होमगार्डों को भी पुलिस जैसी मिले सुविधा और समाज में सम्मान
Sambhal News - जनपद में होमगार्ड कानून व्यवस्था को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझना पड़ रहा है। सरकार प्रशिक्षण कार्यक्रम और कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से सहायता...

जनपद में कानून व्यवस्था को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाने वाले होमगार्ड, सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। जहां एक ओर सरकार होमगार्ड विभाग को सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों, संसाधनों की वृद्धि और कल्याणकारी योजनाओं पर कार्य कर रही है। वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर तैनात होमगार्डों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। जिले में होमगार्डस की 13 कंपनी कार्यरत हैं और 704 होमगार्ड्स जिले में तैनात हैं। जबकि 596 होमगार्डस के पद खाली चल रहे हैं। साथियों की कमी के चलते होमगार्डस को अधिक समय तक ड्यूटी करनी पड़ती है।
हालांकि उनको सुविधाओं देने में सरकार लगातार कदम उठा रही है। इसमें होमगार्ड के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार उनके उपकरणों और संसाधनों में सुधार, उपकरणों और संसाधनों में वृद्धि, और उनके कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन शामिल है। इसके बाद भी होमगार्ड कई समस्याओं से लड़ रहे हैं। जिसमें वर्दी भत्ता, प्रसूति अवकाश, सेवानिवृत्ति के बाद राशि न मिलना व आयुष्मान कार्ड न बनना आदि शामिल हैं। होमगार्डों का आयुष्मान कार्ड बनाना चाहिए। जिससे की वह अपना व परिवार का उपचार करा सकें। होमगार्डों का कहना है कि वे पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी करते हैं, चाहे वह कानून व्यवस्था का मामला हो या किसी बड़े आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था। लेकिन उन्हें पुलिसकर्मियों की तरह न तो सुविधाएं मिलती हैं और न ही सम्मान। सबसे बड़ी चिंता यह है कि उनकी नियुक्ति स्थायी नहीं होती। जरा सी गलती या कभी-कभी बिना किसी ठोस वजह के भी उन्हें सेवा से बाहर कर दिया जाता है। इससे उनके भविष्य को लेकर असुरक्षा बनी रहती है। उनकी नियुक्ति को स्थायी किया जाए ताकि वे बिना भय के पूरी निष्ठा से कार्य कर सकें। इसके साथ ही पीएफ, ग्रेच्युटी और रिटायरमेंट पर एक निश्चित धनराशि दी जाए, जिससे सेवा के बाद उनका जीवन सुरक्षित हो सके। मैंने पुलिस के साथ वीआईपी ड्यूटी तक सब कुछ किया है, लेकिन आज भी मेरी नौकरी अस्थायी है। ना पीएफ है, ना रिटायरमेंट के बाद कोई पैसा। अगर कल गलती से छुट्टी हो जाए तो कोई पूछने वाला नहीं है। हमें भी स्थायी किया जाए। - ऋषिपाल सिंह हम पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलकर ड्यूटी करते हैं। उसके बाद भी हमारे साथ भेदभाव किया जाता है। हमारी स्थाई नौकरी होनी चाहिए और वेतन से पीएफ भी कटना चाहिए। जिससे की रिटायरमेंट के बाद कुछ कर सकें। - सत्यपाल सिंह जब से भर्ती हुए हैं तभी से पूरी ईमानदारी के साथ ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन अब रिटायरमेंट के बाद मुझे एक पैसा भी नहीं मिलेगा। हमें भी पेंशन और रिटायरमेंट फंड मिलना चाहिए। इसके अलावा आयुष्मान कार्ड भी बना चाहिए। - हरिराज सिंह हम जब वर्दी पहनकर सड़क पर खड़े होते हैं, लोग हमें पुलिस ही समझते हैं। लेकिन सुविधाएं तो नाममात्र की हैं। हम भी चाहते हैं कि हमें पहचान और सम्मान मिले। स्थायी नियुक्ति हमारा अधिकार है। - चन्द्रकेश
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