बोले बेल्हा : रजिस्ट्रेशन के साथ ट्रैक्स में भी मिले राहत, सुविधा, सेवा सुरक्षा संग सम्मान की चाहत
Pratapgarh-kunda News - कोरोना महामारी के दौरान होम्योपैथी ने लोगों में उम्मीद जगाई थी, लेकिन अब यह बुनियादी सुविधाओं की कमी, भारी टैक्स और प्रशासनिक लापरवाही से संकट में है। निजी चिकित्सक स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा से...
कोरोना महामारी के दौरान होम्योपैथिक चिकित्सा ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई थी। होम्योपैथी की कई दवाएं ऐसी कारगर साबित हुईं कि वह बाजार में तलाशने पर भी नही मिल रही थीं। आज वही होम्योपैथिक चिकित्सा बुनियादी सुविधाओं की कमी, भारी टैक्स और प्रशासनिक जिम्मेदारों की लापरवाही से संकट में है। जिले के राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल किराए के भवन में चल रहे हैं और निजी अस्पताल के चिकित्सक स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी और उपेक्षा से परेशान हैं। निजी होम्योपैथिक चिकित्सकों की क्लीनिक का टैक्स बढ़ा दिया गया, जबकि उन्हें स्वास्थ्य विभाग से अपेक्षा के अनुरूप सम्मान भी नहीं मिलता। होम्योपैथिक चिकित्सकों को विश्व स्वास्थ्य दिवस, आरोग्य मेला, पल्स पोलियो जागरूकता अभियान आदि कार्यक्रमों में आमंत्रित तक नहीं किया जाता। सीएचसी, पीएचसी में होम्योपैथिक का कोई चिकित्सक ही तैनात नहीं है। होम्योपैथिक चिकित्सकों का लाइसेंस बनवाने और नवीनीकरण कराने मे आने वाली समस्याओं का दूर करने का कभी प्रयास ही नहीं किया गया। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा साझा करते हुए शहर के निजी होम्योपैथिक चिकित्सकों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग कभी हमारी मदद के लिए आगे नहीं आता। विभाग से हमें सिर्फ उपेक्षा ही मिलती है।
बेल्हा में शहर से ग्रामीण इलाकों तक करीब 80 होम्योपैथिक निजी चिकित्सक हैं और करीब 40 से अधिक मेडिकल स्टोर हैं। जिले के होम्योपैथिक चिकित्सक कहते हैं कि होम्योपैथी से कई जटिल बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से इस पद्धति को आज तक बढ़ावा देने का प्रयास नहीं किया गया। नया लाइसेंस बनवाना हो अथवा नवीनीकरण कराना हो, हमें स्वास्थ्य विभाग का चक्कर लगाना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार यहां भी भेदभाव करते हैं। उनकी उपेक्षा के कारण यह प्रक्रिया इतनी कठिन हो जाती है कि चिकित्सक परेशान हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाकर होम्योपैथिक चिकित्सकों को राहत दी जा सकती है। राजकीय मेडिकल कॉलेज में भी होम्योपैथिक विभाग स्थापित होना चाहिए। जिसमें चिकित्सक और फार्मासिस्ट का कोर्स पढ़ाया जाए। शासन से हर पांच वर्ष में लाइसेंस नवीनीकरण कराने का सख्त निर्देश है। इसके बाद भी पोर्टल को लंबे समय से अपडेट नहीं किया गया। काफी समय से पोर्टल में समस्या चल रही है। इसे खोलने के बाद मोबाइल और रजिस्ट्रेशन नंबर डालने पर एरर बताने लगता है। इसके बाद विभाग ने ऑफलाइन प्रोफार्मा उपलब्ध कराया। यह प्रक्रिया काफी लंबी और कठिन है। इससे चिकित्सकों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कोरोना काल में अचानक होम्योपैथिक चिकित्सा के ग्राफ में बढ़ोत्तरी आ गई। कारण इस पद्धति की दवा से साइड इफेक्ट नहीं होता। नई बीमारियों से लड़ने के लिए होम्योपैथी में नए-नए शोध हो रहे हैं। इसलिए हमारा जिला अस्पताल के अनुभवी चिकित्सकों से समय समय पर संवाद कराना चाहिए। बीएचएमएस डिग्री धारकों को गांवों में इंटर्नशिप कराना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोग इसका लाभ पा सकें। सरकारी कार्यक्रमों में होम्योपैथिक चिकित्सकों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
