बोले मुजफ्फरनगर: नई तकनीक: मैकेनिकों के लिए चुनौतियां
Muzaffar-nagar News - बोले मुजफ्फरनगर: नई तकनीक: मैकेनिकों के लिए चुनौतियां
जनपद में करीब चार हजार बाइक मैकेनिक हैं, जिनके कारोबार सरकार की बीएस-6 नीति के कारण घटकर करीब-करीब आधे ही रह गए हैं। बीएस-6 वाहन पॉलिसी के चलते सभी कंपनियों ने अपनी बाइक व स्कूटर्स के मैकेनिज्म इलेक्ट्रॉनिक कर दिए हैं। इसके चलते जहां एक ओर बाइक-स्कूटर्स के दाम बढ़ गए हैं, वहीं महंगी बाइक व स्कूटर्स लेने वाले ग्राहक उसकी सर्विस व मरम्मत भी एजेंसी में ही कराने लगे हैं। इससे बाइक मैकेनिकों के कारोबार में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जिससे मैकेनिकों की परेशानियां बढ़ गई हैं। बाइक-स्कूटर्स के पार्ट्स महंगे होने से भी मैकेनिकों के काम प्रभावित हुए हैं।
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बाइक मैकेनिक
मुजफ्फरनगर। जनपद में चार हजार से अधिक बाइक-स्कूटर्स मैकेनिक हैं, जिनके कारोबार वाहनों पर लागू किए गए बीएस-6 नीति के चलते घटकर करीब आधे रह गए हैं, जिससे ये मैकेनिक आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं। दरअसल, सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए वर्ष 2020 में बीएस-6 प्रणाली लागू करने की घोषणा की थी, जो वर्ष 2023 में पूरी तरह से अस्तित्व में आ गई थी। बीएस-6 नीति लागू होने के बाद दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों ने भी अपने वाहनों में इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म लागू कर दिया था, जिसके चलते वर्तमान में आने वाले अधिकांश दोपहिया वाहनों में कारबोरेटर के स्थान पर इंजेक्टर लगाने के साथ ही सेंसर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म शुरू कर दिया गया। इससे जहां बाइक-स्कूटर्स की कीमतें बढ़ गई, वहीं अधिकांश बाइक व स्कूटर्स मैकेनिकों को इस मैकेनिज्म की जानकारी ही नहीं दी गई। इसके चलते वाहन मालिकों ने अपने बाइक-स्कूटर्स की सर्विस व मरम्मत के लिए मैकेनिकों के स्थान पर एजेंसी का रुख करना शुरू कर दिया। बाइक मैकेनिक नरेश कुमार व राकेश ने बताया कि दुपहिया वाहन महंगे व सेंसर युक्त होने के कारण अधिकांश ग्राहक अब इन्हें सीधे एजेंसी में ही ले जाकर ठीक कराने व इनकी सर्विस कराने ले जाने लगे हैं। वहीं, यदि कोई व्यक्ति कोई आकस्मिक स्थिति आने पर वाहन को किसी लोकल मैकेनिक को दिखाता भी है तो इसकी जानकारी मिलते ही संबंधित एजेंसी इन वाहनों की वारंटी ही खत्म कर देती है। इसके वाहन मालिक अपने वाहनों को एजेंसी से बाहर दिखाने से कतराने लगे हैं, जिससे स्थानीय मैकेनिकों के कारोबार घटकर करीब-करीब आधा ही रह गया है। इसके साथ ही वाहनों के पार्ट्स भी 28 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने के कारण काफी महंगे हो गए हैं, जिन्हें खुले बाजार में खरीदने से डुप्लीकेसी का डर रहता है। इसके चलते भी जब वाहनों में महंगे पार्ट्स लगने की बारी आती है तो ग्राहक उन्हें लगवाने के लिए सीधे एजेंसी का रुख कर लेते हैं। इस कारण भी मैकेनिकों का काम काफी मंदा हुआ है और आमदनी घटकर आधे से भी कम रह गई है। वहीं, घटते कारोबार के कारण युवा वर्ग में भी बाइक-स्कूटर्स मैकेनिक का काम सीखने का क्रेज कम होता जा रहा है, जिससे मैकेनिकों को अब काम सीखने के इच्छुक सहायक ही नहीं मिल पाते और उनका काम सीधे प्रभावित हो रहा है। वहीं, पहले ग्राहक बाइक-स्कूटर्स की मरम्मत या सर्विस कराने के बाद निकलने वाले वेस्ट पार्ट्स व मोबिल ऑयल को मैकेनिक के पास ही छोड़ देते थे, जिससे मैकेनिकों को अतिरिक्त आय हो जाती थी, लेकिन अब ग्राहक वेस्ट पार्ट्स व मोबिल ऑयल महंगे होने के कारण उन्हें अपने साथ ही ले जाते हैं। पहले जहां, बाइक-स्कूटर्स मैकेनिक प्रतिदिन डेढ़ से दो हजार तक आसानी से कमा लेते थे, अब यह आमदनी घटकर एक हजार से भी कम रह गई है, जिससे परिवार का पालन-पोषण करना कठिन होता जा रहा है। मैकेनिकों ने सरकार से उनके हित में योजनाएं बनाकर उन्हें गंभीरता से लागू किए जाने की मांग की है।
