मेरठ : बंगाल की खाड़ी में डुबोनी देनी चाहिए थी मैकाले की शिक्षा : बघेल
Meerut News - मेरठ में केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि देश में शिक्षा समान होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि आजादी से पहले ग्रामीण बच्चों को यूपीएससी की तैयारी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। बघेल...

मेरठ, प्रमुख संवाददाता। देश में शिक्षा-चिकित्सा समान होनी चाहिए। आजाद कराने वाले सभी नेता विदेश से पढ़कर आए थे। तब देश में 90 फीसदी गांव थे और दस फीसदी शहर। डॉ.आम्बेडकर दलित होने के कारण नहीं बल्कि शिक्षा के दम पर संविधान सभा में शामिल हुए। वे समान शिक्षा चाहते थे, लेकिन बाकी ने नहीं होने दिया। आजादी से पहले देश में यूपीएससी में अंग्रेजी-जीके अनिवार्य था। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे इसे नहीं पढ़ते थे। आजादी के साथ ही लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति बंगाल की खाड़ी में डुबो देनी चाहिए थी। मेरठ कॉलेज के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने ये बातें कहीं। बघेल ने कहा कि देश में समान शिक्षा होती तो मंत्री से लेकर चपरासी का बच्चा एक छत के नीचे पढ़ता। भाषा विवाद पर बगैर नाम लिए बघेल ने कहा कि नेता अंग्रेजी में वोट नहीं मांगते, लेकिन शपथ अंग्रेजी में लेते हैं। एसपी सिंह बघेल ने कहा कि जापान, चीन, कोरिया, इजराइल अपनी मातृभाषा में सिखाते हैं और ये देश-दुनिया में सबसे आगे हैं।
बघेल ने कहा कि देहात क्षेत्र में पढ़ाई का वातारण नहीं है। उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा के लिए अपनी हैसियत से बाहर जाकर काम करें। बघेल ने बच्चों को शहर में आकर पढ़ाने और उनका अंग्रेजी एवं गणित का ट्यूशन अवश्य लगाने को कहा। बघेल ने कहा कि देश में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने पर 50 हजार रुपये महीना की नौकरी मिल जाती है। छात्रों के नारे लगाने पर बघेल ने कहा कि वे भी नारेबाजी करते थे, लेकिन नारे कहां लगाने हैं ये पता होता था। उन्होंने कभी कॉलेज का कार्यक्रम खराब नहीं किया। एससी बघेल ने कहा कि लोकतंत्र में जिन्हें अपनी बात रखने का सही तरीका पता था, वह सांसद बने और जिसे इसका ज्ञान नहीं था, वह पार्षद भी नहीं बन सके।
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घोड़ा और एलआईसी एजेंट मेरे आदर्श
बघेल ने कहा कि वह घोड़े और एलआईसी एजेंट को अपना आदर्श मानते हैं। घोड़ा सीधा चलता है। उसे दूसरी जगह से मतलब नहीं होता। ऐसे ही एलआईसी एजेंट है। जब तक पॉलिसी नहीं हो जाती, कोशिश जारी रखते हैं।
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