सब्जियों के दाम घटने से महंगाई में और गिरावट आने की उम्मीद, मुद्रास्फीति 4% से नीचे रहेगी
- Inflation Rate: मार्च में मुद्रास्फीति के 3.5% तक कम होने की संभावना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। खाद्य कीमतों में कमी और आरबीआई की नीतियों से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।
खाने-पीने के सामान की कीमतों में गिरावट आने से खुदरा महंगाई दर मार्च में और घटकर 3.5% पर आ सकती है। यह दर फरवरी में 3.6% थी। मिंट के सर्वे में यह अनुमान जताया गया है। अगर यह अनुमान सही साबित होता है, तो लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई चार फीसदी से नीचे रहेगी। साथ ही यह कम से कम पांच वर्षों में मुद्रास्फीति में निरंतर कमी का सबसे लंबा दौर होगा।
मिंट के सर्वे में भाग लेने वाले 14 अर्थशास्त्रियों ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर के 3.3% से 3.9% के दायरे में रहने का अनुमान जताया है। हालांकि, इनमें से तीन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि फरवरी की तुलना में मार्च में मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है। आधिकारिक आंकड़े 15 अप्रैल यानी आज जारी किए जाएंगे।
खाद्य कीमतों में गिरावट प्रमुख कारण
एएनजेड बैंक के अर्थशास्त्री धीरज निम ने कहा कि हमारा अनुमान है कि महंगाई में और गिरावट आने की संभावना है, जो खाद्य कीमतों, विशेष रूप से सब्जियों के दाम घटने से होगी। सर्दियों के महीनों में खाद्य कीमतों में सामान्य मौसमी गिरावट इस बार देर से शुरू हुई, लेकिन नई फसलों की अच्छी आपूर्ति के कारण में तीव्रता दर्ज की गई। सब्जियों की महंगाई दर फरवरी में नकारात्मक क्षेत्र में आ गई, जबकि नवंबर 2023 से जनवरी 2025 तक लगभग हर महीने इसमें दो अंकों की वृद्धि देखी गई थी। इससे कुल महंगाई दर को नीचे लाने में मदद मिली।
औसत महंगाई अब भी लक्ष्य से ऊपर
हाल के सुधार के बावजूद, मार्च के अनुमान को ध्यान में रखते हुए 2024-25 के लिए औसत मुद्रास्फीति 4.6% रहेगी। यह भारतीय रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के 4% के लक्ष्य से अधिक है, लेकिन इसके 4.8% के अनुमान से कम है। आरबीआई के पिछले सप्ताह के अनुमानों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में ज्यादातर समय मुद्रास्फीति 4% से नीचे रहेगी। आरबीआई ने पूरे वर्ष के लिए मुद्रास्फीति 4.0% अनुमानित की है, जिसमें पहली तिमाही में 3.6%, दूसरी में 3.9%, तीसरी में 3.8%, और चौथी में 4.4% शामिल है।
ब्याज दर में एक और कटौती की संभावना
विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च में मुद्रास्फीति के 3.5% तक कम होने की संभावना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। खाद्य कीमतों में कमी और आरबीआई की नीतियों से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। आरबीआई ने इस वर्ष अब तक दो बार प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) दरों में कटौती की है। अब जून में 25 आधार अंकों की एक और कटौती की उम्मीद की जा रही है।