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बोले रायबरेली-किसानों का हाल

Raebareli News - मुनाफा कम और मौसम की मार से गेहूं किसान परेशान रायबरेली, संवाददाता। जिले

Newswrap हिन्दुस्तान, रायबरेलीThu, 1 May 2025 04:52 PM
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बोले रायबरेली-किसानों का हाल

मुनाफा कम और मौसम की मार से गेहूं किसान परेशान रायबरेली, संवाददाता। जिले में गेहूं किसान कशमकश में हैं। पिछली बार से इस बार पैदावार कम है। मौसम की मार से कई क्षेत्रों के किसानों को करीब 20 प्रतिशत तक नुकसान झेलना पड़ा है। सरेनी, लालगंज आदि क्षेत्रों में फसल को मौसम के चलते नुकसान हुआ है। जिले में 114 गेहूं क्रय केंद्र खुले हुए हैं। वहां भी लगभग सन्नाटा है। छोटे किसानों का सरकारी खरीद से लगभग मोहभंग हो गया है। इसकी मुख्य वजह खरीद केंद्रों पर गेहूं ले जाने, नंबर लगाने, बोरों का इंतजाम आदि है। सरकारी खरीद केंद्र पर तमाम तरह की शर्तें हैं।

इसके बजाय वह व्यापारियों को गेहूं बेचकर तुरंत पैसा ले लेते हैं। यह उनके लिए अधिक मुफीद है। इसके अलावा पूरे साल वह नीलगाय हो या छुट्टा जानवर से परेशान रहते हैं। इनके सबके बीच अगर फसल बेचने में भी दिक्कत आए तो किसानों की मुसीबत कई गुना बढ़ जाती है। गेहूं किसान फसल में अधिक लागत के बावजूद उसकी भरपाई न होने से परेशान हैं। इन किसानों को कभी मौसम की मार तो कभी छुट्टा जानवरों का आतंक परेशान करता है। नुकसान ने किसानों की नींद उड़ा दी है। फसल तैयार होने के बाद सरकारी केंद्र में बेचने पर तमाम तरह की दुष्वारी झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में वह व्यापारियों को गेहूं बेच देते हैं। गेहूं किसानों की समस्याओं को लेकर आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार ने इन किसानों से बात की तो उनका दर्द उभर आया। गेहूं किसानों के सामने तमाम तरह की समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती हैं। बुआई से लेकर कटाई तक में किसानों की सांसें अटकी रहती हैं। मार्च-अप्रैल के महीने में सभी किसान अपनी गेहूं की फसल को लेकर संजीदा रहते हैं। यह समय गेहूं की फसल की कटाई और मड़ाई का होता है। ऐसे में यदि मौसम का रुख बदल जाए तो किसानों का चिंतित होना लाजिमी है। इस बार मौसम ने अपना ऐसा रुख बदला है कि खेतों में पसरा सुनहरा सोना सड़ने की कगार पर पहुंच गया। बीते दस अप्रैल को जिले के सरेनी , लालगंज और आसपास के ग्रामीण इलाकों में ओले और पानी से गेहूं की फसल का नुकसान हुआ है। खेतों में कटी पड़ी गेहूं की फसल भीग गई थी और कटाई का काम ठप हो गया था। किसान जैसे-तैसे फसल को सूखने का मौका देने का इंतजार कर ही रहे थे कि दोबारा फिर तेज आंधी और बारिश ने उनकी उम्मीदों को तहस-नहस कर दिया। हर दिन बदलता मौसम, किसानों के दिल में डर भर रहा है कि कहीं एक और बारिश सब कुछ बर्बाद न कर दे। थुलरई गांव के किसान गुरुप्रसाद कहते हैं कि बुवाई के समय बीज और खाद के लिए मारामारी रहती है। बीज मिलना मुश्किल हो जाता है। खाद में डीएपी के लिए परेशान रहते हैं। किसी तरह बीज-खाद मिला तो आवारा पशुओं से फसल को बचाना मुश्किल हो जाता है। आवारा पशुओं से फसल को बचाना चुनौती होता है। सिंचाई के लिए नहरों में समय पर पानी नहीं आता है। बिजली भी धोखा देती रहती है। ऐसे में किसानों के सामने तमाम तरह की दिक्कत रहती है। किसान की जब फसल तैयार हो गई तो उसको बेचने में भी मशक्कत करनी पड़ती है। जिले में सरकारी गेहूं खरीद के 114 केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन इन केंद्रों पर न के बराबर भीड़ हो रही है। जिले में करीब 5.50 लाख किसान हैं। अभी तक सात हजार के करीब किसानों ने गेहूं खरीद के लिए अपना पंजीकरण कराया है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले का किसान इन खरीद केंद्रों में रुचि नहीं ले रहा है। किसान को इस समय पैसे की सख्त जरूरत होती है। इसलिए वह अपनी फसल जल्दी से जल्दी और नकद बेचना चाहता है। जिले में 41हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है। इसके सापेक्ष 28 अप्रैल तक 5964.35 मैट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है। जो समितियां खरीद