फर्जी निकली यूपी की एक यूनिवर्सिटी, पैसे पर बिकती थी हर कोर्स की डिग्री, वीसी समेत 10 गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मोनाड विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जी मार्कशीट और डिग्री रैकेट का पर्दाफाश करते हुए उसके चेयरमैन समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कराया है।

उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मोनाड विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जी मार्कशीट और डिग्री रैकेट का पर्दाफाश करते हुए उसके चेयरमैन समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कराया है। टीम ने कैंपस से 1372 फर्जी मार्कशीट व डिग्री, 262 फर्जी प्रोविजनल व माइग्रेसन प्रमाण पत्र, 14 मोबाइल फोन, एक आईपैड, 7 लैपटॉप, 26 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और 6.54 लाख रुपये भी बरामद किए हैं। शनिवार को सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया।
एसटीएफ निरीक्षक ओम शंकर शुक्ला ने बताया कि उच्च अधिकारियों द्वारा प्राप्त शिकायती पत्र के आधार पर जांच शुरू की गई थी। जिसमें मोनाड विश्वविद्यालय और हरियाणा के संदीप सेहरावत व उसके सहयोगी राजेश द्वारा फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां तैयार कर मोटी रकम में बेचने की जानकारी मिली थी। शनिवार को सूचना पर संदीप सेहरावत को सफेद सफारी गाड़ी के साथ हाईवे पर रोका गया। तलाशी में उसके पास से आठ फर्जी मार्कशीट, दो मोबाइल फोन, एक चेकबुक, आधार कार्ड, एक बैंक कार्ड और 5700 रुपये नकद बरामद किए गए।
विवि चेयरमैन के आदेश पर चल रहा था काम
एसटीएफ के अनुसार गिरफ्तार किए गए मोनाड विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा के आदेश पर हरियाणा में फर्जी मॉर्कशीट को छापने का काम किया जा रहा था। एसटीएफ निरीक्षक ओम शंकर शुक्ला ने बताया कि गिरोह के सदस्य बच्चों से मोटी रकम की वसूली कर उनको फर्जी मॉर्कशीट दे रहे थे। जिससे उनको मोटा लाभ हो रहा था। शनिवार दोपहर दिल्ली निवासी संदीप की गिरफ्तारी के बाद विश्वविद्यालय पहुंचकर छानबीन की गई। जांच में खुलासा हुआ कि हरियाणा में गिरोह के सदस्य मॉर्कशीटों को बनाकर यहां लाकर अन्य लोगों को दे दिया करते थे। जिनके रुपये लिए जा चुके थे उनको मॉर्कशीट दे दी जाती थी।
पहले भी विवादों में रह चुका है चेयरमैन
मोनाड विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा बाइक बोट घोटाले में आरोपी रह चुका है। 2024 लोकसभा चुनाव में विजेंद्र सिंह हुड्डा बसपा के टिकट पर बिजनौर से चौधरी विजेंद्र सिंह के नाम से चुनाव लड़ चुका है।
गिरोह बनाकर वसूलते थे मोटी रकम
पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि प्रति मार्कशीट और डिग्री बनाने के लिए 50 हजार से 4 लाख रुपये तक वसूल करते थे। जिसके बाद वो रकम को अपने अपने हिसाब से आपस में बांट लिया करते थे। वहीं, निरीक्षक ने बताया कि जांच में पता चला कि इनमें प्रयुक्त एनरोलमेंट नंबर विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में नहीं मिले। बरामद दस्तावेजों पर विश्वविद्यालय का नाम और डिजिटल हस्ताक्षर थे, जो फर्जी पाए गए हैं।
2010 में हुई थी विश्वविद्यालय की स्थापना
जनपद समेत आसपास के छात्रों को अच्छी शिक्षा देने के लिए मोनाड विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी। इसके बाद से विश्वविद्यालय कई बार विवादों में रहा। पूर्व में विश्वविद्यालय पर छात्रवृत्ति घोटाले के भी आरोप लग चुके हैं।
विवि में फर्जी इंजीनियर-डॉक्टर बनाए जाते थे
पिलखुवा, संवाददाता। कड़ी मेहनत करने के बाद छात्र डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य विभागों में जाकर अपना सपना पूरा करते है, लेकिन मोनाड विश्वविद्यालय ने फर्जी मार्कशीट, डिग्री बनाकर मेहनत करने वाले छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ किया है। चंद रुपयों के खातिर मालिक ने अपना ईमान बेच दिया और पढ़ने वाले छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ किया। रुपये देकर डॉक्टर, इंजीनियर समेत अन्य विभागों की फर्जी डिग्रियां लेकर आप आराम से नौकरी कर सकते है। एसटीएफ टीम ने शनिवार की दोपहर को मोनाड विश्वविद्यालय में छापा मारा था। छापा मार कार्रवाई में भारी मात्रा में बीए, एलएलबी समेत अन्य डिग्रियां ओर दस्तावेज बरामद किए है। एसटीएफ निरीक्षक ओम शंकर शुक्ला ने मालिक विजेंद्र सिंह हुड्डा, चांसलर एनके सिंह, समेत दस आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा अपने सहयोगी संदीप सेहरावत से फर्जी मार्कशीट, डिग्रियां समेत अन्य दस्तावेज तैयार किया करता था।
100 से अधिक मुकदमे हैं दर्ज, जांच में लगी टीम
निरीक्षक ओम शंकर शुक्ला ने बताया कि मालिक विजेंद्र सिंह हुड्डा बाइक बोट मामले का मास्टरमाइंड है। जिसके खिलाफ अलग अलग जिलों में 100 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 से विजेंद्र सिंह हुड्डा मोनाड विश्वविद्यालय का संचालन कर रहा है।
जांच पड़ताल की तो कई फर्जी कागजात मिले
पूछताछ में संदीप ने मोनाड विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। टीमों ने विश्वविद्यालय में जांच पड़ताल की तो कई फर्जी कागजात मिले। जिसमें 1372 फर्जी मार्कशीट और डिग्री तथा 262 फर्जी प्रोविजनल तथा माइग्रेसन प्रमाण पत्र, 14 मोबाइल फोन, 7 लैपटॉप, एक आईपैड , 7 लैपटॉप, 26 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले, जिनसे फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि 6.57 लाख रुपये भी मौके से बरामद किया गया। सभी आरोपियों के खिलाफ कोतवाली पिलखुवा में मुकदमा दर्ज कराया गया है। थाना इंचार्ज पटनीश कुमार ने बताया कि एसटीएफ निरीक्षक ओमशंकर शुक्ला की तहरीर पर 10 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
इन धाराओं में मुकदमा
एसटीएफ निरीक्षक ओम शंकर शुक्ला ने कोतवाली पिलखुवा में 318(4), 338, 340(1), 340(2), 111 और 336(3) धारा में मुकदमा दर्ज कराया है। विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा, मुकेश ठाकुर, अनिल बत्रा, नितिन कुमार सिंह, गौरव शर्मा, सनी कश्यप, इमरान, कुलदीप, विपुल ताल्यान और संदीप सेहरावत के रूप में हुई है।