शोधकर्ताओं को भारत के स्वतंत्रा संग्राम के समाजशास्त्रीय पक्षों पर अध्ययन करना चाहिए
Lucknow News - लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में प्रो. राजीव गुप्ता द्वारा भारत में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के एकीकरण की संभावनाओं पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने साधारण व्यक्ति के अध्ययन, सामाजिक मुद्दों...

लखनऊ, कार्यालय संवाददाता लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में शुक्रवार को भारत में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के एकीकरण की संभावनाएं विषय पर विशेष व्याख्यान हुआ। व्याख्यान पूर्व अध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय प्रो. राजीव गुप्ता ने दिया। प्रो. राजीव गुप्ता ने व्याख्यान की शुरुआत एक गूढ़ प्रश्न से की: क्या आप एक सामान्य व्यक्ति का अध्ययन एक सामाजिक विज्ञान शोधकर्ता के रूप में कर सकते हैं? उन्होंने बताया कि मुख्यधारा समाजशास्त्रीय सिद्धांतों में अक्सर साधारण व्यक्ति की अवधारणा को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। इस संदर्भ में उन्होंने सामाजिक विज्ञान की विभिन्न शाखाओं को जोड़ने वाले एक समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समाजशास्त्रीय पक्षों पर अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। जिसे एक समृद्ध लेकिन उपेक्षित क्षेत्र बताया। उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा और अनुसूचित जनजातियों की सांस्कृतिक विकास यात्रा जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा की और बताया कि किस प्रकार स्थानीय परंपराएं महान परंपराओं में रूपांतरित होती हैं। इसके साथ ही उन्होंने पुस्तकों पर बढ़ती निर्भरता पर चिंता व्यक्त की और अकादमिक समुदाय से मूल ग्रंथों की ओर लौटने का आह्वान किया।
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