में रुचि नहीं ले रहीं है उनके सचिवों के वेतन रोक दिए गए हैं। उसके बावजूद खरीद केंद्रों पर भीड़ नहीं जुट रही है। प्रस्तुति-सुनील पाण्डेय, दुर्गेश मिश्रा। फोटो-सुनीत कुमार। ------ आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं किसान रायबरेली। खेती-किसानी पर निर्भर इन गांवों में ज्यादातर किसानों की साल भर की आमदनी गेहूं की फसल से ही होती है। बेमौसम बारिश और आंधी ने उन्हें ना केवल मानसिक रूप से परेशान कर देते हैं। बल्कि आर्थिक रूप से भी एक गहरे संकट की ओर धकेल देते हैं। खेती के जानकारों का कहना है कि अगर बारिश और नमी लगातार बनी रहती है तो फसल में फफूंद लगने की संभावना हो जाती है।जिससे दाने काले पड़ सकते हैं और बाज़ार में उनकी कीमत गिर जाएगी। किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ सकता है। इससे उत्पादन भी कम और दाम भी कम हो जाता है।किसानों का कहना है कि ऐसे में प्रशासन को ध्यान देना चाहिए और जिन किसानों का नुकसान हो उनको आर्थिक सहायता तुरंत मिलनी चाहिए।किसानों ने स्थानीय प्रशासन से मांग है कि क्षेत्र में जब भी ऐसी स्थिति ही विशेष राहत दल भेजे जाएं और खेतों में नुकसान का आकलन कर किसानों को मुआवजा दिलाने की व्यवस्था की जाए। अगर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो कई किसान कर्ज के बोझ तले दब सकते हैं। -------- शिकायतें -सरकारी गेहूं की खरीद के होने के बाद किसानों को समय से भुगतान नहीं मिलता है। -सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर गेहूं ले जाने के लिए किसानों को स्वयं अपने वाहन से जाने की व्यवस्था करनी पड़ती है। -मौसम की मार से किसान परेशान होते रहते हैं।इनको नुकसान का मुआवजा समय से नहीं मिलता। -छुट्टा जानवरों के आतंक से किसान परेशान होते हैं इनसे बचाव के स्थाई इंतजाम नहीं हैं। -किसानों को अपने खेतों को सुरक्षित करने के लिए सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं हैं। --- सुझाव --- -सरकारी गेहूं की खरीद के होने के बाद किसानों को समय से भुगतान करने की व्यवस्था निश्चित हो। -सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर गेहूं ले जाने के लिए किसानों को सरकारी वाहन की व्यवस्था की जाए। -मौसम की मार से किसान परेशान होते रहते हैं।इनको नुकसान का मुआवजा समय से दिए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए । -छुट्टा जानवरों के आतंक से किसान परेशान होते हैं इनसे बचाव के स्थाई इंतजाम होने चाहिए । -किसानों को अपने खेतों को सुरक्षित करने के लिए सरकार की ओर से कोई योजना लाई जाए। नंबर गेम 5.50 लाख के करीब हैं जिले में किसान हैं। 41 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का जिले को लक्ष्य मिला है। 114 गेहूं खरीद केंद्र जिले में बनाए गए हैं। 2.92 लाख हेक्टेयर जमीन पर जिले में खेती हो रही है। बोले जिम्मेदार जिले में गेहूं खरीद के लिए 114 गेहूं खरीद केंद्र बनाए गए हैं।सौ कुंतल गेहूं को सत्यापन से मुक्त रखा गया है।23 मोबाइल क्रय केंद्र भी बनाए गए हैं। कोई भी किसान फोन कर सकता है जिससे उसके घर से गेहूं की खरीद हो जाएगी उसे केंद्र तक आने की आवश्यकता नहीं है। गेहूं किसानों की जो भी समस्याएं है वह केंद्र प्रभारी को बता सकता है उसका निदान कराने का प्रयास किया जाएगा। इस बार जिले में 41हजार मिट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य शासन से मिला है। गेहूं किसानों की सहूलियत का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सोनी गुप्ता, डिप्टी आरएमओ ------------- हमारी भी सुनें ---- अब गेहूं की खेती करना कठिन हो गया है। एक तो लागत अधिक आ जाती है। छुट्टा पशुओं के कारण काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। दिन में तो किसी प्रकार फसलों की रखवाली हो जाती है, लेकिन रात के समय में फसल बचाना मुश्किल हो रहा है। कृष्ण कुमार --- अक्सर रात में जानवर खेत में घुस आते थे और पूरी फसल चट कर जाते थे। कई बार तो पूरी मेहनत एक ही रात में बर्बाद हो जाती थी। हमने खुद तार और बांस से खेत को घेरने की कोशिश की, अब कुछ राहत है। सरकार को खेतो के बैरिकेडिंग के लिए सब्सिडी देनी चाहिए। संगीता ------ बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया है। तेज हवा, बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। कई हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल या तो पानी में डूब गई है या पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। बिटाना ---------- कई किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड से फसल के लिए कर्ज लिया था। उनकी फसल गेहूं की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। खेती ही उनकी आय का मुख्य स्रोत है। अब ऐसे में किसानों की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। किस तरह वह आगे की व्यवस्था करें। धीरज कुमार -------- इन दिनों गेहूं की कटाई और मड़ाई का समय चल रहा है। कई किसानों की फसल या तो खेतों में खड़ी है या काटकर थ्रेशिंग के लिए रखी है। बारिश के कारण यह फसल पूरी तरह भीग गई है। अगर दो-चार दिन का समय मिल जाता तो गेहूं को सुरक्षित घर पहुंचा लेते। खुशबू ------- किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ फसल बर्बाद हुई है, दूसरी तरफ कर्ज की चिंता सता रही है। भीगी फसल को सुखाने और तैयार करने में किसानों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इस समय बेमौसम बारिश से गेहूं की फसल के खराब होने का खतरा बना हुआ है। राम स्वरूप --------- किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी इस समस्या पर ध्यान देगी और उचित मदद करेगी। हालांकि मौसम में आए इस बदलाव से जहां भीषण गर्मी से लोगों को राहत मिली है, वहीं किसानों के लिए यह बदलाव चिंता का सबब बन गया है। साधना ---------- क्षेत्र के किसान गेहूं की बिक्री के लिए गेहूं क्रय केंद्र के बजाय बाहरी व्यापारियों से गेहूं की बिक्री कर रहे हैं। सरकारी क्रय केंद्रों से विरक्त हो रहे किसानों के कारण गेहूं की खरीदारी भी क्रय केंद्रों पर ना के बराबर होती जा रही है। वहीं इस समस्या ने शासन के निर्देशों तथा प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। रामबाबू ---------- सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर इस वर्ष पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। क्षेत्र के किसान गेहूं क्रय केंद्रों से पूरी तरह विमुख हो चुके हैं जिसका कारण गेहूं क्रय केंद्रों पर खुलेआम हो रही वसूली, भ्रष्टाचार और पेमेंट में देरी होने से ऐसा हो रहा है। इन व्यवस्थाओं को दुरस्त किया जाए। बंबू सिंह --------- सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों को लेकर गेहूं बेचने जाने पर क्रय केंद्रों पर मौजूद विपणन अधिकारी के द्वारा प्रति कुंटल अवैध वसूली की जा रही है, पैसे ना देने पर गेहूं में कमियां निकाल कर खरीदारी करने में आनाकानी की जा रही है। धर्मेन्द्र पाण्डेय -------- सरकारी खरीद केंद्रों में हमारी गेहूं की फसल में कोई न कोई कमी निकाल दी जाती है वहीं बाहरी व्यापारियों के यहां ना ही किसी तरह की कमियां निकाली जा रही हैं, ना कोई आनाकानी हो रही है। किसान आसानी से अपने गेहूं को बेचकर आवश्यक मूल्य प्राप्त कर रहे हैं। कमलेश मिश्र ----------- सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर एमएसपी 2425 रुपए है,लेकिन गेहूं बेचने के बाद पैसा भी आसानी से नहीं मिल रहा। जबकि बाहरी व्यापारियों के द्वारा भी उतने ही मूल्य पर गेहूं की खरीदारी की जा रही है, और पैसा सीधे किसानों को नगद दिया जा रहा है। कमल तिवारी ---------- अब किसान खेती से पीछे हट रहा है क्योंकि जानवरों का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। नीलगाय हर खेत में घुसते हैं। छुट्टा जानवरों को लेकर काफी हद तक निजात मिली है, जोकि अब भी पर्याप्त नही है। प्रशासन गोशालाएं बनवा रहा है। नीलगाय को लेकर प्रशासन को व्यवस्था बनानी चाहिए। प्रकाश शुक्ला -------- गांव के आस-पास में आवारा पशुओं से ग्रामीण बहुत ही ज्यादा परेशान रहते है। इतनी संख्या मे आवारा पशुओं का झुण्ड पता नहीं कहा से आ जाता।किसान बेचारे चाहे ठंड का मौसम हो या और कोई महीना सबसे ज्यादा परेशान होते हैं। इनकी समस्या का निदान युद्ध स्तर पर सरकार को करना चाहिए। माना शुक्ला

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