खेती किसानी: ढैंचा की बुआई करने का यही सही समय
Gorakhpur News - गोरखपुर में बारिश और ओलावृष्टि के बाद किसानों को खेतों में ढैंचा बोने की सलाह दी गई है। रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता घट रही है। सरकार 50% अनुदान पर 300 कुंतल ढैंचा बीज वितरित...

गोरखपुर। मुख्य संवाददाता गुरुवार को ग्रामीण समेत शहरी क्षेत्रों में जोरदार बारिश और ओलावृष्टि हुई। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक रबी की फसल कटने से खाली पड़े खेतों की बारिश से नर्म हुई मिट्टी में जुताई करने का यही सही समय है। खेत की जुताई कर किसान धान की फसल उगाने से पहले हरी खाद यानी ढैंचा की बुआई कर सकते हैं। गोरक्षनगरी में 50 फीसदी अनुदान पर 300 कुंतल ढैंचा बीज किसानों में उपलब्ध कराया जा रहा है। असल में रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता शक्ति तेजी से घट रही है। इसमें सुधार लाने के लिए ढैंचा सबसे बेहतर विकल्प है।
गोरखपुर जिले में 300 कुंतल ढैंचा बीज का आवंटन कर किसानों में 11685 रुपये प्रति कुंतल की दर से वितरित किया जा रहा है। प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम ढैंचा बीज की बुआई करनी है। संयुक्त कृषि निदेशक डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि खेत में ढैंचा बीज की बुआई करें। 45 दिन बाद फसल को खेत में जुताई कर दें। इससे मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने और उसमें जैविक पदार्थों की पूर्ति करने में मदद मिलेगी। खेत को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, जस्ता, तांबा, मैगनीज, लोहा, मोलिब्डेनम आदि तत्व भी मिलते हैं। इसके अलावा खेत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ाकर उसकी भौतिक दशा को सुधारा जा सकता है। उन्होंने बताया कि एक किलो ढैंचा के बीज का मूल्य 116.85 रुपये है। 50 प्रतिशत अनुदान काट किसानों को भुगतान करना है। नम्बर गेम - 116.85 रुपया प्रति किलोग्राम ढैंचा बीज उपलब्ध - 50 फीसदी ढैंचा बीज पर सरकार दे रही अनुदान - 300 कुंतल ढैंचा बीज किसानों में वितरण के लिए उपलब्ध - रासायनिक उर्वरकों से निर्भरता में कमी लाएगी हरी खाद इस तरह करें बुआई किसान खाली खेत में हल्की सिंचाई करके 40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से ढैंचा के बीज की बुआई करते हैं। फसल जब लगभग 45-50 दिन (फूल आने से पूर्व) की हो जाती है। इससे धान की रोपाई से पूर्व हरी खाद के साथ खेत खरीफ फसल की बुआई के लिए तैयार हो जाती है। टैंचा के अंदर कम उपजाऊ भूमि में भी अच्छी तरह से उगने की शक्ति होती। ढैंचा होता है नाइट्रोजन का बड़ा स्रोत खेतों में कार्बनिक तत्व कम होते जा रहे हैं। हरी खाद से मिट्टी में इनकी मात्रा बढ़ती है। हरी खाद नाइट्रोजन का बड़ा स्रोत है। ढैंचा की फसल खेत में जोतने से मिट्टी की पानी धारण करने की क्षमता और फसल की पैदावार बढ़ती है। इसके अलावा फसल अवशेष जैसे पत्ती, पराली आदि को गलाकर भी खाद बनाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
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