Increase in Varshneya society's participation in politics वार्ष्णेय समाज की राजनीति में बढ़े भागीदारी, Hathras Hindi News - Hindustan
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वार्ष्णेय समाज की राजनीति में बढ़े भागीदारी

  • प्रमुख से लेकर क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को चुनाव के समय में ही वाष्र्णेय समाज की याद आती है, चुनाव बीतने के बाद सभी लोग वाष्र्णेय समाज भूल जाते हैं। शहर में 40000 हजार से अधिक उनकी आबादी होने के बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने उने समाज के व्यक्ति को चुनावों में टिकट नहीं दिया।

Sunil Kumar हिन्दुस्तानMon, 21 April 2025 06:50 PM
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वार्ष्णेय समाज की राजनीति में बढ़े भागीदारी

अच्छी-खासी संख्या में वाष्र्णेय समाज की आबादी और मतदाता हैं, लेकिन इसके बाद भी वाष्र्णेय समाज का कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं है। इसकी मुख्य वजह है कि राजनीतिक दलों द्वारा समाज के किसी भी व्यक्ति को चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाए जाना। सोमवार को शहर के घंटाघर स्थित वाष्र्णेय समाज के प्राचीन ठाकुर मंदिर श्री गोविंद भगवान में हिन्दुस्तान के अभियान ‘बोले हाथरस’ में वाष्र्णेय के लोगों ने अपनी बात को रखा। देवांशू वाष्र्णेय और प्रवीन वाष्र्णेय ने बताया कि हाथरस में काफी संख्या में वाष्र्णेय समाज की आबादी है, वाष्र्णेय समाज की लगभग 4000 की आबादी शहर में रहती और 25000 मतदाता है, लेकिन इसके बाद भी किसी भी राजनीतिक दल द्वारा लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय के चुनाव में समाज के व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाया है। मनोज वाष्र्णेय और शिवम वाष्र्णेय ने बताया कि हाथरस विधानसभा चुनाव में 35000 हजार से अधिक समाज के मतदाता हैं। चुनाव नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक दल के नेता और पदाधिकारी समाज के लोगों से संपर्क साधने में जुट जाते हैं। जिससे की समाज का एक मुश्त वोट उन्हें मिल जाए और उनकी पार्टी का प्रत्याशी जीत जाए, लेकिन चुनाव बीतने के बाद भी कोई भी जनप्रतिनिधि और किसी भी राजनीतिकल दल का नेता समाज की सुध लेने नहीं आता है। कभी किसी के द्वारा समाज की समस्याओं के बारे में जानकारी नहीं ले जाती है। कुल मिलाकर वाष्र्णेय समाज का वोट लेकर उनके साथ छलावा किया जा रहा है। लक्ष्मीकांत वाष्र्णेय और वीनेश वाष्र्णेय ने बताया कि शहर के घंटाघर पर समाज का प्राचीन 150 वर्ष पुरान गोविंद भगवान मंदिर है। हर साल गोविंद भगवान की तिमंजिला रथ शोभायात्रा शहर में धूमधाम के साथ निकाली जाती है, लेकिन शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए कभी भी किसी के द्वारा पहल नहीं की जाती है। वाष्र्णेय समाज के लोग बताते हैं कि प्रतिदिन मंदिर पर दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं, लेकिन मंदिर के आस-पास काफी ज्यादा गंदगी रहती है। बारिश के दिनों में कीचड़ और गंदगी होने से परेशानी और बढ़ जाती है। तिमंजिला रथ शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान खस्ताहाल सड़क और हाईटेंशन लाइन की वजह से काफी ज्यादा परेशानी होती है, कई बार तिमंजिला रथ हादसे का शिकार हो गया है।

40000 आबादी व 25000 मतदाता

हाथरस सदर विधानसभा सीट को ब्राह्मण और वैश्य बाहुल्य सीट के तौर पर जाना जाता है। इसकी मुख्य वजह है कि शहर में हजारों की संख्या में वाष्र्णेय समाज की आबादी का निवास करना है। शहर में लगभग 40000 वाष्र्णेय समाज के लोग निवास करते हैं। जिसमें 25000 मतदाता भी शामिल हैं।

150 साल पुराना ठाकुर गोविंद भगवान का मंदिर

शहर के घंटाघर पर पर ठाकुर गोविंद भगवान का 150 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण वाष्र्णेय के बुजुर्गों द्वारा कराया गया था। आज इस मंदिर की देख-रेख वाष्र्णेय के लोगों द्वारा की जाती है। इसके लिए मंदिर श्री गोविंद भगवान प्रबंधक समिति बनी हुई है। हर तीन साल बाद प्रबंध समिति का चुनाव होता है। जिसमें समाज के लोगों द्वारा अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों को चुनाव के माध्यम से चुना जाता है।

