Madrasas Struggle with Lack of Facilities and Teacher Salaries in Uttar Pradesh बोले मेरठ : मदरसों को चाहिए सुविधाएं, शिक्षकों को वेतन, Meerut Hindi News - Hindustan
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बोले मेरठ : मदरसों को चाहिए सुविधाएं, शिक्षकों को वेतन

Meerut News - उत्तर प्रदेश के मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए नियुक्त शिक्षकों को पिछले आठ वर्षों से वेतन नहीं मिल रहा है। सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे शिक्षक और छात्र दोनों समस्याओं का सामना कर...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठFri, 11 April 2025 07:11 PM
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बोले मेरठ : मदरसों को चाहिए सुविधाएं, शिक्षकों को वेतन

मदरसों में सुविधाओं का अभाव है। मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत रखे गए शिक्षकों को पिछले आठ वर्षों से वेतन नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार से आने वाले केंद्रांश नहीं मिला और अब प्रदेश सरकार ने योजना से पूरी तरह हाथ खींच लिए हैं। कुछ शिक्षक अच्छे दिन की उम्मीद में अभी भी मदरसा इंतजामिया कमेटी की ओर से नाममात्र के मिलने वाले वेतन या बच्चों से ली जाने वाली फीस के जरिए कार्य कर रहे हैं। बच्चों को दीनी और दुनिया भी तालीम देने में जुटे हैं, लेकिन कुछ शिक्षकों ने ना उम्मीद होकर परिवार के पालन पोषण के लिए दूसरे विकल्पों को अपना लिया। मदरसा शिक्षकों को वेतन और सुविधाओं की दरकार है, अगर उन्हें ये सब मिल जाए तो उनका और बच्चों का जीवन संवर जाए।

मदरसा शिक्षक कहते हैं कि यदि शिक्षक भूखे पेट रहेगा तो वह बच्चों को क्या शिक्षा दे पाएगा। मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालकों का दर्द है कि सरकार की योजनाओं का पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाता है। यदि सरकार का संरक्षण और योजनाओं का लाभ मिले तो मान्यता प्राप्त मदरसों में बदहाल हो चुकी शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन हो सकता है। जरूरत है मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत प्रदेशभर के 25,000 से अधिक शिक्षकों को पिछले आठ साल से रुके वेतन के मिलने और मदरसों में सुविधाओं की उपलब्धता की। मेरठ जनपद में प्रदेश सरकार से तीन वित्तीय सहायता प्राप्त मदरसे एवं 269 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। जहां बच्चों को दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी दी जाती है। मदरसों में बच्चों के लिए कंप्यूटर से लेकर अंग्रेजी, गणित, विज्ञान की तालीम के भी इंतजाम हैं। मौजूदा परिस्थितियों में मदरसों के साथ मदरसा शिक्षक भी समस्याओं से जूझ रहे हैं। हालत यह हैं कि मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत शिक्षकों को आठ वर्षों से वेतन के लिए जूझना पड़ रहा है। इसके अलावा सरकार की ओर से प्राथमिक विद्यालयों की तर्ज पर मदरसों के बच्चों को एवं मदरसों में सुविधा नहीं मिल पा रही है।

शिक्षकों की बेबसी

हिन्दुस्तान मेरठ टीम ने मदरसा शिक्षकों से उनके मन की बात जानने का प्रयास किया तो उनकी बेबसी झलकी। बेशक, वे आधुनिक शिक्षा के लिए रजामंद दिखे, लेकिन खुश नहीं हैं। मदरसा शिक्षक मोहम्मद जाकिर और शुएब अहमद का कहना है केंद्र व प्रदेश सरकार ने मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए सहयोग देना बंद कर दिया है। गणित, विज्ञान, हिंदी, अंग्रेजी और कम्प्यूटर पढ़ाने वाले शिक्षकों का मानदेय रुक गया। सरकार की मदद बंद होने से वह भुखमरी की कगार पर हैं। मजबूरी में दूसरे काम करने पड़ रहे हैं। कुछ शिक्षकों के मदरसे छोड़ने से बच्चे आधुनिक विषयों की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। सच यह है कि वह परंपरागत शिक्षा प्रणाली का दायरा तोड़ना चाहते हैं।

