Lucknow Lokbandhu Hospital fire incident: Someone carried the patient on their shoulders someone ran away with the bed लखनऊ लोकबंधु अस्पताल अग्निकांड : किसी ने कंधे पर मरीज लादा, कोई बेड लेकर भागा, मची चीख पुकार, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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लखनऊ लोकबंधु अस्पताल अग्निकांड : किसी ने कंधे पर मरीज लादा, कोई बेड लेकर भागा, मची चीख पुकार

  • लखनऊ लोकबंधु अस्पताल अग्निकांड के दौरान दौरान महिला वार्ड में आग की लपटें तो जान बचाने के लिए भागते मरीज और तीमारदार नजर आ रहे थे। किसी ने कंधे पर मरीज लादा, कोई बेड लेकर भागा। धुएं से सांसें उखड़ने लगी थीं।

Deep Pandey लाइव हिन्दुस्तानTue, 15 April 2025 05:29 AM
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लखनऊ लोकबंधु अस्पताल अग्निकांड : किसी ने कंधे पर मरीज लादा, कोई बेड लेकर भागा, मची चीख पुकार

लखनऊ लोकबंधु अस्पताल में अग्निकांड के दौरान लपटों और धुएं के गुबार के बीच मरीज, तीमारदार, अस्पताल और अग्निशमन कर्मी जान बचाने की जंग लड़ रहे थे। इस दौरान महिला वार्ड में आग की लपटें तो जान बचाने के लिए भागते मरीज और तीमारदार नजर आ रहे थे। कोई मुंह में मास्क लगाकर भाग रहा था तो कोई कपड़ा लपेट कर। धुएं के कारण सांस उखड़ रही थी। दमकल कर्मियों ने कई मरीजों को बाहर से सीढ़ी लगाकर सुरक्षित निकाला।

अस्पताल में चारों ओर सिर्फ चीत्कारें सुनाई दे रही थीं। भगदड़ के दौरान कई लोग लड़खड़ा कर गिर पड़े। उन्हें पुलिस और दमकल कर्मियों ने उठाया। हड्डी विभाग में 20 दिन से भर्ती नीलम गुप्ता का पैर टूटा था। उनके पति कुलदीप और अन्य परिवारीजन बेड समेत उन्हें लेकर बाहर की ओर भागे। आलमबाग की कलावती ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण सुबह ही भर्ती हुई थीं। अग्निकांड के दौरान धुएं में उनका दम घुटने लगा। मुंह से चीख भी नहीं निकल पा रही थी। सांसें उखड़ने लगीं। यह देख दामाद राजेश बत्रा उन्हें गोद में लेकर बाहर की ओर भागे। मुख्य गेट पर भीड़ अधिक थी, इसलिए उन्हें निकलने में पांच से सात मिनट लग गए। इसी तरह बाराबिरवा के मनीष का बायां पैर टूटा था। पैर पर प्लास्टर चढ़ा था। चलने में असमर्थ थे। परिवारीजन उन्हें आनन-फानन गोद में लेकर बाहर निकले। नीलम के पति कुलदीप ने बताया कि एकाएक महिला वार्ड से चीख-पुकार उन्हें सुनाई दी। वह हड्डी विभाग वार्ड से बाहर निकले तो लोग चीख पुकार करते हुए भाग रहे थे। वह पत्नी के पास पहुंचे। परिवारीजन की मदद से बेड समेत उन्हें लेकर बाहर निकले। गेट पर भीड़ अधिक थी। लोग धक्का मुक्की कर रहे थे। इस बीच एसीपी कृष्णानगर विकास पांडेय और दमकल कर्मी पहुंच गए। सबको ढाढस बंधाया। इसके बाद लोगों को सुरक्षित स्थान पर निकाला गया। लोकबंधु अस्पताल में सोमवार रात को धधकी आग की लपटें दूर से ही दिखाई दे रही थीं।

ये भी पढ़ें:लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में भीषण आग, मरीजों को लेकर बेड सहित बाहर भागे तीमारदार

लखनऊ लोकबंधु अस्पताल में अग्निकांड के दौरान लपटों और धुएं के गुबार के बीच मरीज, तीमारदार, अस्पताल और अग्निशमन कर्मी जान बचाने की जंग लड़ रहे थे। इस दौरान महिला वार्ड में आग की लपटें तो जान बचाने के लिए भागते मरीज और तीमारदार नजर आ रहे थे। कोई मुंह में मास्क लगाकर भाग रहा था तो कोई कपड़ा लपेट कर। धुएं के कारण सांस उखड़ रही थी। दमकल कर्मियों ने कई मरीजों को बाहर से सीढ़ी लगाकर सुरक्षित निकाला।

अस्पताल में चारों ओर सिर्फ चीत्कारें सुनाई दे रही थीं। भगदड़ के दौरान कई लोग लड़खड़ा कर गिर पड़े। उन्हें पुलिस और दमकल कर्मियों ने उठाया। हड्डी विभाग में 20 दिन से भर्ती नीलम गुप्ता का पैर टूटा था। उनके पति कुलदीप और अन्य परिवारीजन बेड समेत उन्हें लेकर बाहर की ओर भागे। आलमबाग की कलावती ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण सुबह ही भर्ती हुई थीं। अग्निकांड के दौरान धुएं में उनका दम घुटने लगा। मुंह से चीख भी नहीं निकल पा रही थी। सांसें उखड़ने लगीं। यह देख दामाद राजेश बत्रा उन्हें गोद में लेकर बाहर की ओर भागे। मुख्य गेट पर भीड़ अधिक थी, इसलिए उन्हें निकलने में पांच से सात मिनट लग गए। इसी तरह बाराबिरवा के मनीष का बायां पैर टूटा था। पैर पर प्लास्टर चढ़ा था। चलने में असमर्थ थे। परिवारीजन उन्हें आनन-फानन गोद में लेकर बाहर निकले। नीलम के पति कुलदीप ने बताया कि एकाएक महिला वार्ड से चीख-पुकार उन्हें सुनाई दी। वह हड्डी विभाग वार्ड से बाहर निकले तो लोग चीख पुकार करते हुए भाग रहे थे। वह पत्नी के पास पहुंचे। परिवारीजन की मदद से बेड समेत उन्हें लेकर बाहर निकले। गेट पर भीड़ अधिक थी। लोग धक्का मुक्की कर रहे थे। इस बीच एसीपी कृष्णानगर विकास पांडेय और दमकल कर्मी पहुंच गए। सबको ढाढस बंधाया। इसके बाद लोगों को सुरक्षित स्थान पर निकाला गया। लोकबंधु अस्पताल में सोमवार रात को धधकी आग की लपटें दूर से ही दिखाई दे रही थीं।

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तीसरे तल पर फंसे थे रोगी सीढ़ी लगाकर निकाला

तीसरे तल पर कुछ मरीज फंसे थे। लपटें और धुआं इतना भयावह था कि जीने के रास्ते निकालना मुश्किल नहीं था। दमकल कर्मियों ने बाहर से सीढ़ी लगाई और तीसरे तल पर पहुंचे। खिड़कियों के शीशे तोड़े। इसके बाद उन्हें कांधे पर लादकर निकाला गया।