10 साल की बच्ची ने अलविदा जुमे का रोजा रखा, दूसरों के लिए बनी प्रेरणास्रोत
Moradabad News - एक 10 साल की बच्ची इकरा उल कयाम ने अलविदा जुमे का रोजा रखा, जो मुस्लिम समाज के लिए फर्ज है। उसने अपने परिवार के सहयोग से यह कदम उठाया और दूसरों को प्रेरित किया। इकरा ने बताया कि रोजा रखने से धार्मिक...

रोजा रखना मुस्लिम समाज के लिए फर्ज बताया गया है। इसी को आधार मानते हुए एक 10 साल की बच्ची ने अलविदा जुमे का रोजा रखा और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। नगर पंचायत उमरी कला निवासी कयामुद्दीन सैफी की 10 साल की पुत्री इकरा उल कयाम ने शुक्रवार को अलविदा जुमा का रोजा रखा परिवार के लोगों ने उसका उत्साहवर्धन किया 10 साल की इकरा ने बताया कि रोजा रखना समाज के लिए फर्ज है रोजा रखने से धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण स्पष्ट रूप से बताए गए हैं। धार्मिक रूप से रोजा रखने पर अल्लाह की इबादत में ध्यान रहता है। अच्छे कार्य करने दूसरों की सहायता करने का जज्बा कायम होता है जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शारीरिक मजबूती प्राप्त होती है
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