भागवत ने दिया ‘भावनात्मक एकात्मता का संदेश
Lakhimpur-khiri News - गोला के मुस्तफाबाद स्थित कबीर धाम आश्रम में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने वेदों और संतों की वाणी के माध्यम से भावनात्मक एकात्मता का संदेश दिया। उन्होंने भारतीयता, परिवार के महत्व और विश्वगुरु बनने की...

गोला गोकर्णनाथ। गोला के मुस्तफाबाद स्थित कबीर धाम आश्रम पहुंचे संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने वेदों, संतों की वाणी और भारतीय परंपराओं के जरिए भावनात्मक एकात्मता का संदेश दिया। मोहन भागवत ने कहा कि हमारी भाषा, प्रांत, पंथ, संप्रदाय, उपासना पद्धति, समस्याएं सब अलग-अलग हैं। लेकिन फिर भी हम एक हैं। भागवत ने कहा कि अगर हमें विश्वगुरु बनना है है तो सभी भारतीयों को प्रयास करना होगा। इस दौरान मोहन भागवत ने वेदों, उपनिषदों से लेकर संतों की वाणी के जरिए भारतीयता का संदेश दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत दोपहर 12 बजे कबीरधाम आश्रम पहुंचे। वहां अधिकारियों, संघ पदाधिकारियों और संतों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने संतों के साथ संवाद किया। दोपहर तीन बजे के करीब संघ प्रमुख ने भक्त भवन का शिलान्यास किया। साथ ही रुद्राक्ष के पौधे को रोपा। संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने दोपहर साढ़े तीन बजे से संबोधन शुरू किया। मोहन भागवत ने कहा कि हमारी पहचान खुद से और हमारे कुटुंब से है। हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति सिर्फ भारतीय है। लेकिन खुद को भारतीय बताने के लिए हमें कुछ करना पड़ता है। आज दुनिया हमें अपेक्षा की दृष्टि से देख रही है। क्या हम अपेक्षा पूरी कर पा रहे हैं?
दुनिया जानती है कि भारत से ही मिलेगा रास्ता: भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि कभी दुनिया हमको हेय दृष्टि से देखती थी। पर अब दुनिया जानती है कि भारत से ही रास्ता मिलेगा। भागवत ने कहा कि दो हजारा सालों तक दुनिया खोज में लगी रही। भारत छोड़कर बाकी दुनिया बाहरी चीजों पर निर्भर रही। दुनिया भौतिकवाद पर अटकी रही। दुनिया बाहरी प्रयोग में लगी रही। हमने भी सुख की खोज की, लेकिन हमारा सुख भौतिकवाद तक सीमित नहीं रही। हमने भौतिकता से लेकर आध्यात्मिकता तक का सफर तय किया है। पूरी दुनिया कहती रही कि सिर सलामत तो पगड़ियां हजार हैं, लेकिन हमने आध्यात्म की दृष्टि से दुनिया को देखा।
भागवत ने कहा कि पूर्वजों से सीखें भारतीय
मोहन भागवत ने कहा कि हम भारतीयों को अपने पूर्वजों से सीखना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने दुनिया में ज्ञान बांटा, लेकिन हमने किसी देश पर कब्जा नहीं किया और न ही धर्म परिवर्तन ही कराया। मैक्सिको से लेकर साइबरिया तक हमारे पूर्वज गए। वहां हमारे वेदों के जरिए ज्ञान बांटा, लेकिन वहां अपने प्रभुत्व का प्रयोग नहीं किया। यह संदेश दिया कि दुनिया को जीतकर नहीं, जोड़कर प्रभावित करना है। भागवत ने कहा कि पंथ-सम्प्रदाय विवाद के लिए नहीं है। पंथ संप्रदाय सिर्फ उपासना के लिए है। अगर अच्छे से उपासना हो तो कोई विवाद ही नहीं रहेगा।
बोले भागवत, परिवार ही समाज की एक इकाई
संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने लोगों को परिवार का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए व्यक्ति महत्वपूर्ण है, लेकिन भारतीयों के लिए कुटुंब सबसे महत्वपूर्ण है। हमारी पूरी व्यवस्था परिवार पर टिकी है। हर परिवार के लोग परिश्रम करते हैं। हर परिवार में बचत होती है। हमारा अर्थतंत्र ही परिवार पर आधारित है। परिवार से ही समाज और फिर राष्ट्र का निर्माण होता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।