हिंदी कहानी का जन्म बीसवीं शताब्दी में हुआ : प्रो. ओम प्रकाश
Prayagraj News - हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने गांधी सभागार में हिंदी की प्रारंभिक कहानियों का कथ्य विश्लेषण पर संगोष्ठी का आयोजन किया। प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने हिंदी कहानी के विकास पर चर्चा की। प्रो. रामपाल गंगवार ने...

हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से गुरुवार को एकेडेमी के गांधी सभागार में हिंदी की प्रारंभिक कहानियों का कथ्य विश्लेषण विषय पर संगोष्ठी हुई। मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि वैसे तो कहानी कहना और सुनना हमारी रग-रग में बसा है लेकिन हिंदी कहानी का जन्म बीसवीं शताब्दी में हुआ था। यह शताब्दी कहानी लेखन के विकास की शताब्दी है, जिसमें राष्ट्रवाद की परिकल्पना ने साहित्य के कई रूप को जन्म दिया है। डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि लखनऊ के प्रो. रामपाल गंगवार ने कहानियों का विश्लेषण करते हुए कहा कि हिंदी की कहानियों में परंपरागत कथा और उसके शिल्प को तोड़ने की छटपटाहट है।
आरंभिक कहानियों में आजादी और पुनर्जागरण के प्रभाव को देखा जा सकता है। इविवि के हिंदी विभाग के प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल ने कहा कि हिंदी या भारतीय भाषाओं में लिखी कहानियों की तासीर व कहानी स्थानीयता से जुड़ा है। अध्यक्षता करते हुए काशी विद्यापीठ के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने कहा कि अब कहानी एक महत्वपूर्ण विधा के रूप में छाई हुई है। संचालन डॉ. अरुण कुमार मिश्र ने किया। प्रशासनिक अधिकारी गोपालजी पांडेय ने वक्ताओं का स्वागत किया। संगोष्ठी में साहित्यकार रवि नंदन सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. पीयूष मिश्र, पारुल सिंह राठौर, अरविंद कुमार उपाध्याय आदि मौजूद रहे।
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