Delhi High Court refuses to entertain plea to form Gujjar regiment in Indian Army सेना में गुज्जर रेजिमेंट की मांग को लेकर दिल्ली HC में याचिका, हाई कोर्ट ने दिया यह जवाब, Ncr Hindi News - Hindustan
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सेना में गुज्जर रेजिमेंट की मांग को लेकर दिल्ली HC में याचिका, हाई कोर्ट ने दिया यह जवाब

याचिका में कहा गया कि गुज्जर रेजिमेंट की स्थापना से समान अवसर उपलब्ध होंगे, भर्ती बढ़ेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी। इसमें कहा गया, 'गुज्जर रेजिमेंट की मांग पहले भी उठ चुकी है, फिर भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीWed, 28 May 2025 04:37 PM
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सेना में गुज्जर रेजिमेंट की मांग को लेकर दिल्ली HC में याचिका, हाई कोर्ट ने दिया यह जवाब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए खारिज कर दिया, जिसमें गुज्जर रेजिमेंट के गठन के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। साथ ही इस याचिका को पूरी तरह से विभाजनकारी बताते हुए मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को फटकार भी लगाई और कहा कि ऐसी याचिकाओं को लगाने से पहले वे कुछ शोध कर लिया करें। जिसके बाद अदालत के चेतावनी देने व जुर्माना लगाने वाले मूड को भांपते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस ले ली।

यह जनहित याचिका रोहन बसोया नाम के शख्स ने दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि भारतीय सेना ने ऐतिहासिक रूप से जातीय-आधारित रेजिमेंटों को बनाए रखा है, जो राष्ट्रीय रक्षा में विशिष्ट समुदायों के योगदान को मान्यता देते हैं। याचिका में कहा गया कि हालांकि इस व्यवस्था से गुज्जरों को बाहर रखने से प्रतिनिधित्व में असंतुलन पैदा होता है और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।

याचिका में दावा किया गया कि 'अन्य समुदायों की तरह ही गुज्जर समुदाय का बहादुरी का इतिहास रहा है। इस समुदाय से जुड़े लोगों ने 1857 के विद्रोह, 1947, 1965, 1971 और 1999 में हुए भारत-पाक युद्धों और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों समेत विभिन्न सैन्य अभियानों में भाग लिया है। लेकिन इतनी समृद्ध सैन्य विरासत होने के बावजूद गुज्जरों को सिखों, जाटों, राजपूतों, गोरखाओं और डोगरा समेत अन्य सैन्य समुदायों की तरह एक समर्पित रेजिमेंट नहीं दी गई।'

याचिका में कहा गया कि गुज्जर रेजिमेंट की स्थापना से समान अवसर उपलब्ध होंगे, भर्ती बढ़ेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी। इसमें कहा गया, 'गुज्जर रेजिमेंट की मांग पहले भी उठ चुकी है, फिर भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और पंजाब जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में समुदाय की मौजूदगी को देखते हुए, गुज्जर रेजिमेंट आतंकवाद विरोधी और सीमा सुरक्षा अभियानों में रणनीतिक सैन्य हितों की भी पूर्ति करेगी।'

याचिका में सरकार को गुज्जर रेजिमेंट के गठन की व्यवहारिकता पर अध्ययन करने और इसकी स्थापना के लिए जरूरी उपाय लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई। सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से कहा, 'कृपया समझें कि आप सबसे बड़ा आदेश देने की मांग कर रहे हैं। वह कौन सा कानून है जो आपको ऐसी रेजिमेंट रखने का अधिकार देता है? वह अधिकार कहां है?'

दोनों जजों के सामने काफी देर तक बहस करने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें अदालत में मौजूद याचिकाकर्ता से याचिका वापस लेने के निर्देश मिले हैं। जिसके बाद पीठ ने कहा याचिका को वापस ली गई मानते हुए खारिज किया जाता है।