112 साल से निकल रही तिमंजिला रथ शोभायात्रा

हर वर्ष रंगों के त्योहार होली पर वाष्र्णेय समाज और मंदिर श्री गोविंद भगवान प्रबंध समिति के बैनर तले गोविंद भगवान की तिमंजिला रथ शोभायात्रा निकाली जाती है। इस शोभायात्रा में 40 से अधिक झांकिया और बैंड शामिल रहते थे है। इसके अलावा गोविंद भगवान के तिमंजिला रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं। शोभायात्रा में तिमंजिला रथ मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है।

वोट हासिल करने के बाद अनदेखी करते राजनीतिक दल

वाष्र्णेय समाज के 25000 से अधिक हाथरस शहर में मतदाता होने के बाद भी कोई भी जनप्रतिनिधि समाज से नहीं चुना जाना यह समाज की एक पीड़ा है। वाष्र्णेय समाज के लोग कहते हैं कि लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय के चुनाव नजदीक आने के साथ प्रमुख से लेकर क्षेत्रीय राजनीतिक दल समाज के लोगों से संपर्क साधकर अपने प्रत्याशी को समर्थन देने की मांग करते हैं, जिससे की वाष्र्णेय समाज का एक मुश्त वोट उनके प्रत्याशी को मिल सकें, लेकिन चुनाव बीतने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि और राजनीतिकदल के पदाधिकारी समाज को भूल जाते हैं।

शहर में नहीं कोई मंदिर, हाईवे बनवाया जाए पार्क

वाष्र्णेय समाज के लोगों का कहना है कि शहर में अक्रूर जी महाराज का कोई भी बड़ा मंदिर नहीं है और न किसी चौक और चौराहे पर प्रतिमा लगी है। समाज के लोगों ने मांग करते हुए कहा कि शहर में अक्रूर जी महाराज का मंदिर बनवाया जाए। आगरा-अलीगढ़ व मथुरा-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अक्रूर जी महाराज के नाम से पार्क का निर्माण कराया जाए और वहां अक्रूर जी महाराज की प्रतिमा लगवाई जाए।

समाज का चुना जाए जनप्रतिनिधि ता सरकार तक पहुंचे पीड़ा

वाष्र्णेय समाज के लोगों का कहना है कि शहर हजारों की संख्या में मतदाता होने के बाद भी आजतक उनके समाज से कोई जनप्रतिनिधि नहीं चुना गया है। राजनीतकदलों द्वारा केवर उनके समाज का वोट लेने का काम किया गया है। वाष्र्णेय समाज के लोगों ने मांग करते हुए कहा कि सभी विधानसभा, लोकसभा और नगरीय निकाय वह सीट जो सामान्य हैं। उन सीट पर वाष्र्णेय समाज के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। जिससे की उनके समाज का व्यक्ति चुनाव में जीत दर्जकर देश के सबसे बड़े सदन लोकसभा और प्रदेश के विधानसभा के सदन तक पहुंचकर समाज की बात को सरकार तक रख सकें।

फैक्ट फाइल:

40000 की आबादी वाष्र्णेय समाज की शहर में निवास करती है

25000 मतदाता वाष्र्णेय समाज के हाथरस शहर में

150 साल पुराना वाष्र्णेय समाज का ठाकुर गोविंद भगवान का मंदिर

शिकायत और सुझाव:

वाष्र्णेय की शहर में बड़ी आबादी होने के बाद भी अनदेखी की जा रही है।

वाष्र्णेय समाज के मतदाताओं का वोट लेकर राजनीतिक दल भूल जाते हैं।

अक्रूर जी महाराज के नाम से कोई भी पार्क नहीं है।

प्राचीन और एतिहासिक ठाकुर गोविंद भगवान मंदिर के बाहर गंदगी रहती है।

गोविंद भगवान की तिमंजिला रथ शोभायात्रा में प्रशासन से नहीं मिलता सहयोग।

सुझाव:

वाष्र्णेय समाज की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।

वाष्र्णेय समाज के व्यक्ति को राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में प्रत्याशी बनाना चाहिए।

अक्रर जी महाराज के नाम से शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर पार्क का निर्माण हो।

गोविंद भगवान मंदिर के बाहर प्रतिदिन साफ-सफाई होनी चाहिए और चूने का छिड़काव होना चाहिए।

गोविंद भगवान की तिमंजिला रथ शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान प्रशासन से सहयोग मिलना चाहिए।

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