Allahabad High Court Dismisses TET 2011 Petitions Imposes Fine on 6402 Petitioners बेसिर-पैर का मुकदमा, हाईकोर्ट ने लगाया 6.40 लाख जुर्माना, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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बेसिर-पैर का मुकदमा, हाईकोर्ट ने लगाया 6.40 लाख जुर्माना

Prayagraj News - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीईटी (प्राथमिक स्तर) परीक्षा-2011 से संबंधित सभी लंबित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने 6402 याचिकाकर्ताओं पर 100-100 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जस्टिस सौरभ श्याम...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजMon, 7 April 2025 11:04 AM
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बेसिर-पैर का मुकदमा, हाईकोर्ट ने लगाया 6.40 लाख जुर्माना

प्रयागराज संजोग मिश्र इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीईटी (प्राथमिक स्तर) परीक्षा-2011 से संबंधित सभी लंबित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यही नहीं बेसिर-पैर का मुकदमा करने और हाईकोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने के लिए 6402 याचिकाकर्ताओं पर 100-100 रुपये (कुल 6,40,200 रुपये) का जुर्माना भी लगाया है।

जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए चार अप्रैल के अपने फैसले में कहा है कि शिव कुमार पाठक बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस विषय पर निर्णय दे चुका है, इसलिए अब इस पर दोबारा विचार नहीं किया जा सकता।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि टीईटी-2011 परीक्षा में प्राप्त अंकों को नियुक्तियों के लिए मेरिट का आधार बनाया जाए। इसके अलावा, उन्होंने टीईटी परीक्षा की ओएमआर शीट्स के पुनर्मूल्यांकन की भी मांग की थी। उनका तर्क था कि परीक्षा के परिणाम 2011 और 2015 के बीच अलग-अलग तिथियों में घोषित किए गए थे, जिससे उम्मीदवारों के बीच असमानता उत्पन्न हुई।

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि टीईटी परीक्षा केवल पात्रता परीक्षा है न कि मेरिट का निर्धारण करने वाला कोई चयन मानक। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह तय कर दिया है कि 7 दिसंबर 2012 के विज्ञापन के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया अब आगे नहीं बढ़ सकती।

हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि चूंकि 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में 66,655 शिक्षक पहले ही अंतरिम आदेशों के तहत नियुक्त किए जा चुके हैं, इसलिए अब इस मामले में हस्तक्षेप करना संभव नहीं है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार शेष रिक्तियों को भरने के लिए नए विज्ञापन जारी करने के लिए स्वतंत्र है।

याचिकाकर्ताओं पर लगाया 100 रुपये का जुर्माना

अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि यह मुकदमेबाजी लग्जरी लिटिगेशन (अनावश्यक मुकदमेबाजी) की श्रेणी में आती है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने पुनः याचिका दायर की। इस कारण 6402 याचिकाकर्ता में से प्रत्येक पर 100-100 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के समक्ष एक सप्ताह के अंदर जमा की जानी है।

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