गोशाला की ‘कामधेनु सेवा के बाद बनीं समृद्धि का स्त्रोत
Prayagraj News - प्रयागराज में बृज मोहन और हरीश कुमार ने बीमार गायों और बछियों को गोद लेकर उनकी सेवा की। घर पर अच्छे भोजन और देखभाल से ये पशु स्वस्थ हो गए और दूध देने लगे। सरकारी गोशालाओं में 34,000 से अधिक गोवंश...
प्रयागराज, अभिषेक मिश्र। कोरांव के बृज मोहन ने तीन साल पहले गोशाला से एक अस्वस्थ गाय को गोद लिया। जिस वक्त गाय ली, उस वक्त हालत बहुत ठीक नहीं थी। गाय बीमार थी, घर ले जाकर उसकी सेवा की और आज गाय तंदुरुस्त हो गई। पशुधन विभाग ने जब इसकी जांच की तो मालूम चला कि गाय दूध देने लगी। मेजा के हरीश कुमार ने गोशाला से बछिया को गोद लिया। घर ले जाते वक्त उसकी हालत बहुत अच्छी नहीं थी। बछिया को ले जाकर जब उन्होंने सेवा की तो वो आज तंदुरुस्त गाय बन गई है। सरकारी अफसरों की टीम जब घर जाकर जांच करने के लिए पहुंची तो उसकी हालत देखकर सभी को आश्चर्य हुआ।
यह महज एक दो मामले नहीं है। सच्चाई है। जिन बेजुबान गोवंशों को लोग बीमार होने या कमजोर होने से सड़क पर छोड़ देते थे, उन्हें दूसरों ने घर ले जाकर सेवा की। अच्छा भोजन मिला और ये गोवंश एक बार फिर तंदुरुस्त हो गए। इसमें से कई गायों ने दूध देना शुरू कर दिया, जिससे परिवार को कुछ पैसे भी मिलने लगे हैं। जिले में सरकारी गोशालाओं में इस वक्त 34 हजार से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। एक नियम के तहत गांव के जो लोग इन गोवंशों को गोद लेना जाते हैं, पशुधन विभाग उसे बाकायदा दस्तावेज बनाकर देता है। एक गोवंश के चारे के लिए सरकार की ओर प्रतिदिन 50 रुपये का भुगतान किया जाता है। जिले के 735 लोगों ने 1547 गोवंशों को बाकायदा गोद लिया और इनके चारे का प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान भी हुआ। नियम के अनुसार विभाग की टीम हर महीने गोद लिए गए पशु के स्वास्थ्य की जांच करती है। इसी निरीक्षण में पाया गया कि गोवंशों की हालत में सुधार हुआ। कई गाय ने दूध भी देना शुरू कर दिया। भोजन में होता है अंतर अफसरों का कहना है कि गोशाला में चारा मिलता है। जबकि घर में दूध, रोटी, भोजन के दूसरे पौष्टिक आहार मिलते रहते हैं। जिससे हालात में सुधार आता है। डॉक्टरों की जांच में इस बात की पुष्टि हुई। यह है नियम अगर कोई व्यक्ति गोवंश को गोद लेना चाहता है तो वो एक फॉर्म भरकर विभाग में आवेदन कर सकता है। जिसके बाद तहसील स्तरीय कमेटी इसका सर्वे कर रिपोर्ट देती है। रिपोर्ट आने के बाद मुख्यालय की टीम इसे अग्रसारित करती है। जिसके बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली कमेटी इसके लिए अनुमोदन देती है तो गोवंश को अधिकृत रूप से गोद दिया जाता है। एक व्यक्ति अधिकतम चार गोवंश को गोद ले सकता है। जिन गोवंशों को लोगों ने गोद लिया, उनकी स्थिति में सुधार आया। हमारी टीम समय-समय पर उनके घर जांच करती है। कई गाय ने दूध देना भी शुरू कर दिया है। डॉ. एसएन यादव, सीवीओ
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