फतेहपुर की मदीना मस्जिद पर अभी नहीं चलेगा बुलडोजर, हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक बढ़ाई, जानें क्या है मामला
हाईकोर्ट ने फतेहपुर की मदीना मस्जिद के ध्वस्तीकरण के मामले में अगली सुनवाई तक इस ढांचे को ध्वस्त करने से मना कर दिया। न्यायमूर्ति अंतरिम आदेश अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया। इस केस की अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फतेहपुर जिले की मदीना मस्जिद के ध्वस्तीकरण के मामले में अधिकारियों को अगली सुनवाई तक इस ढांचे को ध्वस्त करने से मना कर दिया। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई पूरी नहीं होने के कारण न्यायमूर्ति मनीष निगम ने अंतरिम आदेश अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया। साथ ही इस केस की सुनवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह में करने का आदेश दिया।
यह याचिका वक्फ सुन्नी मदीना मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हैदर अली द्वारा ग्राम सभा की जमीन पर अवैध निर्माण के खिलाफ पारित आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई है। यह आदेश उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67(5) के तहत पारित किया गया था। याचिकाकर्ता के वकील एसएफए नकवी ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत की गई कार्यवाही में ऋषिपाल एवं अन्य बनाम राज्य सरकार के मामले में 2013 में दिए गए निर्णय का अनुपालन नहीं किया गया।
उन्होंने यह दलील भी दी कि संपूर्ण प्रक्रिया 26 दिनों के भीतर संपन्न कर दी गई और याचिकाकर्ता को मामले के पक्ष में साक्ष्य दाखिल करने का कोई अवसर नहीं दिया गया। अंतरिम आदेश पारित करते हुए अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी है कि धारा 67 के तहत कार्रवाई करते समय याचिकाकर्ता की आपत्ति पर कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं किया गया है और मात्र इस आधार पर आदेश पारित कर दिया गया कि याचिकाकर्ता ने ग्राम सभा की जमीन पर अतिक्रमण किया है। याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल अपील को भी खारिज कर दिया गया।”
क्या है मामला
मलवां थाना क्षेत्र के कोटिया रोड पर मदीना मस्जिद स्थित है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने साल 1976 में मस्जिद के निर्माण के लिए तीन बिसवा की जमीन आवंटित की थी। आरोप है कि तहसील प्रशासन ने तालाबी नंबर मस्जिद के निर्माण को अवैध बताकर इसे गिराने का आदेश दे दिया। इस पर मस्जिद कमेटी के सदर हैदर अली ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने यूपी राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत जिस प्रक्रिया पर अमल किया वह पूर्ण रूप से मनमानी थी. इसके अलावा 26 दिन में ही पूरी कार्रवाई को निपटा दिया गया था। याचिकाकर्ता के मुताबिक मस्जिद के आस-पास की जमीनों पर कुछ लोगों ने सालों से कब्जा किए हुए हैं। जिसे लेकर प्रशासन ने 2021 में नोटिस जारी कर हटने का आदेश दिया था। लेकिन अब तक आदेश पर कोई अमल नहीं हुआ है।