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नहीं मिलते सस्ते ऋण व स्वास्थ्य बीमा
मुजफ्फरनगर। बीएस-6 नीति लागू होने के बाद वाहन कंपनियों ने अपने बाइक-स्कूटर्स में इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म देना शुरू किया, जिसे ठीक करने के लिए अत्याधुनिक मशीनें व उपकरण होने अनिवार्य हैं, जिनकी कीमत लाखों में होती है। वहीं, बाइक-स्कूटर्स ठीक कर अपनी आजीविका कमाने वाले अधिकांश मैकेनिक सामान्य व मध्यम-निम्न वर्गीय परिवार से आते हैं, जिनके लिए ये आधुनिक मशीनें व उपकरण खरीदना उनके बजट से बाहर होता है। मैकेनिक दीपक पाल व बादल सिंह का कहना है कि सरकार द्वारा मैकेनिक का काम करने वाले लोगों को सस्ते ऋण नहीं उपलब्ध कराए जाते। यदि वे किसी बैंक में उपकरण व मशीनें खरीदने के लिए ऋण हेतु आवेदन करते भी हैं तो उन्हें इतनी अधिक कागजी औपचारिकताएं बता दी जाती हैं, जिनकी पूर्ति वे चाहकर भी नहीं कर पाते। इसके चलते उनके कारोबार बीएस-6 नीति के अनुरूप नहीं हो पाते, जिससे उनकी आजीविका में लगातार कमी आती जा रही है, जिससे परिवार के सामान्य खर्चे भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा, मैकेनिक के काम में जोखिम भी काफी अधिक होता है, जिससे उन्हें हर समय चोट आदि लगने का डर रहता है। यदि काम के दौरान मैकेनिक को चोट लग जाती है तो उसका उपचार कराना भी उनके लिए काफी मुश्किल हो जाता है। इसके लिए सरकार को वाहन मैकेनिकों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाना चाहिए। इस संबंध में कई बार आला अफसरों से मांग भी की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही इस बाबत किसी तरह का आश्वासन ही दिया जाता है।
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--- शिकायतें और सुझाव ---
शिकायतें ---
- बीएस-6 नीति लागू होने के बाद वाहन कंपनियों ने बाइक-स्कूटर्स इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म युक्त कर दिए, जिसकी जानकारी बाहरी मैकेनिकों को नहीं दी गई, जिससे मैकेनिकों का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
- वाहन पार्ट्स काफी महंगे हो चुके हैं, खुले बाजार में पार्ट्स डुप्लीकेसी के डर से ग्राहक अब सीधे वाहन एजेंसी का रुख करने लगे हैं। इससे मैकेनिकों का काम लगातार घटता जा रहा है।
- अत्याधुनिक मशीनें व उपकरण युक्त कार्यशाला बनाने के लिए मैकेनिकों को बैंकों द्वारा सस्ते ऋण उपलब्ध नहीं कराए जाते, जिससे मध्यम व निम्न परिवारों से आने वाले मैकेनिक इन्हें नहीं खरीद पाते।
- काम करने के दौरान कोई घटना घटित होने या चोट लगने की स्थिति में मैकेनिकों को किसी तरह के स्वास्थ्य बीमा का लाभ नहीं मिल पाता, जिससे मैकेनिकों पर आर्थिक चोट पहुंचती है।
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सुझाव ---
- वाहन कंपनियों को बीएस-6 नीति के इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म की जानकारी बाहरी मैकेनिकों के साथ साझा करनी चाहिए, ताकि मैकेनिकों के काम चलने के साथ ही ग्राहकों को भी सस्ता विकल्प मिल सके।
- वाहनों के पार्ट्स पर लगने वाली 28 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर इसे 12 प्रतिशत के दायरे में लाया जाना चाहिए, ताकि सस्ते पार्ट्स होने से ग्राहक स्थानीय मैकेनिकों से वाहन ठीक कराने शुरू करें।
- मैकेनिकों को अपनी कार्यशाला आधुनिक करने के लिए बैंकों द्वारा उन्हें सस्ते और आसान तरीके से ऋण उपलब्ध कराएं, ताकि मैकेनिक आधुनिक मशीनें व उपकरण खरीद सकें।