छात्रों का भविष्य अधर में

मदरसा मोहम्मद अब्दुल कादिर और महताब अहमद का कहना है कि 2024 तक जिले से करीब एक हजार से अधिक छात्र कामिल और फाजिल की पढ़ाई कर रहे थे। दोनों डिग्रियां असंवैधानिक घोषित होने से उनका भविष्य अधर में लटक गया है। फाजिल की डिग्री नहीं मिलने से बच्चे मायूस हैं। मुंशी, मौलवी और आलिम की पढ़ाई के बाद बच्चे कामिल और फाजिल पढ़ने के लिए भटक रहे हैं। मदरसा शिक्षकों का कहना है कि मदरसों के बच्चों को कामिल और फाजिल की ही डिग्री नहीं मिलेगी तो क्या फायदा।

मदरसों की मान्यता प्रक्रिया पर सवाल

शिक्षक शुएब का कहना है कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अपनी परीक्षाएं यूपी बोर्ड से पहले करा लेता है। अंकपत्र और प्रमाणपत्र देने में पांच-छह महीने लगा देता है। खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ता है। उनका सेशन पीछे छूट जाता है। अकरम ने जिले में मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया। कहा यह बेहद जटिल और लेटलतीफी वाली है। यही वजह है यहां कई मदरसे बंद हो गए या फिर होने की कगार पर हैं। कई मदरसों में गणित, हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान और कम्प्यूटर की पढ़ाई बंद हो चुकी है। कुछ मदरसा संचालक चंदा मांगकर और अपनी जेब से इन विषयों की पढ़ाई जारी रखने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन सवाल है-कब तक? मदरसा संचालक इस बात के हिमायती हैं कि मदरसों को कामिल और फाजिल पढ़ाने की मान्यता किसी विश्वविद्यालय से मिलनी चाहिए। जिसे यूजीसी ने मान्यता दी हो।

अटल सरकार ने बदली थी मदरसों की तस्वीर

मदरसा शिक्षकों ने बताया अटल सरकार की आधुनिकीकरण योजना बंद होने से मुश्किलें बढ़ गईं। शिक्षक जर्रार हुसैन और नसीम ने बताया अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में मदरसा आधुनिकीकरण योजना आई थी। मदरसों का कायाकल्प हो गया था। मान्यता प्राप्त मदरसों में अंग्रेजी, गणित, हिन्दी, विज्ञान और कम्प्यूटर विषय के शिक्षकों को 15 हजार रुपये मानदेय प्रतिमाह मिलते थे। इसमें 12 हजार केंद्र और तीन हजार रुपये प्रदेश सरकार का अंशदान था। मदरसों में कम्प्यूटर सिस्टम लगाए गए। बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने की मुहिम शुरू हुई थी। 2022 में अचानक योजना खत्म कर दी गई। नतीजा, जिले में सैकड़ों मदरसा शिक्षक एक झटके में बेरोजगार हो गए। बच्चों को आधुनिक शिक्षा से वंचित होना पड़ा। कुछ मदरसों में अभी आधुनिक शिक्षा दी जा रही है लेकिन सबकुछ चंदे और खुद की जेब के भरोसे है।

बकाया मानदेय दिलाये सरकार

शिक्षक बताते हैं कि मदरसा आधुनिकीकरण योजना बंद होते ही कई शिक्षक हटा दिए गए। स्थिति यह हो गई मजदूरी कर तो कोई फेरी लगाकर परिवार का भरण-पोषण करने लगा। विज्ञान, हिन्दी, गणित, अंग्रेजी और कम्प्यूटर विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्राइवेट स्कूलों में नौकरी मिल गई। मदरसों के पूर्व शिक्षकों को योजना बंद होने या हटाये जाने का मलाल नहीं है। उनकी सबसे बड़ी दिक्कत आर्थिक तंगी है। कहा कि सरकार उनके आठ साल के बकाये मानदेय का भुगतान करा दे तो उन्हें राहत हो जाएगी। योजना के तहत जिले में करीब 800 शिक्षकों की तैनाती हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कामिल और फाजिल की डिग्री पर रोक से छात्र-छात्राओं की परेशानी बढ़ गई है।

संसाधनों का अभाव झेल रहे मदरसे

मोहम्मद अयूब का कहना है मदरसों में संसाधनों की कमी है। अधिकतर मदरसों का संचालन ‘दीनी लोग करते हैं। कान्वेंट की तरह धनवान व्यक्ति संचालक नहीं होता है। शासन-प्रशासन के सहयोग से बात बन सकती है। मदरसों में फर्नीचर नहीं है। वेतन नहीं मिलने के कारण बुरे दौर से गुजर रहे हैं। कुछ मदरसों में वेतन प्रबंध कमेटी दे देती है, लेकिन इस बार एक शासनादेश जारी हुआ है। जिसमें बच्चों से फीस वसूलने की इजाजत दी गई है। मदरसों में बच्चों से दस रुपये फीस के नाम पर वसूल रहे हैं।

