरTue, 8 April 2025 02:09 PM
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पशुओं को मुंहपका-खुरपका से बचाव के लिए लगेगा टीका

गाजीपुर, संवाददाता। गर्मी की शुरूआत हो खुरपका-मुंहपका के गिरफ्त में पशु तेजी से आने लगे है। वहीं पशु विभाग की ओर से मुंहपका और खुरपका से बचाव के लिए वैक्सीन का डिमांड कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार जल्द ही वैक्सीन लगायी जाएगी। ल क्षेत्र दिलदारनगर जितेंद्र यादव पशुपालक है। वह दुग्ध का व्यवसाय भी करते है। उनके पास करीब आधा दर्जन भैसों के अलावा कई गायें भी हैं। वह बताते हैं कि बाहर चरने जाने वाले पशुओं को रोग होता है। वहीं दूसरी ओर इतना चारा नहीं होता है कि जानवरों को घर पर बांध कर खिलाया जा सके। इस बार समय से पहले ही मौसम गर्मी होने से पशुओं में रोग की आशंका बढ़ गयी है। अब मुंहपक और खुरपका से बचाव के लिए चिंतित है। अबतक पशुओं में टीकाकरण नहीं हुआ है। सीवीओ एके शाही बताते हैं कि खुरपका-मुंहपका(एफएमडी) वायरस से पैदा होने वाली बीमारी है। गाय, भैंस, भेड़, ऊंट जैसे पशु इस बीमारी के चपेट में आते हैं। टीकाकरण से पशुओं को रोग से बचाया जा सकता है। पशु का टीकाकरण से पूर्व व एक माह बाद खून का नमूना प्रयोगशाला में टेस्ट के लिये भेजा जाता है। फिलहाल जनपद में किसी भी पशु के खून में एफएमडी वायरस नहीं निकला है। इन बीमारियों से बचाने के लिये पशुपालकों को सावधानियां भी बरतनी चाहिये। पशुओं के बांधने के स्थान पर सफाई रखें। बीमार पशु के सीधे संपर्क में आने, पानी, घास, दाना, बर्तन, दूध निकालने वाले व्यक्ति के हाथों से, हवा से एफएमडी वायरस फैलता है। यह खुले में घास, चारा, तथा फर्श पर चार महीनों तक जीवित रह सकते हैं। तापमान बढ़ने से यह जल्द ही नष्ट भी हो जाते हैं। यह विषाणु जीभ, मुंह, आंत, खुरों के बीच की जगह, थनों तथा घाव आदि के द्वारा पशु के रक्त में पहुंचते हैं और पांच दिन में उसे बीमार कर देता है। कई बार गर्भपात भी हो जाता है। इस रोग का कोई निश्चित उपचार नहीं है। बीमारी होने पर लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। रोगी पशु में सेकेंड्री संक्रमण को रोकने को उसे एंटीबायोटिक दिये जाते हैं। मुंह व खुरों के घावों को फिटकरी या पोटाश के पानी से धोते है। मुंह में बोरो-ग्लीसरीन तथा खुरों में एंटीसेप्टिक लोशन या क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होने बताया कि जल्द ही मुंहपका और खुरपका से बचाव के लिए वैक्सीनेशन कराया जाएगा।

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