संघर्ष और साहस का दूसरा नाम थे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर
Meerut News - पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की स्मृति में कमिश्नरी पार्क में 'असहमति व लोकतंत्र' पर संवाद आयोजित किया गया। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और किसान प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वक्ताओं ने असहमति को...

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की स्मृति में शुक्रवार को चंद्रशेखर के अपने और गंगाजल बिरादरी ने कमिश्नरी पार्क में असहमति व लोकतंत्र विषय पर सद्भावना संवाद का आयोजन किया। संवाद में सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवी, छात्र, किसान प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। संयोजक डॉ. मेजर हिमांशु ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर संघर्ष और अदम्य साहस का दूसरा नाम थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में असहमति स्वाभाविक है और परस्पर संवाद ही एकमात्र समाधान है। देश राज, समाज और संत तीनों परंपराओं से बनता है, इसलिए उसे सिर्फ चुनावी नेताओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। कहा कि राणा सांगा और औरंगजेब न तो देश की आज की समस्याओं के लिए जिम्मेदार है और न ही उनका समाधान हैं। भड़काऊ और विभाजनकारी बयानबाजी के शौकीन नेता इस रवैये से वोट पाकर सरकार तो बना सकते हैं लेकिन देश और समाज नहीं। पूर्व प्रधानाचार्य बनी सिंह चौहान ने कहा कि इंसाफ व इंसानियत बढ़ाने की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों और नेताओं की ही नहीं बल्कि समाज की भी है। डॉ स्नेहवीर पुंडीर ने कहा कि आज आम युवा महंगी होती पढ़ाई, दवाई और बेरोजगारी से परेशान हैं। किसान नेता कुलदीप त्यागी ने कहा कि आम आदमी के मसले आज भी रोटी, कपड़ा और मकान, बिजली, सड़क, पानी और स्वास्थ्य से संबंधित हैं। इस मौके पर धर्मवीर कटोच, पंकज शर्मा, विपुल चौधरी, अजय सोम, मदन पाल सिंह, दुर्वेश, हयात, विवेक, शक्ति आदि मौजूद रहे।
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