क्लीनिक के मुताबिक तय किया जाए टैक्स
होम्योपैथिक चिकित्सक बताते हैं कि सरकार छोटे होम्योपैथिक चिकित्सक से भी उतना ही टैक्स वसूलती है जितना नर्सिंग होम चलाने से। होम्योपैथिक चिकित्सक महंगे उपकरण और सुविधाओं की मांग नहीं करते फिर भी उनकी क्लीनिक पर भारी भरकम टैक्स का बोझ लाद दिया जाता है। इसके लिए जिला प्रशासन सहित सरकार में बैठे जिम्मेदारों को गंभीरता से विचार कर अलग-अलग टैक्स निर्धारित करना चाहिए, जिससे चिकित्सकों को सहूलियत मिल सके।
सरकारी विभागों में होम्योपैथी पद्धति की अनदेखी
होम्योपैथिक चिकित्सक कहते हैं कि सरकारी विभागों में होम्योपैथिक चिकित्सा को नजरअंदाज किया जाता है। जबकि कोरोना जैसी महामारी के समय हमने लोगों की काफी मदद की थी। पॉजिटिव मरीजों की देखरेख से लेकर दवा के इंतजाम में हम डटे रहे लेकिन इसके बाद हमें दरकिनार कर दिया गया। इस पद्धति को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सभी सरकारी विभागों में होम्योपैथिक चिकित्सक की नियुक्ति करनी चाहिए।
सरकार को दूर करना चाहिए भेदभाव
जिले के होम्योपैथिक चिकित्सक कहते हैं कि होम्योपैथी पद्धति एलोपैथ के सापेक्ष अधिक कारगर साबित हो रही है। इस पद्धति की दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है और सबसे अहम बात यह कि इस पद्धति से कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है। बावजूद इसके सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है। जिले में एलोपैथ के लिए राजकीय मेडिकल कालेज की स्थापना कर दी गई लेकिन होम्योपैथ की कोई सुविधा नहीं है। होम्योपैथिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी कार्यक्रमों में चिकित्सकों को शामिल करना चाहिए। राजकीय मेडिकल कॉलेज में होम्योपैथिक की कक्षाओं का संचालन कराना चाहिए। जिले में होम्योपैथी पद्धति के लिए रिसर्च सेंटर स्थापित करना चाहिए। इससे होम्योपैथिक चिकित्सा को बढ़ावा मिलेगा और युवा एक बेहतर मुकाम हासिल कर सकेंगे।
लाइसेंस के लिए प्रयागराज का लगाना पड़ता है चक्कर
जिले के होम्योपैथिक चिकित्सकों ने बताया कि क्लीनिक अथवा मेडिकल स्टोर का लाइसेंस बनवाने और नवीनीकरण कराने के लिए प्रयागराज तक कई बार चक्कर काटना पड़ता है। लाइसेंस नवीनीकरण प्रयागराज में सीएमएस स्तर पर किया जाता है, ऐसे में संचालकों को उनकी परिक्रमा करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। लोकल स्तर पर नया लाइसेंस और नवीनीकरण का अधिकार जिला होम्योपैथिक अधिकारी को देना चाहिए। जिससे चिकित्सक आसानी से उनसे मुलाकात कर काम करा सकें और प्रयागराज का चक्कर लगाने से बच सकें।
आयुष से न जोड़ें होम्योपैथी पद्धति
होम्योपैथिक चिकित्सकों ने बताया कि डॉ. हैनीमैन ने हमें होम्योपैथी के रूप में एक ऐसी पद्धति दी है जो जटिल रोगों के इलाज में भी बेहद कारगर साबित हो रही है। स्वास्थ्य विभाग इस पद्धति का आयुष से जोड़कर देखता है। जबकि दोनों विधाएं अलग-अलग हैं। आयुर्वेद से होम्योपैथिक को नहीं जोड़ा जा सकता। होम्योपैथिक पद्धति को प्रोत्साहित करने के लिए इसके बजट में सरकार को बढ़ोत्तरी करना चाहिए जिससे नए नए शोध किए जा सकें। इससे होम्योपैथी पद्धति आने वाले दिनों में चिकित्सा के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल कर सकेगी। इस पद्धति से मरीजों को जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
सीएचसी-पीएचसी पर तैनात हों होम्योपैथिक चिकित्सक