- मैकेनिकों के हित में सरकार उन्हें सस्ते स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिलाए, ताकि कोई घटना घटित होने या घायल होने की स्थिति में मैकेनिक उच्च स्तरीय उपचार हासिल कर सकें।
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इन्होंने कहा ---
- वाहन मैकेनिकों के रजिस्ट्रेशन उनके विभाग में नहीं कराए जाते, जिससे उन्हें श्रम विभाग के स्तर से सुविधाएं उपलब्ध कराना मुमकिन नहीं है। मैकेनिकों को सस्ते ऋण के लिए प्रशासनिक अफसरों से वार्ता करनी चाहिए।
देवेश सिंह, सहायक श्रमायुक्त
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मैकेनिकों का दर्द
- बढ़ती महंगाई के साथ ही वाहन पार्ट्स की दामों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। जिस कारण काम भी काफी हद तक प्रभावित हो रहा है।
उपेन्द्र सिंह
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- बीएस- 6 बाइक का मैकेनिज्म इलेक्ट्रॉनिक होने के कारण लगातार काम घट रहा है। जिस कारण लोग एजेंसी पर ही सर्विस कराते है।
राकेश कुमार
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- बाइक-स्कूटर्स महंगे व सेंसरयुक्त होने से ग्राहक अब सर्विस व मरम्म्मत के लिए सीधे एजेंसी का रुख करते हैं, जिससे काम प्रभावित हो रहा है।
दीपक पाल
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- इलेक्ट्रिक स्कूटी आने से कारोबार चौपट होता जा रहा है। बाइक पार्ट्स के दामों में इजाफा होने से भी काम मंदा हो रहा है।
शोएब
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- महंगी बाइक खरीदने के बाद अधिकांश लोग एजेंसी पर ही सर्विस कराना पसंद कर रहे है। जिससे कारोबार में काफी समस्याएं सामने आ रही है।
अरसलान
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- तकनीक में लगातार बदलाव होने के कारण नई बाईकों के पार्ट्स कंप्यूटराइज हो गए है, जिन्हें पुरानी तकनीक से सही कर पाना मुश्किल हो जाता है।
बादल सिंह
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- सरकार को मैकेनिकों के हित में निर्णय लेकर दुकान खोलने, नई तकनीक की मशीनें खरीदने के लिए कम दरों पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए।
जितेंद्र
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- मैकेनिक रोजी-रोटी चलाने के लिए दिनभर मेहनत करते है। कम दरों पर ऋण और स्वास्थ्य बीमा का लाभ प्राथमिकता से दिया जाना चाहिए।
धर्मेंद्र सिंह
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- मैकेनिक का काम सीखने के लिए युवा दिलचस्पी नहीं ले रहे है। बाइक के पार्ट्स महंगे होने से कारोबार प्रभावित हो रहा है।
नरेश कुमार
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- मैकेनिकों के कारोबार को गति देने के लिए सरकार को कम दरों पर ऋणों और स्वास्थ्य बीमा का लाभ प्रमुखता से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
रविन्द्र कुमार
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- नई बाईकों की तकनीक में बदलाव होने के कारण अधिकतर ग्राहक अपने वाहनों की सर्विस एजेंसी पर ही कराना पसंद करते है।
राजू
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- बाइक के पार्ट्स महंगे होने के कारण कारोबार काफी प्रभावित हो रहा है। पार्ट्स पर लगने वाली जीएसटी कम होनी चाहिए।
शोएब खान
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- बाइकों में कार्बोरेटर के स्थान पर इंजेक्टर और सेंसर तकनीक के कारण अधिकतर ग्राहक एजेंसी पर ही सर्विस करा रहे हैं। जिससे काम प्रभावित हो रहा है।
नदीम
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- मैकेनिक दिनभर कड़ी मेहनत से काम करते हैं, लेकिन उन्हें उचित मेहनताना नहीं मिल पाता। इसके लिएए सरकार को उनके हित में योजना लागू करनी चाहिए।
मुन्ना
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