Mauritius will get its Chagos Island after 211 years from Britain India reaffirms support for sovereignty 211 साल बाद मॉरीशस को मिलेगा उसका चागोस द्वीप, ब्रिटेन छोड़ेगा कब्जा; भारत ने दिया फुल सपोर्ट, International Hindi News - Hindustan
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211 साल बाद मॉरीशस को मिलेगा उसका चागोस द्वीप, ब्रिटेन छोड़ेगा कब्जा; भारत ने दिया फुल सपोर्ट

चागोस द्वीपसमूह, विशेष रूप से डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान पर है। यह यूके और यूएस के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा है, जो इस क्षेत्र में उनकी शक्ति क्षमता को बढ़ाता है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पोर्ट लुईसFri, 23 May 2025 08:04 AM
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211 साल बाद मॉरीशस को मिलेगा उसका चागोस द्वीप, ब्रिटेन छोड़ेगा कब्जा; भारत ने दिया फुल सपोर्ट

ब्रिटेन ने बृहस्पतिवार को विवादित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। सरकार का कहना है कि यह कदम अमेरिका-ब्रिटिश सैन्य अड्डे के भविष्य को सुनिश्चित करता है, जो ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ने ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को वापस करने वाली संधि का स्वागत किया है। यह ऐतिहासिक समझौता मॉरीशस की गुलामी से मुक्ति की प्रक्रिया को पूर्ण करता है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारत ने इस संधि को "मील का पत्थर" और "क्षेत्र के लिए सकारात्मक विकास" करार दिया है। भारत हमेशा से चागोस द्वीप को मॉरीशस का हिस्सा मानता आया है और अपने इस करीबी मित्र देश को हर संभव मदद दी है। करीब 211 साल से ये द्वीप ब्रिटेन के कब्जे में था।

कोर्ट ने हटाई रोक

इससे पहले ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस को सौंपने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाई गई रोक हटा दी थी। दोनों देशों के नेताओं द्वारा बृहस्पतिवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से कुछ घंटे पहले, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने हस्तांतरण पर रोक लगाने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया था। हालांकि सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने कहा कि रोक हटा दी जानी चाहिए।

अमेरिका से भी ली गई सलाह

ब्रिटेन ने हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने पर सहमति जताई है। यहां सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक और बमवर्षक विमान अड्डा है। इसके बाद ब्रिटेन कम से कम 99 वर्षों के लिए इस अड्डे को पुनः पट्टे पर ले सकेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से इस संबंध में परामर्श लिया गया था और उसने अपनी स्वीकृति दे दी, लेकिन लागत को लेकर अंतिम क्षणों में बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप देने में देरी हुई।

ब्रिटेन का सैन्य अड्डा रहेगा बरकरार

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर ने कहा है कि उन्होंने चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने वाले समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। हिंद महासागर में स्थित यह द्वीपसमूह, सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक और बमवर्षक विमानों का अड्डा है। स्टॉर्मर ने कहा कि यह समझौता उस अड्डे के भविष्य को सुरक्षित करता है जो “हमारे देश में सुरक्षा और संरक्षा की नींव पर है।”

इस समझौते के तहत, यूके और अमेरिका को डिएगो गार्सिया में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे को 99 साल के लिए लीज पर रखने की अनुमति दी गई है। इस सैन्य अड्डे का महत्व हिंद महासागर में शक्ति संतुलन और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए है। यूके इस लीज के लिए मॉरीशस को प्रति वर्ष 101 मिलियन पाउंड (लगभग 129 मिलियन डॉलर) का भुगतान करेगा, जो 99 वर्षों में कुल 3.4 बिलियन पाउंड होगा।

चागोस द्वीपसमूह हिंद महासागर में मॉरीशस से लगभग 2,200 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इसे 1965 में ब्रिटेन द्वारा मॉरीशस से अलग कर लिया गया था, जब मॉरीशस को 1968 में स्वतंत्रता मिली। तब से मॉरीशस ने इस द्वीपसमूह पर अपनी संप्रभुता का दावा किया है, और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे अवैध कब्जा करार दिया गया है

इस समझौते पर बृहस्पतिवार की सुबह एक ऑनलाइन समारोह में स्टॉर्मर और मॉरीशस के नेता नवीन रामगुलाम द्वारा हस्ताक्षर किए जाने थे। लेकिन हस्ताक्षर करने में कई घंटों की देरी हुई क्योंकि ब्रिटेन के एक न्यायाधीश ने दो चागोस के कार्यकर्ताओं की अपील पर अंतिम समय में इस हस्तांतरण को रोकने के लिए निषेधाज्ञा लगा दी थी। बाद में दूसरे न्यायाधीश द्वारा निषेधाज्ञा हटा ली गई। ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम अवशेषों से एक चागोस द्वीपसमूह 1814 से ब्रिटेन के नियंत्रण में रहा है। ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस से इस द्वीपसमूह को अलग कर दिया था। मॉरीशस को इसके तीन साल बाद स्वतंत्रता मिली।

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चागोस द्वीप की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के ब्रिटेन के फैसले का स्वागत करते हैं : भारत

भारत ने ब्रिटेन द्वारा ऐतिहासिक समझौते के तहत डिएगो गार्सिया के उष्णकटिबंधीय एटोल सहित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के निर्णय का बृहस्पतिवार को स्वागत किया। मॉरीशस को अंग्रेजों से आजादी मिलने के 50 वर्षों से अधिक समय के बाद ब्रिटेन इन द्वीपों पर अपना अधिकार छोड़ रहा है। भारत ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने ‘उपनिवेशवाद की समाप्ति, संप्रभुता के सम्मान और राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता’ पर अपने सैद्धांतिक रुख के मद्देनजर चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस के ‘वैध दावे’ का लगातार समर्थन किया है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम डिएगो गार्सिया सहित चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस की संप्रभुता स्थापित करने के लिए ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच हुए समझौते का स्वागत करते हैं। बयान में कहा गया, ‘‘इस द्विपक्षीय समझौते के माध्यम से लंबे समय से चले आ रहे चागोस विवाद का औपचारिक समाधान एक मील का पत्थर है तथा क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक घटनाक्रम है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करने तथा हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मॉरीशस और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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