यूपी पंचायत चुनाव में भाजपा को झटका देगी सहयोगी दल? संजय निषाद के दावे से बढ़ी सियासी हलचल
यूपी पंचायत चुनाव में भाजपा को झटका लग सकता है। दरअसल एनडीए की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने अकेले चुनाव लड़ने की बात कही है। उनके इस बयान से सियासी हलचल बढ़ गई है।
यूपी पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष और मत्स्य पालन मंत्री संजय कुमार निषाद बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी राज्य के आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अपने बलबूते पर लड़ेगी। निषाद ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब पार्टी को जमीनी स्तर पर अपनी राजनीतिक पहचान मजबूत करनी है और पंचायत चुनाव संगठन के विस्तार का सर्वोत्तम मंच है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अगले साल मई में होने की संभावना है।
डॉ. संजय निषाद ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन केवल विधानसभा और लोकसभा तक सीमित है। पंचायत चुनावों में निषाद पार्टी अपने जनाधार को सशक्त करेगी।" उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि ‘हर गांव, हर वार्ड, हर बूथ पर निषाद पार्टी का झंडा लहराना है। मंत्री ने कहा कि पंचायत चुनावों की सफलता 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की निर्णायक भूमिका तय करेगी।
जातिवार जनगणना और अनुसूचित जातियों के अधिकारों पर निषाद ने तल्ख लहजे में कहा कि जातिवार जनगणना केवल आंकड़ों की नहीं बल्कि हक़ और प्रतिनिधित्व की लड़ाई है। उन्होंने जोर दिया कि जब तक मछुआरा समुदाय के सदस्यों की सही संख्या दर्ज नहीं होगी तब तक उन्हें योजनाओं में उचित भागीदारी नहीं मिलेगी। निषाद ने मझवार, तुरहा, तारमाली, पासी, शिल्पकार सहित 17 उपजातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि इन उपजातियों को तत्काल अन्य पिछड़े वर्ग की श्रेणी से हटाकर अनुसूचित जातियों में शामिल किया जाए।
डॉ. संजय निषाद ने यह भी कहा कि मत्स्य योजनाओं में अनुसूचित जातियों को उत्तर प्रदेश में 60 फीसद अनुदान का पूरा लाभ मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने मछुआ विज़न डॉक्यूमेंट को सरकारी नीति के रूप में लागू करने की मांग भी उठाई।