वृद्धा आश्रम में रह रहे बुजुर्गों को भी मिले मेडिकल व आयुष्मान कार्ड की सुविधा
Sambhal News - एकल परिवारों के बढ़ते चलन ने बुजुर्गों के लिए समस्याएँ बढ़ा दी हैं। चंदौसी के वृद्धाश्रम में कई बुजुर्ग अपने बच्चों द्वारा त्यागे गए हैं। उन्हें पेंशन, आयुष्मान कार्ड और स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता...

एकल परिवारों के बढ़ते चलन ने बुजुर्गों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। परिवार में बुजुर्गों को बोझ समझा जा रहा है। पढी लिखी औलाद तक अपने बुजुर्ग माता पिता को वृद्धा आश्रम में छोड़ रही हैं। एक समय था जब बुजुर्ग परिवार की रीढ़ माने जाते थे, लेकिन अब पढ़ी-लिखी औलाद तक उन्हें बोझ समझने लगी है। इसका सबसे कड़वा उदाहरण संभल के चंदौसी में देखने को मिलता है, जहां एक एनजीओ द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में कई बुजुर्ग अपने बच्चों द्वारा त्यागे जाने के बाद शरण लिए हुए हैं। इन वृद्धों की पीड़ा सिर्फ अपनों द्वारा छोड़े जाने की ही नहीं है, बल्कि सरकारी तंत्र की उदासीनता भी उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम कर रही है।
हिन्दुस्तान बोले संभल अभियान के अंतर्गत जब संवाददाता ने वृद्धाश्रम का दौरा किया, तो वहां रहने वाले कई बुजुर्गों ने अपनी व्यथा साझा की। चन्दौसी के आवासीय वृद्धा आश्रम में कुल 65 वृद्ध रह रहे हैं। जिसमें 20 वृद्ध महिलाएं शामिल हैं। इन बुजुर्गों का कहना है कि उन्हें वृद्धावस्था पेंशन, आयुष्मान कार्ड और उचित मेडिकल सुविधाएं चाहिए, लेकिन इनमें से कई ऐसे भी हैं जिन्हें अब तक ये मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। जबकि वृद्धाश्रम में कुछ बुजुर्गों को पेंशन और स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। वहीं कई अन्य इस व्यवस्था से वंचित हैं। वृद्धाश्रम में रह रहे लोगों की मांग है कि सरकार और प्रशासन उनके लिए समान रूप से सुविधाएं सुनिश्चित करें। वे चाहते हैं कि सभी को पेंशन मिले, आयुष्मान कार्ड बनाया जाए और समय पर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। जिससे की वृद्धा आश्रम में मौजूद वृद्ध भी आसानी से अपना जीवन यापन कर सकें। जिससे की उन्हें कोई परेशानी न हो सके। पहले से ही अपनों ने उन्हें परेशानी में डाल रखा है। अब उन्हें राहत देने के लिए मूलभूत सुविधाएं मिली चाहिए। एक वर्ष में वृद्धा आश्रम में तेजी से बढ़ा बुजुर्गों का ग्राफ माता-पिता अपने बच्चों को बड़ी उम्मीदों से पालन-पोषण करते हैं। जब बूढ़े होंगे तो बच्चे बुढ़ापे की लाठी बनेंगे। वहीं बच्चे बड़े होकर मां-बाप को बोझ समझकर वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं। चन्दौसी के आवासीय वृद्धा आश्रम में बीते एक वर्ष में बुजुर्गों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसी अंदाजा लगाया जा सकता है कि पढ़ लिखे लोग भी अपने वृद्ध माता पिता को साथ नहीं रख पा रहे हैं। जिससे वृद्धाआश्रम में संख्या में इजाफा हो रहा है। यह चिंता का विषय है। परिवारिक परेशानियों के चलते वृद्धा आश्रम रह रहे हैं। जब अपनों ने ही मुंह मोड़ लिया तो किसी से क्या शिकायत करें। सरकार की तरफ से योजनाओं का लाभ मिल जाए तो जिंदगी गुजारने में आसानी होगी। - भारत भूषण परिवार में काफी दिक्कते हो गई थीं। जिसकी वजह से ही वृद्धा आश्रम में आना पड़ा है। समय से खाना पीना मिल रहा है। बीमार हो जाते हैं तो दवाई मिल जाती है। पेंशन की व्यवस्था और हो जाए तो ठीक है। - अमर सिंह वृद्धा आश्रम में सभी सुविधाएं मिली रही हैं। किसी प्रकार की कोई खास दिक्कत नहीं है। अगर पेंशन की व्यवस्था और हो जाए तो निजी जरुरते पूरी हो जायेंगी। जिससे और किसी प्रकार की परेशान नहीं होगी। - शकुंतला देवी काफी दिनों ने वृद्धा आश्रम में रहीं हूं। दवाई व खाना पीना सही से चल रहा है। परिवार से अलग होने का दुख है, लेकिन क्या करें। रोज रोज की परेशानी से यहीं सही हैं। पेंशन आयुष्मान कार्ड की सुविधा मिली चाहिए। - नेक्सी देवी वृद्धा आश्रम में समय समय पर कैंप लगाकर वृद्धों का इलाज कराया जाता है। कुछ लोगों को पेंशन भी मिल रही है। आयुष्मान कार्ड भी बीते दिनों बनवाये गए थे। आश्रम किसी प्रकार की समस्या नहीं हैं। - नीरज मिश्रा, मैनेजर आवासीय वृद्धा आश्रम, चन्दौसी।
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