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क्या होता है एस्परगर सिंड्रोम जिससे पीड़ित हैं माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स?

माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स एस्परगर सिंड्रोम से पीड़ित हैं। हाल ही में उनकी बेटी ने एक पॉडकास्ट में इस बात का खुलासा किया है। इससे पहले बिल गेट्स ने खुद भी इसे लेकर संकेत दिए थे।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानFri, 2 May 2025 03:23 PM
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क्या होता है एस्परगर सिंड्रोम जिससे पीड़ित हैं माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स?

10 हजार करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति के मालिक और अपनी जिंदगी के कई साल दुनिया के सबसे अमीर शख्स का तमगा हासिल करने वाले बिल गेट्स एक सिंड्रोम से जूझ रहे हैं। हाल ही में उनकी बेटी फोबे ने इस बात का खुलासा किया है। फोबे ने बताया है कि उनके पिता और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक एस्परगर सिंड्रोम से पीड़ित हैं। बता दें कि 22 वर्षीय फोबे गेट्स बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स की बेटी हैं। बिल और मेलिंडा ने 1994 में शादी की थी। हालांकि 2021 में दोनों ने तलाक लेने का फैसला किया था।

फोबे गेट्स ने हाल ही में 'कॉल हर डैडी' नाम के एक पॉडकास्ट में अपने पार्टनर से पिता को मिलाने के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सामाजिक रूप से उनके पिता का स्वभाव बहुत अलग है। उन्होंने होस्ट एलेक्स कूपर से कहा, "उस लड़के के लिए यह डरावना था। हालांकि मेरे लिए यह हास्यास्पद है क्योंकि मेरे पिता सामाजिक रूप से बहुत अजीब हैं। जैसा कि उन्होंने पहले कहा है, उन्हें एस्परगर है। इसलिए मेरे लिए यह बहुत मजेदार था।”

गेट्स ने खुद भी दिए थे संकेत

इससे पहले इस साल फरवरी में 69 वर्षीय बुल गेट्स ने खुद भी इस बात के संकेत दिए थे। उन्होंने बताया था कि बचपन से ही वह थोड़े अलग थे हालांकि उन्होंने कभी औपचारिक रूप से इसका इलाज नहीं करवाया। बिल गेट्स ने यह भी कहा था कि अगर वह आज की दुनिया में बड़े हो रहे एक युवा लड़के होते तो संभवतः उनका ऑटिज्म स्पेक्ट्रम का इलाज करवाया जाता। गेट्स ने कहा था कि उनके माता-पिता उन्हें बचपन में एक डॉक्टर के पास ले गए थे जिन्होंने एक साल से अधिक समय तक मुझे यह समझाया था कि उनकी यह मानसिक स्थिति एक सकारात्मक चीज भी हो सकती है।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर क्या है?

एस्परगर सिंड्रोम ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) का एक हिस्सा है। एस्परगर सिंड्रोम वाले लोगों को दूसरों से सामाजिक रूप से जुड़ने में परेशानी हो सकती है, क्योंकि वे दूसरों की भावनाओं और संकेतों को समझने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं। कभी-कभी ऐसे लोग दूसरों की बातचीत को समझने और अपनी बात को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में संघर्ष कर सकते हैं। ऐसे लोगों को व्यवहार संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं। कुछ लोगों के व्यवहार में दोहराव वाली गतिविधियां भी देखी जा सकती हैं।

आम लोगों की तुलना में होते हैं अधिक बुद्धिमान

हालांकि इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में कई बार कुछ खास कौशल भी होते हैं। ऐसा देखा गया है कि एस्परगर सिंड्रोम वाले लोगों में आमतौर पर औसत या उससे अधिक मानसिक क्षमता होती है और वे आम लोगों की तुलना में अधिक बुद्धिमान भी होते हैं। उदाहरण के लिए ऐसे लोगों में भाषा का कौशल अच्छा हो सकता है। इसलिए इसे कभी-कभी "उच्च-कार्यक्षमता ऑटिज्म" भी कहा जाता है।

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आजीवन विकार

2015 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर आबादी का लगभग 0.5% हिस्सा यानी 37.2 मिलियन लोग एस्परगर सिंड्रोम से प्रभावित हो सकते हैं। वहीं विशेषज्ञों का मानना ​​है कि हर 1,000 बच्चों में से 2 से 6 बच्चों में यह विकार होता है। शोध में यह भी पाया गया है कि लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह सिंड्रोम होने का खतरा 3 से 4 गुना ज्यादा होता है। यह बात भी जानना जरूरी है कि एस्परगर सिंड्रोम एक आजीवन विकार है, जो लोगों के दुनिया को देखने और दूसरों के साथ बातचीत करने के तरीके को प्रभावित करता है। इसीलिए इससे पीड़ित लोगों को जीवन भर इसके साथ जीना पड़ता है।

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