जिले के होम्योपैथिक चिकित्सक कहते हैं कि जिले के सीएचसी और पीएचसी पर चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों की भी कमी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि प्रत्येक सीएचसी-पीएचसी पर एक-एक होम्योपैथिक चिकित्सक की तैनाती करे और उन्हें दवाओं की उपलब्धता कराए। इससे मरीजों में जागरूकता भी आएगी और उनका इलाज भी आसानी से हो सकेगा। वर्तमान में सरकारी उपेक्षा के कारण होम्योपैथिक चिकित्सक मजबूरी में निजी डिस्पेंशनरी चला रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से होम्योपैथिक चिकित्सक और फार्मासिस्ट की वैकेंसी निकालना चाहिए और साक्षात्कार के आधार पर उनका चयन किया जाना चाहिए।
होम्योपैथिक दवाओं से हटे जीएसटी
जिले के होम्योपैथिक चिकित्सकों का कहना है कि लोगों में चर्चा है कि होम्योपैथिक चिकित्सा गरीबों की पद्धति है। बावजूद इसके सरकार दवाओं पर जीएसटी लगा देती है। इससे दवाओं की कीमत बढ़ जाती है। ऐसे में यह गरीबों को आसानी से कैसे सुलभ हो सकती है। इसी तरह टैक्स बढ़ता रहा तो यह पद्धति गरीबों से दूर होती चली जाएगी। सरकार में बैठे जिम्मेदारों को इस पर गंभीरता से विचार कर निर्णय लेना चाहिए।
शिकायतें
1. क्लीनिकों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए हर साल परेशान होना पड़ता है, पोर्टल अपडेट नहीं होने से परेशानी होती है।
2. होम्योपैथिक विधा को प्रोत्साहित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है, जागरूक करने के कोई प्रयास नहीं किए जाते।
3. स्थानीय स्तर पर कोई सूचना देने के लिए सुविधा नहीं है। इससे परेशानी होती है।
4. होम्योपैथिक दवाओं पर शोध करने के लिए शासन की ओर से फंड मुहैया नहीं कराया जाता।
5. एक कमरे के क्लीनिक के लिए प्रदूषण बोर्ड ने एनओसी अनिवार्य कर दी है। इससे चिकित्सकों को समस्या हो रही है।
सुझाव
1. होम्योपैथिक मेडिकल स्टोर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए, इससे अवैध मेडिकल स्टोर के संचालन पर रोक लगेगी।
2. एक वर्ष के स्थान पर पांच वर्ष के लिए होम्योपैथिक क्लीनिकों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए।
3. निजी होम्योपैथिक चिकित्सकों को अस्पताल खोलने के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए।
4. दवाओं की गुणवत्ता की जांच न होने से नकली दवाएं आने से खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए जिले में बेहतर लैब की स्थापना कराई जाए।
5. जिले की हर सीएचसी, पीएचसी में होम्योपैथिक उपचार पद्धति की व्यवस्था कराई जाए।
6. होम्योपैथ को आयुष्मान कार्ड से जोड़ा जाए, जिससे मरीजों का नि:शुल्क किया जा सके।
जरा हमारी भी सुनिए...
राजकीय मेडिकल कॉलेज में होम्योपैथिक पद्धति की कक्षाएं संचालित करने की जरूरत है। इससे एलोपैथ के साथ होम्योपैथ विधा के चिकित्सक भी तैयार किए जा सकेंगे। कक्षाएं शुरू होने से होम्योपैथ की प्रतिभाओं को सहूलियत मिल सकेगी।
डॉ. सुनील कुमार श्रीवास्तव
आयुष्मान योजना में होम्योपैथिक चिकित्सा को भी शामिल किया जाना चाहिए। इससे गरीब मरीजों को मुफ्त इलज की सुविधा मिल सकेगी। तमाम मरीज गंभीर रोग का इलाज होम्योपैथिक पद्धति से ही करा रहे हैं।
डॉ. आरके सिंह
होम्योपैथिक चिकित्सा का बजट कम होने के कारण नई दवाओं पर रिसर्च नहीं हो पाता। इससे नई बाजार में नई दवाएं भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। सरकार को होम्योपैथी के बजट में इजाफा करने के साथ रिसर्च सेंटर स्थापित कराना चाहिए।
डॉ. एचबी सिंह
होम्योपैथिक दवाओं पर भी एलोपैथ के बराबर टैक्स लगाया जाता है। इससे सस्ती दवाएं भी मरीजों को महंगे दाम पर मिलती हैं। इससे सबसे अधिक समस्या गरीब श्रेणी के मरीजों को होती है। स्वास्थ्य विभाग को होम्योपैथिक दवाओं का टैक्स कम करना चाहिए।
डॉ. जगदीश श्रीवास्तव
