Veterans of 1971 Bangladesh War from Nautanwa Heroes Who Faced Adversity 71 की जंग में शामिल सैनिकों में आज भी जज्बा बरकरार, Maharajganj Hindi News - Hindustan
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71 की जंग में शामिल सैनिकों में आज भी जज्बा बरकरार

Maharajganj News - महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। 1971 जंग में नौतनवा के 10 सैनिक शामिल हुए थे।

Newswrap हिन्दुस्तान, महाराजगंजThu, 8 May 2025 09:17 AM
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71 की जंग में शामिल सैनिकों में आज भी जज्बा बरकरार

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। 1971 जंग में नौतनवा के 10 सैनिक शामिल हुए थे। युद्ध में कुछ साथियों के खो देने का गम भी उन्हें हैं। लेकिन जज्बा आज भी उतना ही है। जब वह पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाते हुए उनके घर में घुसकर घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। कुछ सैनिकों की मृत्यु भी हो चुकी है। कुछ आज भी देश के लिए कुर्बान होने का जज्बा रखते हैं। 1971 की जंग लड़ चुके पूर्व सैनिक कस्बे के विभिन्न मोहल्ले में अपने परिवार के साथ आज भी निवास करते हैं। गोलियों की तड़ तड़ाहट और ग्रेनाइट से हमले की गूंज आज भी उन्हें जंग की याद दिला देती है।

जंग के उस दौर को याद कर आज भी पूर्व सैनिकों की आंखें नाम हो जाती हैं। देश की अलग-अलग सीमाओं पर तैनात बटालियन को युद्ध शुरू होते ही बांग्लादेश की सीमा पर भेजा गया था। कस्बे के रहने वाले पूर्व सैनिक तूल बहादुर थापा, रामकुमार थापा, अब्दुल्लाह कुरैशी एव सूरज कुमार थापा बताते हैं कि पाकिस्तान सेना से लोहा लेते हुए बांग्लादेश की सीमा करीमगंज में दाखिल हो गए थे। वहां उन्होंने दर्जनों पाकिस्तानी सैनिकों को अपने निशाने पर ले लिया। पूर्व सैनिक बताते हैं कि जब बांग्लादेश की सीमा आठग्राम तक पहुंच गए और वहां झंडा भी लहरा दिया था। इस दौरान पाकिस्तान सेना के अधिकतर सैनिक मारे गए थे। जो बचे थे वह भाग कर अपनी जान बचाई थी। इस युद्ध में उनके बटालियन के कई सैनिक साथी भी शहीद हो गए थे। आंखों से आंसू भी बह रहे थे, लेकिन हिम्मत बरकरार थी। पूर्व सैनिकों ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों के सहारे दहशत फैलाने का काम करता है। आमने-सामने की लड़ाई लड़ने की उसकी हैसियत भी नहीं है। दोबारा जरूर पड़ी तो पाकिस्तान की सीमा में घुसकर तिरंगा फहराया जाएगा। 1971 की बांग्लादेश की लड़ाई में नौतनवा के इन जवानों ने दुश्मनों से लिया था मोर्चा नौतनवा की धरती के जिन 10 रणबांकुरों ने 1971 की बांग्लादेश की लड़ाई में दुश्मनों से मोर्चा लेते हुए छक्के छुड़ाए थे, वे आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। नौतनवा कस्बे के रहने वाले हरि बहादुर गुरुंग कैप्टन के पद पर तैनात थे। वहीं राम कुमार थापा सूबेदार मेजर, तूल बहादुर थापा राइफलमैन, राम बहादुर नायब सूबेदार, शेर बहादुर राइफलमैन, ईश्वरदास राणा ले/नायक, मन बहादुर नायक एवं सूरज कुमार थापा राइफलमैन के पद पर तैनात थे।

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