श्रीमद् भागवत से आती है सुख शांति और खुशहाली
Hapur News - -धर्म के बताए सद्मार्ग पर चलने से मिलती है आत्मिक संतुष्टि ती है ईश्वर की कृपा -जीवों पर दया करने वाले कभी कष्टों में नहीं घिरते फोटो नंबर २११ गढ़मुक्

दीन दुखियों की मदद करने वालों पर भगवान की असीम कृपा बरसती है, इसलिए अपनी सामथ्र्य के अनुसार गरीब निराश्रितों की हरसंभव मदद करते रहें। ब्रजघाट गंगानगरी में अमृत परिसर धर्मशाला के पास चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस में गुरुवार को गोकर्ण उपाख्यान का वर्णन सुनकर महिला बच्चों समेत भक्तों की भीड़ भाव विहोर हो उठी। वृंदावन धाम से आए व्यास मोहन दास ने गोकर्ण उपाख्यान का वर्णन करते हुए कहा कि आत्मदेव के घर में कोई पुत्र नहीं है, तो वे पुत्र के लिए रोते हैं। पुत्र नहीं होता है तो माता पिता दो चार साल रोते हैं, परंतु अगर पुत्र होने के बाद नालायक हो जाए तो माता पिता जीवन भर रोते हैं।
यह संसार बड़ा विचित्र है जैसी ममता हम संसार में करते हैं, वैसी ममता भगवान के चरणों में हो जाए तो कल्याण हो जाएगा। जिसको तुमने अपना माना है यह तो सिर्फ तुम्हारा वहम है। समाज में प्रतिष्ठा पाने के लिए सुंदर मकान बनाने के साथ ही पत्नी और बच्चों से प्रेम करना भी धर्म है। दुकान में आठ घंटे बैठकर धन कमाना औैर उसे पत्नी बच्चों को समर्पित करना भी धर्म है। परंतु पत्नी, बच्चे, मकान, खजाना मेरा है, इसके बगैर मैं जी नहीं सकता। ऐसा सोचना चिंता करना ही अधर्म और बंधन का प्रमुख कारण है। व्यास ने कहा कि भागवत कथा में परम धर्म का निरुपण किया गया है। उन्होंने कहा कि कृष्ण कथा का सुनना परम धर्म है। व्यास ने सुखदेव जी महाराज द्वारा राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाने का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने पार्वती जी को अमर कथा सुनाई, जिसके प्रभाव से तोते का बच्चा अमर हो गया और वेदव्यास जी की धर्मपत्नी के गर्भ से शुकदेव के रूप में प्रकट हो गया। इस दौरान श्री गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष विनय कुमार मिश्रा, पंडित शिव मूर्ति पांडेय, प्रदीप शर्मा, मोहित शर्मा, राहुल शर्मा, जितेंद्र वर्मा, पुष्पा देवी, सुषमा मिश्रा, गीता वैष्णव समेत काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।
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