भारतीय सैनिकों के शौर्य को महिलाओं ने सराहा
Hapur News - हापुड़ में लोगों ने भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकियों के कैंपों को नष्ट करने की खबर पर खुशी का इजहार किया। विशेषकर महिलाओं में जश्न का माहौल था, जिन्होंने मिठाइयाँ बांटी। इस अभियान को 'ऑपरेशन...

हापुड़। 14 दिन पहले आतंकियों द्वारा कश्मीर में पर्यटकों को मारे जाने के बाद से लोगों में आक्रोश था। मंगलवार देर भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकियों के कई कैंप ध्वस्त कर दिया। हापुड़ के लोगों को इसका का पता सुबह उठने पर लगा। उन्होंने सोशल मीडिया पर समाचार देखा तो खुशी से झूम उठे। महिलाओं में आप्रेशन सिंदूर नाम से से की गई कार्रवाई की बात सुन जश्न मनाया। सेवानिवृत्त 1971 और 1965 तथा 1999 के युद्ध में शामिल रहे भारतीय सैनिकों ने गर्व से कहा कि यह इतिहास रचा गया है। 7 मई को मॉकड्रिल कराए जाने को लेकर यह तय मान रही थी कि 8 मई के बाद भारत पाक से बदला ले सकता है।
मंगलवार को भी मॉक ड्रिल की बात पर चिंतन और चर्चा करते हुए रोजमर्रा की तरह लोग सो गए। सुबह होने पर जब लोगों ने मोबाइल पर समाचार देखे तो पूरा माहौल ही बदल गया। कुछ ही देरी में एक दूसरे को मोबाइल पर बात करके रात को हुए भारतीय हमले की चर्चा जोर पकड़ने लगी। सुबह 10 बजे तक पूरा जिले में खुशी के माहौल छा गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर देश भक्ति के गाने तथा हर हर महादेव के जयकारों के साथ रील बनकर छाने लगी। हर तरफ हर हर महादेव के नारे गूंजने लगे। महिलाएं सबसे ज्यादा खुश महिलाओं को छोड़कर पुरुषों की हत्या करने वाले आतंकवादियों ने जो संदेश दिया था उससे महिला वर्ग में ज्यादा दहशत थी। सरकार द्वारा मिशन का नाम आप्रेशन सिंदूर रखा गया। रात को हमले में पाकिस्तान के आतंकियों की तबाही की खबर से जिले में महिला खुश हो गईं। महिलाओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। पूनम सचदेवा ने कहा कि आतंकियों ने जो धमकी दी उनको क्या पूरे पाकिस्तान को प्रधानमंत्री ने बता दिया कि भारत में एक चुटकी सिंदूर की कीमत क्या होती है। 1995 में शहीद हुए रणजीत सिंह निवासी ककौड़ी को शौर्य चक्र मिला है। बबीता का कहना है कि एक चुटकी सिंदूर की कीमत पूरे जहान को बता दी हिन्दुस्तान ने। हिन्दुस्तान के बेटी और बेटों से टकराएगा तो चूर चूर हो जाएगा। 1971 में शहीद की पत्नी को मिली राहत बाबूगढ़ के लुखराडा के रहने वाले आशिक अली सेना में भर्ती हुए थे। 1971 में शादी हुई थी तभी युद्ध के लिए सूचना आ गई थी। आशिक अली युद्ध में चले गए जिनको पाकिस्तान में घुसने पर पाक सैनिक ने गोली मार दी थी। उसके बाद वे आज तक वापस लौट कर नहीं आए। सरकार ने शहीद की उपाधि दे दी है। उनकी पत्नी खातून को जब कार्रवाई की जानकारी मिली तो बहुत खुश हुई।
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