बोले मथुरा: यमुना के प्रदूषण ने खत्म कर दी तरबूज और खरबूज की मिठास
Mathura News - मांट क्षेत्र में एक दशक पहले यमुना की बालू में तरबूज-खरबूज का उत्पादन होता था, लेकिन अब प्रदूषण के कारण इसकी खेती खत्म हो गई है। यमुना के केमिकल युक्त पानी ने किसानों को तरबूज की खेती बंद करने पर...

एक दशक पूर्व तक मांट क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खादर की जमीन पर यमुना की बालू में देशी तरबूज-खरबूज का उत्पादन होता था। मांट के नाम से तरबूज-खरबूज हाथों हाथ बिक जाते थे। यहां मथुरा जिले के अलावा आस पास के जिलों से लोग केवल मांट के तरबूज-खरबूज खरीदने आते थे। वहीं किसान इन्हें दूर दराज के शहरों में भी ट्रकों में भर कर बेचने जाते रहते थे। वहां अच्छा खासा मुनाफा उन्हें मिलता था। मिठास के लिए मशहूर मांट के तरबूज-खरबूज अब गुजरे जमाने की बात हो गयी है। इसका कारण यमुना का प्रदूषण है। जिसके कारण देशी तरबूज-खरबूज तो अब किसानों ने उगाना ही बंद कर दिया है।
यमुना के केमिकल युक्त पानी के चलते इस फल की अब खादर में पैदावार नहीं हो रही है। परिणाम यह है कि मांट के तरबूज-खरबूज की मिठास अब यादें बनकर रह गई है। किसानों ने भी इसकी खेती कम कर दी है। यमुना के प्रदूषण ने खत्म की ये खेती एक समय था कि यमुना जल निर्मल था। यमुना के जल की तली की रेत साफ दिखती थी। पिछले कई वर्षों से यमुना प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। न केबल दिल्ली की ओर से लगातार केमिकल युक्त पानी यमुना में गिर रहा है, बल्कि मथुरा के भी तमाम नाले यमुना में सीधे गिर रहे हैं। प्रदूषित जल ने मांट में होने वाली देशी तरबूज-खरबूज की खेती लगभग खत्म कर दी है। कई किसानों ने बताया कि अब यमुना के पानी में केमिकल होने के कारण तरबूज की पौध उगने के साथ ही मर जाती है।
कड़ी मेहनत के बाद भी नतीजा नहीं मिलता इसलिए यह खेती करना ही बंद कर दिया। लू के साथ बढ़ती है मिठास तरबूज-खरबूज की विशेषता यह है कि जितनी अधिक लू और गर्म हवा चलेगी, यह फल उतना ही मीठा हो जाता है। यमुना के बालू वाले इलाके में लू और गर्म हवा इसलिए ज्यादा लगती थी, क्योंकि रेत जल्दी गर्म होता है और जल्दी ही ठंडा हो जाता है। यमुना की खादर में उगने वाले इन फलों की मिठास हरेक आदमी को अपनी ओर आकर्षित करती थी। अब किसान जल्दी तैयार होने वाले बैरायटी और हाईब्रिड तरबूज-खरबूज का उत्पादन कर रहे हैं, या फिर खादर में सब्जियां उगा रहे हैं।
किसानों का दर्द
यमुना में प्रदुषण के चलते तरबूज-खरबूज के साथ कई अन्य फसलों पर भी विपरीत असर पड़ा है और कई फसल अब खादर में होना बंद हो चुकी हैं। यमुना प्रदूषण ने बहुत नुकसान किया है।
-जयशंकर निषाद
सरकार को चाहिए कि कुछ ऐसा हो जिससे यमुना नदी में प्रदूषण कम हो, ताकि देशी तरबूज-खरबूज फिर खाने को मिल सकें। यमुना प्रदूषण ने देशी तरबूज-खरबूज की खेती ही बंद कर दी।
- राम सिंह
पहले यमुना के खादर इलाकों में खूब तरबूज-खरबूज उगाए थे, लेकिन अब इनकी पौध लगाने के कुछ दिन बाद ही मर जाती है। इसलिए अब इनकी बंद ही कर दी है। इसका प्रमुख कारण यमुना में प्रदूषण है।
-चतुर सिंह
काफी समय से सब्जियों का व्यापार कर रहा हूं पर अब किसी मंडी में देशी तरबूज-खरबूज नहीं दिखते। अब तो वैरायटी का जमाना है। जिसमें वो बात नहीं, जो देशी तरबूज-खरबूज में है। उनमें स्वाद भी अलग होता था।
-चंद्रपाल
यमुना के खादर का तरबूज रेशेदार होता था, जो कि पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता था और मिठास तो ऐसा कि जितनी तारीफ की जाए कम है। अब हाईब्रिड तरबूज-खरबूज में वह गुण कहां?
-मनोज कुमार
घर के बुजुर्ग बताते हैं कि पूर्व में पूरी गर्मियों में खरबूज के बीज बेच कर भी वह अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते थे। पर अब के खरबूज में बीज ही इतना छोटा है कि उसके खरीददार ही नहीं हैं। इससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
-अलीशन
आज तरबूज खरबूज बांगर में उगे हुए आते हैं, पर इनमें वो स्वाद नहीं जो यमुना के खादर में उगे इस फल में होता था, पर यमुना के केमिकल युक्त पानी ने इस फसल को खत्म ही कर दिया। सरकार पैसा खर्च कर भी यमुना को साफ नहीं कर पा रही।
-माधव बघेल
बचपन में मांट के नामी तरबूज-खरबूज खूब खाये हैं, पर अब दूर-दूर तक देशी तरबूज-खरबूज नहीं दिखते हैं। अब तो हाई ब्रिड तरबूज-खरबूज बाजार में बिक रहे हैं। जो दिखावटी हैं। बस नाम के ही तरबूज-खरबूज हैं स्वाद नहीं है।
-रामू निषाद
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