एआई में संवेदनाओं का अभाव भविष्य के लिए लाभदायक: सीईओ
Shahjahnpur News - शाहजहांपुर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ग्लोबल डेवलपमेंट पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें वक्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लाभ और मानव श्रम पर इसके प्रभावों पर चर्चा की। 50...

शाहजहांपुर, संवाददाता। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एक आवश्यक उपकरण है। इसमें संवेदनाओं का अभाव है, लेकिन यह भविष्य के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। उक्त विचार जीएफ कॉलेज के कॉमर्स और बीबीए विभाग तथा गेडू कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज़, भूटान, नॉवेल एकेडमी पोखरा नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य वक्ता नेपाल की नॉवेल अकादमी के सीईओ विशेश्वर आचार्य ने कहे। उन्होंने कहा कि इसका सही से प्रयोग किया जाए। प्राचार्य प्रो. मोहसिन हसन खां ने कहा कि आर्टिफिशियल इटलीजेंस एक ऐसी तकनीक है, जो मशीनों को बुद्धिमता प्रदान करती है, जिससे वह मानव के समान क्षमता का प्रदर्शन कर सकती है।
भूटान से विशिष्ट वक्ता प्रो. प्राण कुमार कौल ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से मानव श्रम के उपयोग की कम होने की संभावना है। साकेत महाविद्यालय अयोध्या से प्रो. मिर्ज़ा साहब शाह ने कहा कि भारत में एक बड़ा वर्ग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग कर रहा है। किसी भी इल्म की यह खासियत होती है कि वह वक्त और रफ्तार पर नियंत्रण कर सकता है। एसएस कॉलेज के प्रो. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डाटाबेस होती है। उसमें विवेक और मानवता का अभाव होता है। सेमिनार विषय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड ग्लोबल डेवलपमेंट था। डा. पुनीत मनीषी, डा. अनमोल सक्सेना द्वारा सम्पादित पुस्तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड ग्लोबल डेवलपमेंट व डा. मंसूर अहमद सिद्दीकी, डा. मो. ज़मा खान द्वारा लिखित पुस्तक द्वारा दिल्ली सल्तनत का विमोचन किया गया। गेडू कॉलेज पोखरा नेपाल, जीएफ कॉलेज के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। विषय स्थापना कार्यक्रम संयोजक डा.पुनीत मनीषी ने तथा आभार ज्ञापन डा. अनमोल सक्सेना ने किया। संचालन डा.मंसूर अहमद सिद्दीक़ी ने किया। सेमिनार में सैयद अनीस अहमद, प्रो. फैयाज अहमद, डा. सुहेल नकवी, प्रो. जीए कादरी, सैयद औरंगजेब, असरार अहमद, डा. रईस अहमद, डा. स्वप्निल यादव, डा. नीलम टंडन, अभिनव गुप्ता, डा. तनवीर आलम, डा. शहाब हुसैन, डा. नसीम अहमद आदि का सहयोग रहा। === 50 छात्र छात्राओं ने शोध पत्र पढ़े तकनीकी सत्रों में विशेश्वर आचार्य, प्रो. नीरज शुक्ला, डा. मनीष कुमार, डा. संजय रस्तोगी, डा. अमित कुमार, डा. जागृति गुप्ता, प्रो. तूलिका सक्सेना, प्रो. प्राण कुमार कौल, डा. अब्दुल वाहिद फारुकी, डा. फजलुर्रहमान, डा. हरि सिंह सऊद, डा. राम कुमार चतौत, डा. सीमा त्रिपाठी, डा. गगन कुमार, प्रो. केके वर्मा, प्रो. हरि प्रसाद अवस्थी ने विचार व्यक्त किए। तकनीकी सत्रों में नबीहा हसन खान, जशनप्रीत, नाइजीरिया से याहया अब्दुलरहमान, अब्दुलरहमान अबूबकर, अब्दुलरहमान रबी, सरिया मुजीब, अभिया तिवारी, अलकमा, खुशी खन्ना, शिल्पी कुमारी, तेजस्वी राठौर, जगजीत सिंह, अब्दुल्ला, ऋतिक सहित लगभग 50 छात्र छात्राओं ने शोध पत्र पढ़े।
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