Parks in Gonda A Crucial Need Amidst Urbanization and Growing Population बोले गोण्डा: गोण्डा के पार्कों का पुरसाहाल नहीं, जिम्मेदार बेपरवाह, Gonda Hindi News - Hindustan
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बोले गोण्डा: गोण्डा के पार्कों का पुरसाहाल नहीं, जिम्मेदार बेपरवाह

Gonda News - बढ़ती आबादी और घनी कॉलोनियों के बीच पार्कों की स्थिति बेहद खराब है। कूड़े और गंदगी से भरे इन पार्कों में लोग जाने से कतराते हैं। बच्चों का बचपन घरों में कैद हो गया है। प्रशासन को इन पार्कों के संरक्षण...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोंडाWed, 28 May 2025 04:45 PM
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बोले गोण्डा: गोण्डा के पार्कों का पुरसाहाल नहीं, जिम्मेदार बेपरवाह

बढ़ती आबादी, सिमटते मैदानों के साथ बदलते जीवन के परिवेश में पार्कों की अहम भूमिका है। इसी के चलते कॉलोनियों व सोसाइटी के बीच पार्कों का भी निर्धारण जरूरी कर दिया गया है। नौनिहालों का बचपन घरों में कैद होकर न रह जाए व बुजुर्गों और महिलाओं को सुकून के दो पल, खुली ताजी हवा मिल सकें, इसके लिए पार्कों का प्रावधान किया गया है। हिन्दुस्तान ने बोले गोण्डा मुहिम के तहत इस मुद्दे पर शहर के लोगों से बातचीत की। गोण्डा। घनी आबादी और बढ़ती कॉलोनियों के बीच सुकून के दो पल लोगों को पार्क में मिल जाता है। लेकिन शहर के ज्यादातर पार्क बदहाल पड़े हैं।