होम्योपैथिक क्लीनिक और मेडिकल स्टोर के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया खासी जटिल है। चिकित्सकों की सुविधा के लिए इस ऑनलाइन और सरल बनाने की जरूरत है। इससे राजस्व भी बढ़ेगा और चिकित्सकों को अधिक भागदौड़ करने की जरूरत नहीं होगी।
डॉ. अविनाश चन्द्र श्रीवास्तव
नर्सिंग होम और एक कमरे में संचालित होम्योपैथिक अस्पताल संचालक से एक समान टैक्स वसूला जाता है। इस तरह से छोटे अस्पताल वालों पर टैक्स का बोझ अधिक पड़ जाता है। स्वास्थ्य विभाग को इसके अलग-अलग टैक्स जमा कराने की व्यवस्था करना चाहिए।
डॉ. अनुपम खरे
सरकारी विभागों में होम्योपैथिक चिकित्सकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। जिससे आम जनमानस को होम्योपैथिक चिकित्सा और उससे होने वाले लाभ का फायदा मिल सके। साथ ही जरूरत पड़ने पर सम्बंधित को होम्योपैथिक चिकित्सा उपलब्ध हो सके।
रमेश विश्वकर्मा
गोरखपुर, प्रयागराज और अलीगढ़ में होम्योपैथिक पद्धति के मेडिकल कॉलेज हैं लेकिन स्थानीय मेडिकल कॉलेज में इस पद्धति की कक्षाएं संचालित होने से लोगों को अधिक फायदा मिलेगा। जिम्मेदारों को इसके लिए प्रयास करना चाहिए।
संजय पाल
होम्योपैथिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है। बावजूद इसके होम्योपैथिक के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता है। इससे होम्योपैथी को लेकर लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है। प्रचार-प्रसार के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पहल की जानी चाहिए। इससे लोगों का होम्योपैथिक के प्रति रुझान बढ़ेगा।
डॉ. उत्कर्ष राज श्रीवास्तव
होम्योपैथिक दवाओं के बेहतर उत्पादन और वितरण के लिए जिले में फार्मेसी कॉलेज की स्थापना कराना चाहिए। इससे दवाओं की उपलब्धता में सहूलियत मिलेगी और सस्ती कीमत पर दवाएं मरीजों को मिल सकेंगी। स्थानीय स्तर पर यह एक शानदार पहल साबित होगी।
डॉ. महक
होम्योपैथिक मेडिकल स्टोर का नवीनीकरण कराने के लिए प्रयागराज जाना पड़ता है। इसके लिए कई बार चक्कर काटना पड़ता है। इसकी सुविधा स्थानीय स्तर पर जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी के कार्यालय पर होनी चाहिए। जिससे बेवजह भागदौड़ से बचा जा सके।
डॉ. मनीष खंडेलवाल
क्लीनिक अथवा मेडिकल स्टोर के नए लाइसेंस और नवीनीकरण के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। पोर्टल अपडेट नहीं होने से मोबाइल नंबर डालने पर एप्लीकेशन एरर बताने लगता है। जिम्मेदारों को लगातार पोर्टल अपडेट करना चाहिए।
डॉ. आशीष जायसवाल
होम्योपैथी पद्धति ने कोरोना काल में यह साबित कर दिया कि इससे गंभीर रोगों का इलाज भी संभव है। यही नहीं इलाज पर खर्च भी बहुत कम आता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को इस पद्धति को प्रोत्साहित करने के लिए प्रचार प्रसार कराना चाहिए। शिविर लगाकर लोगों तक होम्योपैथिक इलाज पहुंचाना चाहिए।
डॉ. सुभाष गुप्ता
आयुष और होम्योपैथिक दोनों अलग-अलग विधा हैं। इन दोनों को एक साथ नहीं जोड़ा सकता। होम्योपैथिक का बजट बढ़ाकर शोध कराए जाएं, जिससे नई-नई दवाओं की उपलब्धता हो सके। इससे मरीजों को सस्ता और सुलभ इलाज मिल सकेगा।
डॉ. राकेश शर्मा
बोले जिम्मेदार
होम्योपैथी पद्धति आयुष मंत्रालय के सभी कार्यक्रमों में शामिल है। होम्योपैथी को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय की ओर से कार्यक्रम भी कराए जाते हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रमों में इस पद्धति के चिकित्सक शामिल किए जाते हैं। होम्योपैथिक चिकित्सक अपनी समस्याओं से सीधे मुझे अवगत करा सकते हैं।
डॉ. एएन प्रसाद, सीएमओ
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