अमृत भारत स्टेशन योजना विकसित भारत की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
Gorakhpur News - भारत सरकार की अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1300 से अधिक रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है। ये स्टेशन न केवल यात्रियों के लिए बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी केंद्रित होंगे। इस योजना का...
तेज एवं विश्वसनीय परिवहन व्यवस्था राष्ट्र के निर्माण की नींव होती है। इतिहास साक्षी है कि विकास की रफ्तार उन स्थानों पर तेज रही है, जहां आवागमन की अच्छी सुविधा उपलब्ध रहती है। भारत के सबसे प्राचीन नगरों की बात करें तो वे सभी महत्वपूर्ण नदियों के किनारे स्थित थे, उदाहरण स्वरूप गंगा नदी के तट पर पाटलीपुत्र एवं काशी, क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जयिनी, जिसे उज्जैन के नाम से जानते हैं, सरयू नदी के किनारे स्थित कोशल राज्य इत्यादि। इन नगरों के विकसित होने का मुख्य कारण उस समय की महत्वपूर्ण परिवहन व्यवस्था से जुड़ा होना था, इन नदियों पर स्थित बंदरगाहों पर अनेक राज्यों से व्यापारी व्यवसाय के लिए आते, जिससे यह स्थान उस समय काल मे बड़े व्यापारिक केंद्र के रूप मे विकसित हुए, जिसके फलस्वरूप इन नगरों की अर्थव्यवस्था काफी अच्छी थी।
सिंधु नदी के किनारे स्थित सभ्यताओं के बारे मे सभी ने पढ़ा है जोकि प्राचीन भारत मे बेहतर परिवहन व्यवस्था का परिचायक रहा है। कदाचित यही सबसे बड़ा कारण था, भारत के सोने की चिड़ियाँ होने के पीछे। समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्र के माध्यम से शुरू हुए, जिसके फलस्वरूप समुद्र तट पर स्थित नगरों का विकास एवं विस्तार हुआ। देश के अंदर सड़कों का विकास शुरू हुआ, लेकिन इसमे प्रमुख समस्या बरसात मे होती थी, जब सड़क मार्ग से यात्रा मुश्किल हो जाती थी। इसी दौरान 19 वीं शताब्दी के मध्य से भारत मे एक नई परिवहन व्यवस्था का उद्भव हुआ, जब देश की पहली रेलगाड़ी 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर से ठाणे के बीच चलाई गई। देखते ही देखते इस नई परिवहन व्यवस्था का पूरे देश मे विस्तार होने लगा, और अगले सौ वर्षों मे यह देश की जीवन रेखा बन गई। परंतु आरंभ से ही इसका उपयोग एवं उपभोग कॉलोनियल व्यवस्था को सुदृढ़ करने मे किया गया। इसके विस्तार का प्रमुख उद्देश्य देश की प्राकृतिक संपदा का दोहन एवं रणनीतिक दृष्टिकोण से समय से आर्म्ड फोर्सेस की उपलब्धता सुनिश्चित करना था। रेलवे के विकास के साथ ही देश मे व्यवसाय के पुराने केंद्र नदियों के किनारे पर स्थित बंदरगाह धीरे-धीरे बंद होने लगे और नदियों के माध्यम से यातायात भी समय के साथ लगभग न के बराबर हो गया। कालांतर मे इनका स्थान रेलवे स्टेशनों ने ले लिया जिन्हे छोटे बंदरगाह के रूप मे समझा जा सकता है, परंतु कॉलोनियल सिस्टम मे स्टेशनों को सिर्फ यात्रियों के लिए ही प्रतिबंधित रखा गया इसलिए इनका स्वरूप न तो बंदरगाहों जैसा हो सका न ही क्षेत्र मे इसके माध्यम से आपेक्षित विकास ही हो पाया। वर्तमान मे भारत सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत हो रहे स्टेशनों के पुनर्विकास से नए व्यावसायिक एवं नागरिक केंद्रित सेवा को बढ़ावा मिलेगा। देश भर मे 1300 से ज्यादा ऐसे स्टेशन बनाए जा रहे हैं। ज्यादातर रेलवे स्टेशन शहर या मार्केट के बीच मे स्थित हैं, ऐसे मे उनके अप्रोच एवं सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार भी इसमे सम्मिलित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत स्टेशनों को सिटी सेंटर के रूप मे विकसित किया जा रहा है, जिससे रेलवे स्टेशन न सिर्फ यात्रियों के लिए उपयोगी हो बल्कि आसपास के क्षेत्र के निवासी आम जनमानस का भी विकास हो। भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो रही है, जिसके फलस्वरूप लोगों का झुकाव नगरों की ओर तेजी से बढ़ रहा है, इसका मुख्य कारण तेज गति युक्त एवं किफायती पब्लिक परिवहन की सुविधा का अभाव होना। भारतीय रेल एक ऐसा परिवहन का माध्यम है, जो इस अभाव को खत्म कर ग्रामीण क्षेत्रों का शहरीकरण कर सकता है। पिछले एक दशक मे भारतीय रेल एक तीव्रगामी ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप मे विकसित हो रही है, नमो भारत रैपिड ट्रेन एक वानगी मात्र है। बड़े स्टेशनों को बड़े व्यावसायिक केंद्र के रूप मे विकसित किया जा रहा है तो वहीं छोटे स्टेशनों को सिटी सेंटर के रूप मे तैयार किया जा रहा है। ऐसे स्टेशनों के आस पास आवासीय कालोनी बन सकती है और उन स्थानों से बड़े शहरों तक सीधी एवं तेज कानेक्टिविटी से शहरीकरण भी हो सकेगा। ऐसे मे भारतीय रेल ‘अमृत भारत स्टेशन योजना के रूप मे विकसित भारत की नीव रख रहा है। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 2 वर्ष से भी कम की अवधि में 103 रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकसित कर इसका उद्घाटन किया जा रहा है। रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की यह गति अद्वितीय है। अनेक कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि जिन परियोजनाओं का वह शिलान्यास करते हैं उनका उद्घाटन भी वही करते हैं। वस्तुत: विकसित होते हुए भारत की यह नई संस्कृति है, जिसके तहत परियोजनाओं को पूरा करने की गति काफी तेज हुई है। भारतीय रेल ने जितनी तेज गति से इस काम को संपन्न किया है, उसके लिए उसकी सराहना की जानी चाहिए। अमृत भारत स्टेशन के अंतर्गत उत्तरप्रदेश मे कुल 157 रेलवे स्टेशनों विकसित किया जा रहा है, जिनमे से 19 स्टेशनों – बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, स्वामी नारायण छपिया, मैलानी, गोला गोकरन नाथ, रामघाट हाल्ट, इज़्ज़तनगर, बरेली सिटी, उझानी, हाथरस सिटी, सुरेमनपुर, बिजनौर, सहारनपुर, फतेहाबाद, गोवर्धन, इदगाह आगरा जंक्शन, पोखरायां, गोविंदपुरी एवं करछना को पुनर्विकसित कर लिया गया है। 190 करोड़ से अधिक की लागत से विकसित इन स्टेशनों में स्थानीय संस्कृति, आधुनिक वास्तुकला एवं उत्कृष्ट यात्री सुविधा, तीनों का समन्वय है। इन स्टेशनों पर भव्य प्रवेश द्वार, आकर्षक फसाड, हाई मास्ट लाइटिंग, आधुनिक प्रतीक्षालय, टिकट काउंटर, मॉर्डन टॉयलेट और दिव्यांगजन के लिए सुगम रैंप जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं। उच्चीकृत प्लेटफॉर्म, यात्री शेल्टर, कोच इंडिकेशन सिस्टम और सूचना के लिए डिजिटल डिस्प्ले लगाए गए हैं। सभी सुविधाओं को दिव्यांगजन अनुकूल बनाया गया है। वहीं, हर स्टेशन पर उत्तरप्रदेश की विविध कला, संस्कृति और लोक परंपराओं की झलक भी देखने को मिल रही है। सिद्धार्थनगर स्टेशन पर बौद्ध संस्कृति की झलक दिख रही है, जहां से देश, विदेश से बड़ी संख्या मे बौद्ध अनुयायी लुम्बिनी जाने के लिए आते हैं। भगवान बुद्ध को समर्पित इस स्टेशन भवन को स्थानीय संस्कृति एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। स्टेशन भवन में सुधार करते हुए पोर्च का निर्माण किया गया है, जो स्टेशन भवन को भव्यता प्रदान कर रहा है। महात्मा बुद्ध के जन्म स्थली के निकट होने के कारण स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया एवं स्टेशन में उनकी आकर्षक प्रतिमा लगाई गई है, जो स्टेशन भवन एवं परिसर को भव्यता प्रदान कर रहा है। छोटी काशी के नाम से मशहूर गोला गोकरन नाथ स्टेशन को स्थानीय संस्कृति एवं आधुनिक वास्तुकला के अनुरूप बनाया गया है। मैलानी स्टेशन एक महत्वपूर्ण जंक्शन है जहां से दुधवा नेशनल पार्क जाने के लिए मीटर गेज की ट्रेन जाती है, जिसमे एक विशेष रूप से डिजाइन किया हुआ टुरिस्ट कोच लगाया जाता है। सरयू नदी के अयोध्या तट पर स्थित रामघाट हाल्ट स्टेशन पर यात्रियों के लिए 1164 वर्ग मीटर में नया मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया है। इस मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स में श्रद्धालु यात्रियों एवं पर्यटकों के ठहरने का उत्तम प्रबंध किया गया है। इसके लिए 05 रिटायरिंग रूम तथा 04 डारमेट्री बनाई गई है। स्वामी नारायण छपिया स्टेशन को स्वामी नारायण मंदिर के तर्ज पर विकसित किया है, इस स्टेशन के समीप स्वामी नारायण जी का जन्म स्थली है। सहारनपुर स्टेशन को शाकंभरी देवी के मंदिर के अनुरूप डिजाइन किया गया है। गोविंदपुरी स्टेशन पर 12 मीटर चौड़ा फुट ओवर ब्रिज (रुफ प्लाज़ा) भी बनाया गया है। इसी प्रकार बिजनौर, इज़्ज़तनगर, बरेली सिटी, उझानी, हाथरस सिटी, सुरेमनपुर, फतेहाबाद, गोवर्धन, इदगाह आगरा जंक्शन, पोखरायां एवं करछना अब केवल ट्रांजिट पॉइंट ही नहीं हैं बल्कि एक सिटी सेंटर के रूप मे विकसित किए गए हैं जिनका लाभ न सिर्फ यात्रियों को बल्कि स्थानीय जनमानस को मिल रहा है । अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत उत्तरप्रदेश अब उस दिशा में बढ़ रहा है, जिसका हर स्टेशन स्थानीय संस्कृति, आधुनिक वास्तुकला एवं बेहतर यात्री सुविधा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। रेल का पहिया देश के विकास का पहिया है। रेलवे स्टेशन विकास के रथ पर सवार देश के प्रमुख केंद्र हैं। भारतीय रेल और रेलवे स्टेशनों की प्रगति में हर भारतीय की सहभागिता है। इस सहभागिता को और मजबूत करना है। इनकी सुरक्षा करना, इनको स्वच्छ बनाए रखना भी हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है।
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