जाति गणना से मालूम होगा जातिवार आबादी की संख्या का ब्यौरा
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में केंद्र सरकार ने जाति जनगणना का निर्णय लिया है। यह आजाद भारत में पहली बार होगा जब जातियों की जनसंख्या का आंकड़ा सामने आएगा। इससे सामाजिक और आर्थिक नीतियों में सुधार होगा। कई वर्षों...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में केंद्र सरकार के द्वारा लिए गए जाति जनगणना के फैसले से अब जातिवार जन गणना की जाएगी। इस गणना से जातियों की आबादी कितनी है सभी का पता चल जाएगा। आजाद भारत में पहली बार जातिवार संख्या सामने आएगी। इस तरह की आखिरी गणना आजादी से पहले 1931 में कराई गई थी। इस जानकारी से सामाजिक और आर्थिक रूप से अहम जानकारी मिलती है। सरकारें जातियों की संख्या पता चलने से कल्याणकारी नीतियां बनाती हैं। जिससे निचले तबके के लोगों को योजनाओं का फायदा मिल सकेगा। 2011 की जनगणना में जिले में दलित आबादी 4.48 लाख थी जो जिले की कुल आबादी का लगभग 22 प्रतिशत है।
कई वर्षों से केंद्र की सरकारों से जातिवार जनगणना कराने की मांग होती रही। लेकिन यह जनगणना कराने का निर्णय अभी तक नहीं लिया गया था। पीडीए ने इस जनगणना को करने के लिए कई बार आदेालन भी किया। वर्ष 2011 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने पूरे देश में कास्ट सेंसस के लिए कदम उठाया था। तब सोशियो इकनॉमिक कास्ट सेंसस यानि कि एसईसीसी कराया गया लेकिन इसके आंकड़े जारी नहीं हुए थे। अब मोदी सरकार ने जनगणना में कास्ट सेंसस शामिल करने का फैसला किया है। केंद्र सरकार की घोषणा के बाद देश में जातिगत जनगणना कराने की प्रक्रिया शुरू होने के करीब है। भाजपा ने इसे लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस समेत कई विरोधी दल लगातार जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे। दरअसल 1931 की जनगणना में देश में कुल 4,147 जातियां दर्ज की गई थीं। इसी के आधार पर मंडल आयोग ने 1980 में पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देने की रिपोर्ट दी थी। 1991 में वीपी सिंह सरकार ने इसे लागू किया था। लेकिन 2011 की जनगणना में जातियों की संख्या 46.80 लाख से अधिक पहुंच गई। यदि हम संतकबीरनगर जिले की बात करें तो वर्ष 2011 में जिले की जनसंख्या 1,715,183 थी। जिसमें पुरुष और महिला क्रमशः 869,656 और 845,527 थे। इस समय हुई दलितों की गणना में दलित आबादी 4.48 लाख थी जो जिले की कुल आबादी का लगभग 22 प्रतिशत है। जाति गणना के निर्णय पर भाजपा जिलाध्यक्ष नीतू सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेता ही इस प्रकार का फैसला ले सकता हैं। आजादी के बाद कई दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस हमेशा ही जातीय जनगणना का विरोध करती रही है। कटु सच्चाई यह है कि पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में देश की कमान आने के बाद ही कांग्रेस को पिछड़ा वर्ग का ख़्याल आया। उसके बाद कांग्रेस पिछड़ा वर्ग का राग अलापने लगी। प्रधानमंत्री का यह फैसला स्वागत योग्य है। सपा जिलाध्यक्ष अब्दुल कलाम ने कहा कि सपा पहले से ही जाति गणना कराने की मांग कर रही थी। सपा ने इसके लिए आन्दोलन किया। सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष किया है। आज जाति गणना का सरकार ने जो निर्णय लिया है वह सपा के संघर्षों की जीत है। जाति गणना होने से देश में जातियों का आंकड़ा मालूम होगा। उसी के आधार पर उनके हक की बात की जाएगी। उसके लिए सपा हर संघर्ष को तैयार है। बसपा जिलाध्यक्ष झिनकान प्रसाद ने कहा कि जातीय जनगणना के पक्ष में बहुजन समाज पार्टी बहुत पहले से रही है। पार्टी इसके लिए प्रयास भी करती रही। भाजपा सरकार ने जातीय जनगणना का फैसला लिया, लेकिन देरी से। यह फैसला बहुत पहले लिया जाना चाहिए था। अब सरकार को चाहिए कि फौरी तौर पर जातीय जनगणना पूरा कराए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रवीण चंद्र पाण्डेय ने कहा कि जातिगत जनगणना काग्रेस पार्टी के साथ इंडिया गठबंधन की जीत है। इस जनगणना के हो जाने से देश का विकास तेजी से होगा। इंडिया गठबंधन ने सड़क से लेकर सदन तक जातिवार जनगणना के लिए संघर्ष किया है। जिसका परिणाम रहा कि अब यह जनगणना होने जा रही है। जो पार्टियां सामाजिक न्याय की बात करती है उन सभी की जीत है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।