इससे दिन भर दफ्तर के कामकाज के बाद तनाव भरी जिंदगी में पार्क में सुकून मिलना भी मुश्किल हो गया है। इसी तरह महिलाएं व बच्चों से लेकर बुजुर्गों के दिन भी घरों और कमरों में बीत रहा है। पार्कों से न सिर्फ सुकून गायब है बल्कि खुद में एक समस्या बने हुए हैं। जिन कॉलोनियों के बीच में पार्क बने हैं, कई तरह के तनाव अलग से दे रहे हैं। कूड़े कचरे के ढेर से लेकर, जगह-जगह फैली गंदगी, जानवरों का बसेरा, ऊबड़ खाबड़, निर्माणाधीन भवनों का मलबे आदि से पार्क सजे हुए हैं। यहां तक कि उस पार्क की तरफ किसी के जाने की इच्छा तक नहीं होती है। बच्चों को उस ओर रुख करने भी नहीं देते हैं। आलम यह है कि पार्कों में घूमने-टहलने से अधिक वह समस्या बने हुए हैं। गेट टूटे, दीवारें गिरी और गड्ढों की भरमार है। हिन्दुस्तान के मुहिम बोले गोंडा में लोगों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आधुनिक जीवन शैली के बीच पार्कों का संरक्षण व सुंदरीकरण अहम है। ऐसा कोई घर, परिवार अथवा व्यक्ति नहीं है, जो इसका प्रयोग न करता हो। वैसे भी घर से ऊबे तो पार्कों की ओर बढ़ जाते हैं लेकिन अतिक्रमण और वहां फैली गंदगी की वजह से मुंह फेर लेना पड़ रहा है। झाड़-झंखाड़ उगे होने से लोग बच्चों को भी नहीं जाने दे रहे हैं। ज्यादातर पार्क खुद में समस्या बने हैं। कई पार्कों की ऐसी स्थिति बनी हुई है कि पूरे कॉलोनी की सूरत को बर्बाद कर रहा है बल्कि, उसके बीच से उठने वाली गंदगी, पैदा होने वाले मच्छर लोगों को बीमार बना रहे हैं। इतना ही नहीं, खाने-पीने का सामान प्लास्टिक समेत कूड़े में फेंकने पर उसका सेवन बीमार पड़े जानवर पार्कों की शोभा बने हुए हैं। मुख्यालय के करीब दर्जन भर वार्डों में कोई पार्क नहीं है। जबकि डेढ़ दर्जन वार्डों में पार्क मौजूद हैं तो वे बदहाली और दुर्दशा के शिकार हैं। कई पार्क तो सुंदरीकरण के नाम पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े हुए हैं। मानसून में यहां समस्याओं में जलभराव से लेकर गंदगी फैलने में इजाफा होना तय है। इससे निपटना पालिका परिषदों व प्रशासन के लिए एवरेस्ट चढ़ने के बराबर है। निस्तारण के लिए कई बार अभियान चलाए गए लेकिन चंद दिनों में बदहाल होकर फिर वहीं ढाक के तीन पात साबित होकर रह गए। शहर के गिने-चुने पार्क ही बैठने लायक मुख्यालय के करीब दर्जन भर वार्डों में पार्क बने हुए हैं, लेकिन उनमें देखने लायक दो-चार गिनती भर के हैं। आवास विकास फेज-एक में 19 पार्क बने हैं। लेकिन यहां सिर्फ प्रेरणा पार्क को छोड़कर बाकी सभी बदहाली के शिकार हैं। गेट व बाउंड्री टूटी होने के साथ गंदगी की भरमार और जानवरों का बसेरा बना है। बताते हैं कि वर्ष 2014 में तिकुनिया पार्क में 27.54 लाख रुपये खर्च किए गए थे। लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से हालात फिर बदतर हो चुके हैं। सिविल लाइन द्वितीय में दो पार्क अगल-बगल हैं। लेकिन झाड़-झंखाड़ की वजह से कोई उसमें जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। बाकी आसपास के लोगों ने कब्जा कर रखा है। सिविल लाइन प्रथम व तृतीय में पार्क तो कई हैं, लेकिन सिर्फ कागजों तक सिमटे हैं। रात में खूबसूरत दिखता है चेतना पार्क जिले के अफसरों के कॉलोनियों के बीच बना चेतना पार्क रात में रोशनी से न सिर्फ नहा उठता है बल्कि खूबसूरत नजारा होता है। बताते हैं कि पांच वर्ष पहले इस पार्क का सुंदरीकरण पांच करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। इसके मुकाबले शहरी क्षेत्र में कोई दूसरा पार्क नहीं है। इस पार्क में सुबह अधिकारियों व उनके परिवार के लोग भी सैर सपाटे व योग करने आते हैं। ट्रांसफार्मर लगे होने से पार्क बना बदसूरत नैय्यर कॉलोनी में आबादी के बीच करीब आधा दर्जन पार्क हैं। इनमें एक पार्क में जंगली पौधों के अलावा बिजली विभाग की ओर से दो बड़े ट्रांसफार्मर लग जाने से बदसूरत सा दिखता है। लोगों का कहना है कि हाईटेंशन तार की वजह से कोई यहां फटकता नहीं है। वर्षों पहले करंट की चपेट में आकर एक जानवर की मौत हो चुकी है। पार्क के लिए भूमि घोषित पर बना है तबेला मेवातियान मोहल्ले में पार्क बनवाने के लिए डीएम से लेकर पालिका अधिकारियों को पत्र सौंपा गया है। मोहल्लेवासियों का कहना है कि पार्क की भूमि तो घोषित है, लेकिन मौके पर तबेला बना हुआ है। कई बार पालिका को इसकी सूचना दिए जाने के बावजूद भी अब तक अवैध कब्जा नहीं हट सका है। घरों में कैद हो रहा है बचपन पालिका गोण्डा में रानीबाजार, महरानीगंज, मकार्थीगंज, छेदीपुरवा, साहेबगंज, अहिरान, पटेलनगर पश्चिमी व पूर्वी, दयानंद नगर, राजा मोहल्ला समेत दर्जन भर से अधिक मोहल्ले हैं, जहां आलीशान भवन तो ज्यादातर दिखेंगे। लेकिन कहीं पर भी पार्क नहीं है। सुबह-शाम बच्चे खेलना भी चाहें तो कोई जगह नहीं है। बच्चों को यहां के लोग नेहरू स्टेडियम में लेकर जाते हैं। कहीं खाली जगह दिख भी रही है तो वहां कूड़े और गंदगी का ढेर लगा रहता है। नालियों के टूटे होने और उसमें पानी भरे होने से कहीं सड़कों पर बच्चों को खेलने की जगह नहीं मिल पा रही है। बच्चों का बचपन घरों में कैद होकर बीत रहा है। प्रस्तुति: एसएन शर्मा, फोटो: पंकज तिवारी पिंटू बोले लोग -------------------- घर के सामने स्थित पार्क में गंदगी की भरमार है। इसकी वजह से कोई उधर झांकने की हिम्मत नहीं कर पाता है। सुधार की जरूरत है। कई बार इस पार्क के सुधार को लेकर शिकायतें की गई पर सुना नहीं गया। -अरविंद कुमार श्रीवास्तव शहर में पार्कों की दुर्दशा व गंदगी होने के बावजूद जिम्मेदार अफसर ध्यान नहीं देते हैं। हर बार सिर्फ अभियान चलाकर ही कोरम पूरा किया जाता है इस तरफ विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। -राकेश कुमार श्रीवास्तव बदहाली के चलते पार्कों में कोई जाना नहीं चाह रहा है, इससे आसपास के लोगों को बड़ी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। बच्चे कहीं खेल नहीं पा रहे हैं। इससे उनका शारीरिक विकास प्रभावित होता है। -अवधेश सिंह आवास विकास के फेज-एक के पार्क में बड़ी गड़बड़ी है, कोई अधिकारी इस पर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। पार्क में गंदगी की वजह से घरों तक दुर्गध फैलती है, कम से कम इसकी व आसपास सफाई होनी चाहिए। -भारती नेहरू जागरूकता की कमी की वजह से पार्कों में जगह-जगह कचरे के ढेर जमा दिखाई देते हैं। इसको लेकर लोगों को ध्यान देने की जरूरत है। सामने पार्क है तो वे ही इसका उपयोग करेंगे। -पुष्पा मिश्रा बोले जिम्मेदार ------------------------ पार्कों के रखरखाव और सुंदरीकरण के लिए विभिन्न विभागों को जिम्मा सौंपा गया है। नगरीय क्षेत्रों में निकाय इसकी देखरेख करते हैं, कई बार पालिका अधिकारियों के साथ अभियान चलाया गया है। जहां शिकायतें मिलती, वहां कार्रवाई की जाती है। इस संबंध में पालिका अफसरों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। -पंकज वर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट

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