मनरेगा घपले में तीन ग्राम पंचायत सचिवों को राहत, हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक
क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना की ससुराल से जुड़े मनरेगा घपले में फंसे तीन सचिव को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। याचिका पर जारी सुनवाई के बीच हाईकोर्ट ने चार्जशीट दाखिल नहीं होने औरगिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना की ससुराल से जुड़े मनरेगा घपले में फंसे तत्कालीन तीन ग्राम पंचायत सचिव को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। याचिका पर जारी सुनवाई के बीच हाईकोर्ट ने चार्जशीट दाखिल नहीं होने और अगली सुनवाई नहीं होने तक तीनों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने आरोपियों में शामिल तत्कालीन लेखाकार बिजेंद्र पाल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
जानकारी के मुताबिक फरवरी माह में जोया ब्लॉक की ग्राम पंचायत पलौला में मनरेगा मजदूरी हड़पने के नाम पर की गई घपलेबाजी का चौकाने वाला खुलासा हुआ था। दरअसल, पलौला में क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना की ससुराल है और उनकी सास गुले आयशा मौजूदा ग्राम प्रधान हैं। शमी की बहन शबीना व बहनोई गजनवी समेत परिवार के 18 लोगों के जॉब कार्ड बनाकर मजदूरी निकाली जा रही थी। खुलासा होने पर डीएम निधि गुप्ता ने पूरे मामले में जांच बैठा दी थी। इसके बाद ग्राम प्रधान से 8,68,344 लाख रुपये की रिकवरी भी की गई थी।
जांच के बाद बीती तीन मार्च को बीडीओ जोया लोकचंद ने मामले में तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव पृथ्वी सिंह, अंजुम, हुमा परवीन के अलावा तत्कालीन लेखाकार विजेंद्र सिंह, तत्कालीन कम्प्यूटर ऑपरेटर मनरेगा शराफत अली, तकनीकी सहायक अजय निमेश, तत्कालीन एपीओ बृजभान सिंह और सेवा मुक्त ग्राम रोजगार सेवक झम्मन सिंह के खिलाफ डिडौली कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी। प्रशासनिक जांच में दस्तावेजी रिकार्ड से आरोपों की पुष्टि होने पर मामले में डीएम निधि गुप्ता वत्स ने तीनों पंचायत सचिव समेत सभी आठ कर्मियों को पहले ही निलंबित कर दिया था। मामले में तत्कालीन पंचायत सचिव हुमा परवीन, अंजुम और पृथ्वी सिंह ने एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी। इसके अलावा गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए भी हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था।
इन तर्कों पर हाईकोर्ट में जारी है सुनवाई
मनरेगा घपले में फंसे पंचायत सचिवों की ओर से अपनी याचिका में तर्क दिया गया था कि पंचायत सचिव सक्षम प्राधिकारी नहीं हैं क्योंकि वह ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर हैं और वित्तीय सहायता प्राप्त श्रमिकों को साल 2021-2022 के लिए जॉब कार्ड जारी करने के आरोप पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद हैं। उन्होंने 18 जॉब कार्ड धारकों को 8,68,344 रुपये का भुगतान करने से भी साफ इनकार किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं की ओर से बताया गया था कि पंचायत सचिवों ने न तो जॉब कार्ड तैयार किए और न ही जॉब कार्डधारकों को भुगतान से संबंधित किसी वाउचर को स्वीकृत दी है।
तर्क दिया कि ब्लॉक में मजदूरों के जॉब कार्ड जारी करने का काम रोजगार सेवक का है। स्थानीय अधिवक्ता इफ्तेखार सैफी ने बताया कि तीनों पंचायत सचिवों की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मामले में अगली तारीख तक या पुलिस द्वारा अदालत में चार्जशीट दाखिल नहीं करने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आरोपी ग्राम पंचायत सचिवों को पुलिस की विवेचना में सहयोग के लिए कहा है।