पत्नी की इच्छा के बिना अप्राकृतिक सेक्स करना भी दहेज उत्पीड़न का अपराधः इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी की इच्छा के बिना अप्राकृतिक सेक्स दहेज उत्पीड़न का भी अपराध है। कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के लिए बयान में बताई गई क्रूरता ही पर्याप्त है। मामला प्रयागराज के शिवकुटी थाने का ही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि बालिग पत्नी की सहमति से पति द्वारा अप्राकृतिक सेक्स किया जाता है तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा लेकिन जबरदस्ती व बिना सहमति के पत्नी से अप्राकृतिक सेक्स आईपीसी की धारा 377 का अपराध होगा। कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा दहेज के लिए परेशान करने को पत्नी की इच्छा के विपरीत अप्राकृतिक सेक्स करना दहेज उत्पीड़न का अपराध है। साथ ही मेडिकल जांच से इनकार करना किसी केस की कार्यवाही को निरस्त करने का आधार नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के लिए बयान में बताई गई क्रूरता ही पर्याप्त है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने इमरान ख़ान उर्फ अशोक रत्न की याचिका खारिज करते हुए दिया है।
कोर्ट ने दहेज की मांग पूरी कराने के लिए पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स कर लगातार परेशान करने के आरोप में लंबित आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए याची को नियमानुसार जमानत अर्जी दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि दो बालिग सहमति से अप्राकृतिक सेक्स करते हैं तो अपराध नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस हद तक आईपीसी की धारा 377 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 व 21 के विपरीत मानते हुए असंवैधानिक करार दिया है लेकिन यह स्पष्ट भी किया है कि नाबालिग, जानवर या बिना सहमति पुरुष का स्त्री से अप्राकृतिक सेक्स अपराध होगा।
कोर्ट ने कहा कि स्त्री पुरुष का सेक्स नैसर्गिक है। अन्य तरीके नैसर्गिक नहीं है। भारत सहित पूरे विश्व ने इस नई परिभाषा को स्वीकार किया है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के अलावा अन्य स्त्री की इच्छा के विरुद्ध सेक्स भी अपराध है। कानून में हुए बदलाव के कारण सेक्स की परिभाषा में भी बदलाव आया है। अब समलैंगिक के अप्राकृतिक सेक्स को नैसर्गिक सेक्स के रूप में स्वीकार किया गया है। पीड़िता ने याची के खिलाफ प्रयागराज के शिवकुटी थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।याचिका में कहा गया था कि शिकायतकर्ता व आरोपी पति, पत्नी हैं इसलिए अप्राकृतिक सेक्स का अपराध नहीं बनता। साथ ही दहेज की विशेष मांग का आरोप नहीं है इसलिए मुकदमे की कार्यवाही रद्द की जाए। कोर्ट ने याची के तर्कों को भ्रामक करार देते हुए मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।