मुस्लिम रियासत होने के बावजूद वक्फ प्रबंधन में शामिल थे हिन्दू
Rampur News - वक्फ संशोधन विधेयक में गैर मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व को लेकर देशभर में आक्रोश है। रामपुर रियासत में नवाब रजा अली खां के शासन में वक्फ समितियों में गैर मुस्लिमों को शामिल किया गया था, और इसे लेकर कोई...

वक्फ संशोधन विधेयक में गैर मुस्लिमों को भी प्रतिनिधित्व दिए जाने के प्रावधान पर देशभर में वर्ग विशेष के लोगों में आक्रोश है। लेकिन, इस विरोध के बीच रामपुर रियासतकाल से जुड़ा बड़ा रोचक तथ्य सामने आया है। यहां नवाबी हुकूमत होने के बावजूद रामपुर की कई वक्फ प्रबंधन समितियों में गैरमुस्लिमों को भी शामिल किया गया था। लेकिन, अंतिम शासक नवाब रजा अली खां के इन फैसलों का कहीं भी कोई विरोध नहीं हुआ था। पूरे देश में वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर हंगामा है। यह वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने वाला एक प्रस्तावित कानून है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त नियम लागू करना है। इसमें सबसे ज्यादा विरोध इस बात को लेकर है कि वक्फ ट्रिब्यूनल में पहले सिर्फ मुस्लिम समाज का कोई शख्स ही सीईओ के पद पर बैठ सकता था, लेकिन जो नया बिल सरकार ने पेश किया है, उसमें कहा गया है कि गैर मुस्लिम को भी सीईओ बनाया जा सकता है। बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा। मुस्लिम समाज और विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। जबकि, रामपुर स्टेट में यह पहले से होता चला आया है।
रामपुर स्टेट के दस्तावेज दे रहे गवाही
174 सालों तक मुस्लिम रियासत रहे रामपुर स्टेट के दस्तावेज यह साबित करते हैं कि यहां वक्फ समितियों में हिन्दुओं का भी प्रतिनिधित्व रहा है। रामपुर स्टेट गजट में अंतिम शासक नवाब रजा अली खां के ऐसे अनेक फरमान हैं जिनमें दो-दो गैर मुस्लिम भी वक्फ प्रबंधन समितियों में बतौर सदस्य शामिल रहे थे।
जानें क्या है वक्फ
इस्लामी कानून (शरीयत) के तहत एक अविभाज्य धर्मार्थ बंदोबस्ती है। इसमें आम तौर पर मुस्लिम धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए एक इमारत, भूमि का भूखंड या अन्य संपत्ति दान करना शामिल होता है, जिसमें संपत्ति को पुनः प्राप्त करने का कोई इरादा नहीं होता है। एक धर्मार्थ ट्रस्ट दान की गई संपत्ति रख सकता है। इस तरह का समर्पण करने वाले व्यक्ति को वाकिफ के रूप में जाना जाता है। इस संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए मुतवल्ली/ट्रस्ट गठित होता है।
होरीलाल वर्मा और सेठ रघुनाथ थे वक्फ समितियों में शामिल
रामपुर स्टेट गजट के अनुसार एक वक्फ समिति में होरीलाल वर्मा और सेठ रघुनाथ प्रसाद भी बतौर सदस्य शामिल थे। हालांकि, इस कमेटी के अध्यक्ष रियासत के गृह मंत्री साहबजादा अब्दुल जलील खां थे। अंतिम शासक ने ग़ैरमुस्लिमों के धर्मस्थलों के लिए भी ज़मीनें दी थीं।
नवाब रजा अली खां द्वारा गठित कई वक्फ प्रबंधन समितियों में हिन्दू सदस्य भी शामिल थे। स्टेट गजट में साफ है कि एक समिति में होरीलाल वर्मा और सेठ रघुनाथ प्रसाद भी सदस्य रहे। लेकिन, गजट में ऐसा कोई रिकार्ड नहीं मिलता है, जो यह पुष्टि करता हो कि गैर मुस्लिमों को शामिल किए जाने पर कोई विरोध हुआ। रामपुर के शासक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल थे।
-काशिफ खां, इतिहास के जानकार एवं
इंटेक, रूहेलखंड चैप्टर के सह संयोजक।
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