मजदूरी के इंतजार में कर्जदार हो गए मनरेगा मजदूर
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम।संतकबीरनगर जिले में 10 दिसंबर के बाद से ही मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी नहीं मिली है। शासन स्तर से ही धन उपलब्ध नहीं हो पाय

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम।
संतकबीरनगर जिले में 10 दिसंबर के बाद से ही मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी नहीं मिली है। शासन स्तर से ही धन उपलब्ध नहीं हो पाया है। इससे कार्य कर चुके श्रमिक काफी परेशान हैं। कई मजदूर को मजदूरी के इंतजार में कर्जदार भी हो गए हैं। कुछ ने मनरेगा से दूरी बना ली है। मजदूरी न मिलने के कारण तमाम श्रमिक दिहाड़ी की तलाश में शहर का रुख कर चुके हैं। श्रमिक प्रधान से लेकर ब्लाक का चक्कर लगाकर थक चुके हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने श्रमिकों से बात किया तो उनके दर्द झलक उठा।
डिहुलिया निवासी लल्लू ने कहा कि हमारी ग्राम पंचायत पचेठी है। दिसम्बर महीने में मनरेगा योजना के तहत कार्य किए थे। 9480 रुपया मजदूरी बकाया है, लेकिन उसका भुगतान नहीं हो सका है। मजदूरी न मिलने से काफी परेशानी हो रही है। होली त्योहार पर भी म जदूरी नहीं मिली।
डिहुलिया के ही टेकावन ने कहा कि दिसम्बर महीने में कार्य किया था 9480 रुपए मजदूरी बकाया है। जनवरी माह के पहले सप्ताह में ही मजदूरी का भुगतान होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। समय से मजदूरी न मिलने के कारण मनरेगा योजना के तहत कार्य करने में ही रुचि नहीं रह गई है।
पौली के मोहम्मद ईसा ने कहा कि जॉब कार्डधारक मजदूरों के लिए काम की गारंटी तो सरकार की है, लेकिन मजदूरी का कब भुगतान होगा यह कोई गारंटी नही है। तीन माह से मजदूरी नहीं मिली है। काम करके परेशान हैं। ईद पर्व पर भी मजदूरी का भुगतान नहीं हो सका। इससे काफी परेशानी हुई है। कर्ज तक लेना पड़ा।
पौली के ही अयाज अहमद ने कहा कि मनरेगा मजदूरी न मिलने से अब घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। किसी तरह कर्ज लेकर कार्य चल रहा है। जबकि कार्य करने के 15 दिनों के भीतर मजदूरी के भुगतान देने कि बात कही जाती है। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। तीन महीने से मजदूरी का इंतजार कर रहे हैं।
चंगेरा-मंगेरा की सरिता देवी ने कहा कि चार महीने से मजदूरी न मिलने से गृहस्थी चलाने में काफी परेशानी हो रही है। काम करने के बाद से ही जिम्मेदारों का चक्कर लगा रहे हैं। जिम्मेदार दावा करते हैं कि काम करने के 15 दिन के भीतर ही मजदूरी का भुगतान हो जाएगा, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो पा रहा है।
चंगेरा-मंगेरा की निवासी उर्मिला देवी चार महीने से मजदूरी न मिलने के कारण काफ़ी परेशानी उठानी पड़ रही है। अब गेहूं की फसल तैयार हो गई है। कटाई के लिए रुपया उधार लेना पड़ रहा है। होली पर भी मजदूरी नहीं मिली। मनरेगा योजना हम लोगों को रोजगार देने के बजाया कर्जदार बना रही है।
महला निवासी जीते ने कहा कि मनरेगा में कुल 32 दिन मजदूरी किए हैं, अभी तक मजदूरी नहीं मिली है। परिवार का खर्च चलाने में बड़ी दिक्कत हो रही है। हम लोगों की समस्याओं को कोई समझने वाला नहीं है। मजदूरी न मिलने के कारण परिवार का खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।
अठलोहिया के संजय विश्वकर्मा ने कहा कि मनरेगा योजना के तहत कुल 34 दिन मजदूरी किए हैं, अभी तक मजदूरी नहीं मिली है। परिवार का खर्च चलाने में बड़ी दिक्कत हो रही है। हम लोगों की समस्याओं को कोई समझने वाला नहीं है। जिम्मेदार हर रोज जल्द भुगतान होने का दावा कर रहे हैं।
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