दर्जनों शिक्षकों की गई जान, कई ने बदला पेशा

मदरसा शिक्षक संगठन जिलाध्यक्ष जरार हुसैन कहते हैं कि प्रदेश में वेतन नहीं मिलने से परेशान कई शिक्षकों की बीमारियों के चलते मौत हो चुकी है। शिक्षक पेशा बदल रहे हैं। पिछले छह वर्षों से उन्हें वेतन नहीं मिला है। शिक्षकों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो गया है। करीब दो साल पहले राज्यभर के मदरसा शिक्षकों ने लंबित वेतन के लिए प्रदर्शन किया और संबंधित अधिकारियों से मुलाकात की।

शिक्षकों को नहीं मिला वेतन का केंद्रीय हिस्सा

सनशाइन एडुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट चेयरमैन निगहत सैय्यद का कहना है कि जब से केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना शुरू हुई है, तब से अब तक सरकार प्रतिमाह वेतन देने की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर पाई है। मदरसे आधुनिकीकरण योजना से जुड़े शिक्षक हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और कंप्यूटर समेत आधुनिक विषय पढ़ाते हैं। शिक्षकों को 15,000 रुपये मासिक वेतन तय किया था। केंद्र 12,000 और राज्य को 3,000 रुपये देने थे। विभिन्न माध्यमों से सरकारी अधिकारियों से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद इन शिक्षकों को उनके वेतन का केंद्रीय हिस्सा नहीं दिया। अब योजना बंद हो चुकी है और प्रदेश सरकार ने भी हाथ खींच लिया।

केंद्र सरकार की योजना

मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की योजना (एसपीक्यूईएम) के तहत राज्य में करीब 21,000 मदरसा शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। यूपी में इस योजना के तहत करीब 7,000 मदरसे पंजीकृत हैं। प्रत्येक मदरसे में गैर-धार्मिक विषय पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक नियुक्त किए गए। मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की योजना मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के अंतर्गत आती है और इसका उद्देश्य देशभर के हर मदरसे में आधुनिक, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत, मदरसों में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और कंप्यूटर पढ़ाने के लिए स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री वाले लोगों को काम पर रखा गया था।

शिकायतें

- 2024 में कामिल और फाजिल की डिग्री को अमान्य घोषित कर दिया गया। मदरसों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य अधर में है।

- सेवा नियमावली दुरुस्त नहीं होने से मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

- आधुनिक विषय पढ़ाने को केंद्र सरकार ने मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति की थी। 2022 में योजना बंद होने से छात्र-छात्राओं की दिक्कतें बढ़ गई हैं।

- 2004 से मदरसों में मिनी आईटीआई हैं। कार्मिकों और अनुदेशकों को सातवें वेतन का लाभ नहीं मिला।

- राज्य से अनुदानित मदरसा शिक्षकों के चयन और प्रोन्नत वेतनमान में कई गड़बड़ी हैं। इससे शिक्षकों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सुझाव

- मदरसों की कामिल, फाजिल की डिग्री बहाल कर विवि से संबद्ध की जानी चाहिए। छात्र-छात्राओं को फायदा होगा।

- शिक्षक और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार प्रबंधक-प्रबंध समिति सदस्यों और प्रधानाचार्य के पास हो।

- एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कम्प्यूटर का उद्देश्य पूरा करने के लिए आधुनिकीकरण योजना फिर शुरू हो। छात्र-छात्राएं दायरे से बाहर निकलेंगे।

- मदरसा मिनी आईटीआई में नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की मदद से परीक्षाएं कराई जाएं।

- राज्य से अनुदानित मदरसा शिक्षकों के चयन और प्रोन्नत वेतनमान के लिए राजाज्ञा जारी की जाए।

यह चाहते हैं आधुनिक मदरसा शिक्षक

- बीते आठ साल से वेतन के बकाए का सरकार जल्द भुगतान करे

- उत्तराखंड एवं दूसरे राज्यों की तर्ज पर यूपी सरकार भी मदरसा आधुनिकीकरण योजना अपने स्तर से लागू करें

- मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत शिक्षकों के नियमितकरण की कार्रवाई की जाए

- बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी विद्यालय में प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों के अनुरूप वित्तीय सहायता प्राप्त एवं मान्यता प्राप्त मदरसों में वेतनमान लागू हो

- वेतन नहीं मिलने से आर्थिक तंगी के चलते जिन शिक्षकों की अकाल मृत्यु हुई है उनके परिजनों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाए

इनका कहना

प्रदेश सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्राप्त मदरसों में बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालयों की तर्ज पर सुविधा बढ़े और शिक्षण सामग्री उपलब्ध हो -मुफ्ती मोहम्मद रिजवान, प्रधानाचार्य, अरेबिक कालेज दारुल उलूम शहर कोतवाली

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षा योजना के तहत प्रदेशभर के शिक्षक-शिक्षिकाएं कई वर्षों से वेतन नहीं मिलने से समस्याओं से जूझ रहे है। शिक्षकों को बकाया वेतन भुगतान कराएं -मौलाना कारी सलमान कासमी, महामंत्री जमीयत उलेमा शहर

मदरसों में शिक्षण कार्य के लिए सरकार की ओर से यदि और संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए तो मदरसों के शिक्षा का माहौल और बेहतर बनाया जा सकता है -मोहम्मद जाकिर, शिक्षक

वित्तीय सहायता प्राप्त मदरसों की स्थिति मान्यता प्राप्त मदरसों की स्थिति के मुकाबले अच्छी है, सरकार का साथ मिले तो सभी मदरसों में शिक्षण कार्य की गुणवत्ता, बेहतर हो सकती है -मोहम्मद अब्दुल कादिर, मदरसा शिक्षक

मदरसों में बच्चों को दीनी तालीम के साथ अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और कंप्यूटर की तालीम दी जा रही है। मदरसा आधुनिकीकरण योजना बंद होने से शिक्षकों को परेशानियां हो रही हैं -महताब अहमद, मदरसा शिक्षक

यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग की तरह प्रदेश सरकार वित्तीय सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त मदरसों के साथ शिक्षकों के वेतन और उनकी प्रोन्नति का नियम लागू करें -शुएब अहमद, मदरसा शिक्षक

जब से केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना शुरू हुई है, तब से अब तक सरकार प्रतिमाह वेतन देने की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर पाई है, जिससे शिक्षक परेशान हैं -निगहत सैय्यद, चेयरमैन, सनशाइन एडुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट

कुछ मदरसों में फर्नीचर समेत कई संसाधनों की कमी है। अधिकतर मदरसों का संचालन ‘दीनी लोग करते हैं। कान्वेंट की तरह कोई धनवान व्यक्ति संचालक नहीं होता है - मोहम्मद अयूब, शिक्षक

मदरसा शिक्षकों को प्रदेश में वेतन नहीं मिलने से परेशान कई की हार्ट अटैक और अन्य बीमारियों से मौत हो चुकी है। परेशान होकर लगातार शिक्षक पेशा बदल रहे हैं। - जरार हुसैन, जिलाध्यक्ष, मदरसा शिक्षक संगठन

जिले में मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया बेहद जटिल और लेटलतीफी वाली है। यही वजह है यहां कई मदरसे बंद हो गए या फिर होने की कगार पर हैं। - मोहम्मद अकरम, मदरसा शिक्षक

यूपी के मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए नियुक्त शिक्षकों को आठ वर्षों से वेतन नहीं मिल रहा है, जिससे वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। परिवार के भरण पोषण को दूसरे काम कर रहे हैं -नसीम, शिक्षक मदरसा आधुनिकीकरण केसरगंज

भुखमरी और उपचार के अभाव ने प्रदेशभर में कई शिक्षकों की जान ले ली है। कइयों ने अपना पेशा बदल लिया है और जीविका के लिए ई-रिक्शा चलाने लगे हैं, समस्याओं का हल निकाला जाए - मंसूर उल इस्लाम, सामाजिक कार्यकर्ता

बोले जिम्मेदार

मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत जिले में करीब 100 मदरसे शामिल रह गए थे जिनमें करीब 270 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। केंद्र सरकार ने योजना बंद कर दिया। मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत शिक्षकों का जो वेतन रुका हुआ है उसके लिए राज्य सरकार मुख्यालय से प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा हुआ है जैसे ही बजट मिलेगा इसके बाद शिक्षकों के बकाए वेतन का भुगतान किया जाएगा।

- मोहम्मद रुहैल आजम, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी

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