निषाद पार्टी का झंडा न उठाने वाले कसाई, बाप-बेटे के तीखे तेवर से गरमाई राजनीति
निषाद पार्टी के तेवर अब आक्रामक होते जा रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद और उनके बेटे डॉ. अमित निषाद ने विद्रोही निषादों पर हमला बोला है। अमित निषाद ने कहा कि जो निषाद पार्टी का झंडा नहीं उठा रहे, वह कसाई की तरह है।

निषाद पार्टी के तेवर अब आक्रामक होते जा रहे हैं। दूसरे दल से जुड़े निषादों पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी अब हमलावर हो गए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद और राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अमित निषाद ने विद्रोही निषादों पर हमला बोला है। मंत्री संजय निषाद के पुत्र डॉ. अमित निषाद ने कहा कि जो निषाद पार्टी का झंडा नहीं उठा रहे, वह समाज के लिए कसाई की तरह है। उनके इस बयान की पुष्टि अपने संबोधन के दौरान डॉ.संजय निषाद ने भी की।
पिता-पुत्र के बयान के बाद निषाद राजनीति गरमा गई है। सोमवार को बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित मछुआ सम्मेलन में डॉ. संजय निषाद ने कहा कि निषाद पार्टी समाज के लिए कई काम कर रही है। निषादों को तमाम सहायता मिल रही है। उन्हें हक मिल रहा है। युवाओं को रोजगार मिल रहा है। उन्हें पार्टी का साथ देना है। उन्होंने दूसरे दलों से निषाद राजनीति करने वाले निषाद नेताओं को भी आड़े हाथों लिया।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सपा-बसपा ने निषादों को अनुसूचित जाति से निकलकर पिछड़े में डाल दिया। बसपा से जुड़ने के बाद स्व. जमुना निषाद व महेंद्र सिंह राजपूत की राजनीति सिमट गई। इस दौरान कैबिनेट मंत्री ने भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा भाजपा के मेनिफेस्टो में पहले मछुआ विजन था। इस विजन के तहत निषादों के उत्थान के लिए प्रयास किए जाते थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सांसद थे, तब वह निषादों के हित में लगातार आवाज उठाते थे। अब तस्वीर जुदा हो गई है।
डॉ. संजय निषाद ने आगे कहा कि सूबे में निषादों को अब तक अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं मिला। जबकि हमारे आंदोलन के आधार पर शिल्पकार व प्रजापति समाज को 26 जिलों में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र मिलने लगा है। वहीं निषाद, मल्लाह, केवट, मझवार अभी भी इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। खास बात यह है कि केंद्र सरकार मान रही कि निषाद अनुसूचित जाति के है, लेकिन प्रदेश सरकार इसे नहीं मान रही।