बोले मैनपुरी: पहलगाम के खिलाफ दे रहीं पैगाम
Mainpuri News - मैनपुरी। पहलगाम की घटना होने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया। सीमा पर युद्ध जैसे हालात भी पैदा हो गए।

पहलगाम की घटना होने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया। सीमा पर युद्ध जैसे हालात भी पैदा हो गए। लेकिन सीज फायर हुआ तो पाकिस्तान को भारत के हमले से बचने का मौका मिल गया। यह सीज फायर क्यों हुआ। किन शर्तों पर हुआ। इस पर चर्चा नीति निर्धारकों को करनी है। लेकिन आम आदमी के मन में अभी भी पाकिस्तान और उसके द्वारा पाले जा रहे आतंकवादियों के मन में गुस्सा भरा हुआ है। इस घटनाक्रम में विशेष रूप से आधी आबादी ऑपरेशन सिंदूर के समर्थन में खड़ी हुई थी। आधी आबादी अभी भी यही चाहती है कि पाकिस्तान यदि फिर से इस तरह की जुर्रत करें तो उसे हमेशा के लिए सबक सिखा दिया जाए।
ताकि फिर से महिलाओं का सिंदूर न उजड़े। ऑपरेशन सिंदूर की जरूरत न पड़े। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी संवाद में महिलाओं ने कहा कि महिलाएं चाहते हैं कि जो जमीन भारत का हिस्सा है वहां सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए जाएं। भारत-पाकिस्तान के बीच जब-जब युद्ध हुआ है तब तक पाकिस्तान को घुटनों के बल भारत के सामने खड़ा होना पड़ा है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की 91000 हजार सेना ने भारत के सैनिकों के सामने आत्म समर्पण किया। पहलगाम की घटना के बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया। अब फिर से पाकिस्तान परस्त आतंकवाद फैलाने वाले लोग भारत में आतंकवादी घटनाएं करें तो इस बार ऑपरेशन सिंदूर के स्थान पर ऑपरेशन नेस्तनाबूद पाकिस्तान शुरू किया जाए। मैनपुरी की महिलाएं बोले संवाद के दौरान पहलगाम की घटना से बेहद नाराज नजर आईं। साथ ही महिलाओं ने कहा कि जो भी देश आतंक या फिर आतंकियों को समर्थन देने वाले देश का साथ दे, उसके साथ व्यापारिक संबंधों को तत्काल खत्म कर देना चाहिए। उनकी नाराजगी खत्म नहीं हो रही। महिलाएं चाहती हैं कि कुर्बानी से देश को जीत मिलेगी तो फिर कुर्बानी देने के लिए वे भी तैयार हैं, लेकिन अब किसी निर्दोष की हत्या आतंकवादियों के हाथों न हो। ऐसा इंतजाम सरकार को जरूर करना चाहिए। आतंकवाद के बाद युद्ध हो, यह जरूरी नहीं है। पाकिस्तान और उसके समर्थक देशों के साथ साथ सारे व्यापार संबंध खत्म कर लिए जाएं। इंसानियत के चलते भारत पाकिस्तान को ज्यादा सजा नहीं देता। लेकिन आतंकवादियों द्वारा जो घटनाएं की जाती हैं वह इंसानियत की सबसे बड़ी दुश्मन है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरे देश में तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने देश को खुश होने का मौका दिया है लेकिन हमें ये भी नहीं भूलना है कि जिन 28 लोगों की जानें चली गईं उन लोगों के घरों में मातम फैलाने वाले लोगों को सजा अभी तक नहीं मिली है। जो आतंकवादी देश में आए और 28 लोगों को मारकर चले गए उन आतंकियों को जब तक मौत की सजा नहीं मिलती, यदि वे पकड़े जाएं और उन्हें फांसी पर न लटकाया जाए तब तक किसी भी देशवासी को चेन नहीं मिलेगा। मौत का जवाब मौत है, आतंकवादियों को ये संदेश देना बहुत जरूरी है। रखी अपनी बात देश को तोड़ने वाले मानसिकता को जड़ से खत्म करना जरूरी है। सरकार से अनुरोध है कि आतंक का समर्थन करने वालों की संपत्ति जब्त कर देश हित में लगाई जाए। आगे फिर कोई देश से गद्दारी न करे। आतंकियों का सफाया होगा तो देश में शांति आएगी। -राखी राजपूत हमारा गुस्सा अब आंसुओं में नहीं, एक मजबूत देश की मांग में बदल गया है। सरकार को चाहिए कि अग्निवीर जैसी अस्थायी योजनाएं बंद कर स्थायी भर्ती शुरू करे। युवाओं को भरोसेमंद अवसर मिलें। जिससे युवाओं में देश सेवा की भावना जाग्रत हो। -शैलजा राठौर हमने अपने घरों के दीप बुझते देखे हैं। अब और नहीं। सरकार को आतंकवादियों को तुरंत फांसी देनी चाहिए। पाकिस्तान की सीमा के अंदर घुसकर ठिकाने नष्ट किए जाएं। महिलाएं अब सिर्फ घर नहीं, देश की रक्षा के लिए भी तत्पर हैं। सैनिक प्रशिक्षण जरूरी है। -सैफाली यादव सरकार को अब नरमी छोड़कर आतंकवाद पर कड़ी नीति बनानी चाहिए। पाकिस्तान की हरकतें अगर नहीं रुकीं तो उसे आर्थिक, राजनीतिक रूप से अलग-थलग किया जाए। आतंकियों को पकड़कर कोर्ट-कचहरी नहीं, तुरंत सज़ा दी जाए। देश की रक्षा अब सर्वोपरि होनी चाहिए। -रिचा मिश्रा मैंने पहलगाम की तस्वीरें देखीं, रात भर सो नहीं पाई। अब डर नहीं, गुस्सा है। आतंकवाद के खिलाफ सरकार को हर मोर्चे पर जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया जाए कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा। महिलाओं को भी रक्षा प्रशिक्षण मिले। -निशिता यादव आतंकी हमलों में घायल लोगों को त्वरित और विशेष स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए। सरकार से मांग है कि सभी जिलों में सैन्य स्टाइल इमरजेंसी मेडिकल रिस्पांस यूनिट बनाई जाए। जिससे समय रहते उन्हें उपचार मिल जाएगा। -अमिता कुशवाहा एनसीसी में बहुत सी बातें सीखी हैं, पर हमें सेना में शामिल होने के पर्याप्त अवसर नहीं मिलते। मेरी सरकार से मांग है कि एनसीसी में प्रशिक्षण लेने वाले बालिकाओं को सेना में प्राथमिकता मिले। साथ ही स्कूलों में ही सैनिक शिक्षा अनिवार्य कर दी जाए। -सीमा यादव
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